फिर ऊंची जाति पर दाव खेलेगी कांग्रेस, अशोक चौधरी का हटना तय

Update:2017-09-08 16:49 IST
उंची जाति के नाम पर बिहार कांग्रेस में मचा घमासान

vinod kapoor

पटना: बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी को पद से हटाया जा सकता है और उनकी जगह पार्टी के बड़े चेहरे बन चुके प्रेमचन्द्र मिश्र को लाने की चर्चा है। पार्टी में घमासान के बीच अशोक चौधरी पर पार्टी को तोड़ने की कोशिश के आरोप लग रहे हैं। खुद चौधरी भी मान रहे हैं कि पार्टी में उंची जाति के कुछ नेता उन्हें पद से हटाने की साजिश कर रहे हैं। बिहार प्रदेश कांग्रेस में टूट की चर्चा आजकल जोरों पर है।

महागठबंधन की सरकार गिरने और बीजेपी के साथ सरकार बनाने के नीतिश के फैसले के बाद अगर सबसे ज्यादा बेचैनी किसी में है, तो वो कांग्रेस के विधायकों में है।

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25 साल बाद मिला था सत्ता सुख

लालू प्रसाद यादव के 1990 में सीएम बनने के बाद लगातार 25 साल तक कांग्रेस बिहार में सत्ता से दूर रही। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी तो उसे सत्ता में भागीदारी मिली। विधानसभा में उसके 24 विधायक जीतकर भी आए। पहले तो ये तय हुआ कि नीतीश सरकार को कांग्रेस बाहर से समर्थन देगी, लेकिन बाद में सरकार में शामिल हो गई।

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बट 'ऑल इज नॉट वेल'

बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के बिहार में बड़े नेता लगातार नीतीश के संपर्क में रहे। राजनीतिक हलकों में ये चर्चा चलती रही, कि किसी भी दिन बिहार के कम से कम 18 विधायक नीतीश की पार्टी जनतादल यू में शामिल हो सकते हैं । पार्टी हाईकमान को जब इसकी भनक लगी तो एक-एक कर सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया गया। दिल्ली से कुछ दिन पहले दिल्ली से लौटने के बाद अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने 'आल इज वेल' बताया। लेकिन अशोक चौधरी ने 7 सितम्बर को कहा कि साजिश के तहत उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की कवायद चल रही है।

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कुछ बड़े नेता हटाना चाहते हैं

पार्टी में भीतरघात का खेल चल रहा है, जिसमें पार्टी के कुछ शीर्ष नेता भी शामिल हैं। उन्होंने अपने ही कुछ शीर्ष नेताओं पर पार्टी में मतभेद पैदा करने का आरोप लगा दिया। अशोक चौधरी ने कहा, 'ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के बड़े नेता ही इस सारे खेल को खेल रहे हैं। कुछ बड़े नेता अपने चहेतों को बिहार में पार्टी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं और इसकी कवायद बहुत दिनों से चल रही है। पार्टी को मेरी वफादारी पर कोई शंका नहीं है, लेकिन दिल्ली में बैठे कुछ सीनियर नेता ही मुझे पद से हटाने के लिए सारा खेल रच रहे हैं। अगर ऐसे में मुझे पद से हटाया जाता है तो आहत होना लाजिमी है।'

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तब भी खुश नहीं थे, अब तो...

चौधरी ने कहा, कि 'पिछले 25 सालों से मेहनत कर पार्टी को यहां तक पहुंचाया और अब उन्हीं पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है। महागठबंधन में जब मैं मंत्री पद पर था, तब भी लोग खुश नहीं थे और अब तो मैं मंत्री भी नहीं हूं तो मुझ पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है।'

कांग्रेस की नजर ऊंची जाति को लुभाने पर

नए प्रदेश अध्यक्ष में प्रेमचन्द्र मिश्र का नाम सबसे आगे है । दरअसल, अपर कास्ट के अनिल कुमार शर्मा 2008 में प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे जो 2010 तक इस पद पर रहे। उनके बाद कोई भी उंची जाति का नेता बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बना। वो पटना विश्वविधालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे। कांग्रेस की नजर बिहार में 16 प्रतिशत उंची जाति के वोटों पर है, जो अब छिटक कर बीजेपी के पास चला गया है। उंची जाति में ब्राह्मण, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग कभी कांग्रेस का ठोस वोट बैंक हुआ करता था। मुस्लिम और पिछडी जाति के वोट पर लालू और नीतीश कुमार ने डाका डाला तो ब्राह्मण वोट बीजेपी अपने साथ ले गई। कांग्रेस अच्छी तरह जानती है कि मुस्लिम और पिछड़ी जाति के वोट बैंक को पाना अभी आसान नहीं है इसलिए उसके प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी ब्राह्मण या उंची जाति को देने का फैसला लिया है।

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