गुजरात दौरा: बदले-बदले से नजर आए राहुल, जैसे- बदली स्क्रिप्ट में नया स्क्रीनप्ले

Update: 2017-09-29 08:09 GMT
क्या अब पाटीदार लगाएगें कांग्रेस की नैया पार ?

vinod-kapoor

लखनऊ: क्या कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बदल रहे हैं? क्या गुजरात में आगामी तीन महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कई सालों बाद चुनौती मिलने वाली है? ये सारे सवाल उठाना आज जरूरी हो गया है। उनकी बाडी लैंग्वेज तो यही बता रही है, कि वो अब ज्यादा आक्रामक मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। राहुल ने 25 सितंबर को अपनी तीन दिन की गुजरात यात्रा की शुरुआत ही ऐतिहासिक द्वारकाधीश मंदिर से की। मंदिर में शीश नवाया और श्रीकृष्ण से आशीर्वाद लिया।

इन तीन दिन के दौरे में उनकी बाडी लैंग्वेज पर भी सवाल उठे। लोगों को आश्चर्य भी हुआ कि किसी भी चुनावी दौरे में राहुल गांधी की 'शारीरिक भाषा' तो ऐसी कभी नहीं दिखी। आखिर ऐसा क्या हुआ कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ। इन सवालों का जवाब टटोलने की कोशिश जरूरी है। कुछ ऐसा था, जो गुजरात की हवा में राहुल घोल गए।

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एक्सटेंशन है...बातों का भी...नेता का भी

लंबी यात्राओं से लौट आने के बाद लोग थके होते हैं। राहुल भी 15 दिन की यात्रा के बाद अमेरिका से लौटे थे। लगता है कि अक्सर अपनी यात्राओं की वजह से सुर्खियों में रहने वाले राहुल गांधी का अमेरिका दौरा काम का साबित हुआ है। वो थकान से नहीं, नई ऊर्जा से भरे लगते हैं। गुजरात में राहुल के तेवर बुरी तरह हमलावर थे। उनके भाषण, अमेरिका में कही गई बातों का विस्तार थी। ये एक्सटेंशन है...बातों का भी...नेता का भी। आमतौर पर राहुल पूरी केंद्र सरकार को नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी को ही निशााने पर रखते हैं। इस बार भी ऐसा ही था।

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सुर्ख़ियों में रहा 'विकास पागल हो गया है'

राहुल ने कहा, कि 'विकास पालग हो गया है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि किधर जाए।' दरअसल पीएम मोदी अपनी सभी योजनाओं को विकास का नाम देते हैं। राहुल ने नोटबंदी और जीएसटी पर भी सरकार को निशाने पर रखा। बताया कि अर्थव्यवस्था कैसे दौर से गुजर रही है। दौरे के अंतिम दिन उन्हें बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का साथ मिल गया, जो इन दो मुद्दों पर अपनी ही सरकार को निशाने पर ले रहे थे।

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'ईमानदार' वाला बयान भी रहा चर्चा में

राहुल ने व्यापारियों से बात करते हुए ये भी बताया कि देश में ईमानदार नेता होना कितना मुश्किल है। ईमानदार नेताओं को गालियां भी सुननी पड़ती हैं और अन्य परेशानियां भी झेलनी होती हैं।

पाटीदारों को अपने पाले में करने में रहे सफल

राहुल गुजरात में खाट पर भी बैठे और बैलगाड़ी पर बैठकर बुलेट को मुंह चिढ़ाते भी दिखे। उन्हें रोड शो की अनुमति नहीं मिली, लेकिन इसके लिए उन्होंने सरकार की आलोचना नहीं की। गुजरात के पाटीदारों से भी वो अच्छा सामंजस्य बैठाते नजर आए। पाटीदारों ने उन्हें समर्थन का भरोसा भी दिया। पाटीदार अब तक बीजेपी के समर्थन में दिखाई देते रहे हैं।

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वही मुस्कराहट अब वास्तविक लगती हैं

राहुल गांधी का ये नया अवतार ज्यादा सहज नजर आता है, ये ज्यादा मुस्कुराता है...ये मुस्कुराते वक्त पहले की तरह दिखावटी नहीं लगता। वो अब आंखों में झांकने लगा है और नजर से नजर मिला कर बात करता है । नजरें चुराना, झुकाना अब पुरानी बात लगती है । राहुल के जवाबों में नए स्क्रिप्टराइटर के रंग दिखाई दे रहे हैं। निश्चित रूप से ये चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की लिखी स्क्रिप्ट नहीं है जिसके चक्कर में आ राहुल यूपी में कांग्रेस की नैया डूबा बैठे थे ।

बदली हुई स्क्रिप्ट में नया स्क्रीनप्ले

राहुल गांधी गुजरात दौरे में लोगों से मिले। पन्द्रह मिनट में 1,000 सीढ़ियां चढ़ चामुंडा देवी के दर्शन किए। वो भगवान के दर पर जाते, सिर झुकाते, हाथ जोड़ते भी नजर आए। या कहना चाहिए, कि बदली हुई स्क्रिप्ट में ये नई स्क्रीनप्ले। कांग्रेस की इमेज बदलनी है तो खास तबकों के करीब दिखना जरूरी हो जाता है। शायद इसीलिए, गुजरात दौरे की शुरुआत ही ऐतिहासिक द्वारकाधीश से की।

सवाल वही, क्या दोहराएगा इतिहास?

राहुल में कुछ है जो बदल रहा है, लेकिन फिर भी बड़ा सवाल यही है कि 22 साल तक गुजरात में सत्ता से दूर रहने वाली कांग्रेस के लिए क्या वो सब काफी होगा जो अभी राहुल गांधी कर रहे हैं।

 

 

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