Ghosi By Election 2023: पीडीए और इंडिया गठबंधन की संभावनाओं का उपचुनाव
Ghosi By Election 2023: यूपी में हो रहे घोसी विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मिया तेज हो गई हैं। समाजवादी पार्टी से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक निर्वाचित हुए दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर यह उपचुनाव हो रहा है।
Ghosi By Election 2023: यूपी में हो रहे घोसी विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मिया तेज हो गई हैं। समाजवादी पार्टी से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक निर्वाचित हुए दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर यह उपचुनाव हो रहा है। जो पाला बदलते हुए बीजेपी से प्रत्याशी हैं जबकि सपा ने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कॉंग्रेस ने इंडिया गठबंधन को मजबूती देते हुए सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया है।
बसपा जहां चुनाव नहीं लड़ रही वहीं सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर भाजपा को समर्थन और सपा के खिलाफ बिगुल बजा रहे हैं। ऐसे में आमने-सामने की लड़ाई में चुनाव बेहद रोचक हो रहा है।
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के परिणाम हमेशा चौकाने वाले होते हैं। राजनीति में यह स्थापित हो गया है कि केंद्र में सत्ता की चाभी यूपी के पास ही है। जिस पार्टी को लोकसभा चुनाव में यहाँ अधिकतम सीटें मिलती हैं वही केंद्र की सत्ता में प्रभावी होता है। पिछले दोनों आम चुनावों में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 2014 में 73 सीटें और 2019 में 64 सीटें प्राप्त किया था। यही भाजपा की असल मजबूती है जिसके सहारे बीजेपी ने केंद्र की सत्ता में बहुमत हासिल किया।यही कारण है कि यूपी के चुनावों पर भाजपा का जोर अधिक रहता है।
समाजवादी पार्टी
2017 में बीजेपी की यूपी में सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत संसदीय सीट गोरखपुर और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की लोकसभा सीट फूलपुर दोनों पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को हराकर समाजवादी पार्टी ने सबको चौका दिया था। साथ ही पश्चिमी यूपी में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के कद्दावर नेता हुकूम सिंह के निधन पर रिक्त हुई सीट पर समाजवादी पार्टी की तबस्सुम बेगम ने कैराना लोकसभा से जीत हासिल किया।उसी क्रम में विधानसभा उपचुनाव में बाराबंकी की जैदपुर एवं अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट से सपा ने जीत दर्ज किया।
इसी वर्ष समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन पर रिक्त हुए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिम्पल यादव ने जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी की संख्या को बढ़ाया। हाल के दशकों में उपचुनाव के चुनावी परिणामों में सत्ताधारी पार्टी ही जीतती थी लेकिन भाजपा सरकार में यह मिथक टूटा। विपक्षी दल जहां सरकार के खिलाफ इसे जनता के असंतोष के रूप में देखते हैं। वहीं भाजपा इसे सामान्य चुनावों के परिणाम की तरह ही देखती है।
उपचुनावों में अखिलेश यादव की जनसभाएं
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में चुनावी प्रचार अभियान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभाएं नहीं होती थी। इस परंपरा को तोड़ते हुए उन्होंने नेता जी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में कई जन सभाओं को संबोधित किया जिसका अपेक्षित परिणाम भी आया। उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए घोसी विधानसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार कर जनता को सायकिल के समर्थन में मतदान की अपील किया। अखिलेश यादव के चुनावी प्रचार में शामिल होने से लोगों की निगाहें घोसी चुनाव परिणाम पर टिक गई हैं।दोनों उप मुख्यमंत्री की जनसभाओं के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की होने वाली चुनावी सभा से राजनैतिक हलचल तेज हो गई है। ऊंट किस करवट बैठेगा यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
हाल ही में अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा,दलित,अल्पसंख्यक) के माध्यम से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का जनमत बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
जिसके माध्यम से बीजेपी को चुनौती देने के लिए एक बड़े वोट वर्ग को एकजुट करने में सक्रिय हैं। लोक जागरण अभियान और लोक जागरण यात्रा इस दिशा में गंभीर प्रयास के रूप में दिखाई दे रहे हैं।पीडीए के साथ राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को हराने के लिए कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के लिए भी घोसी उपचुनाव एक लिटमस टेस्ट होगा। जिसके आधार पर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के बीच सत्तापक्ष और विपक्ष अपना सियासी संदेश देने की कोशिश करेंगे।
ओम प्रकाश राजभर का दावा
पूर्वांचल में राजभर समाज के वोटों पर अपने एकाधिकार का दावा करने वाले ओम प्रकाश राजभर के लिए भी यह चुनाव उनके राजनैतिक भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कुछ दिन पूर्व बीजेपी के साथ गठबंधन की घोषणा करने वाले ओम प्रकाश राजभर का दावा है कि विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में सपा के विधायकों की संख्या बढ़ाने में राजभर समाज का बड़ा योगदान रहा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने पर उपचुनाव का परिणाम राजनैतिक परिस्थितियों को काफी कुछ स्पष्ट कर देगा।
घोसी उपचुनाव में जहां एक ओर बीजेपी सरकार और संगठन के लोग एड़ी चोटी एक किए हैं जिससे पूर्वांचल की राजनीति में भाजपा का अति पिछड़े जातियों में मजबूती का संदेश जाए वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव सहित पूरी समाजवादी पार्टी गाँव-गाँव साईकिल को जिताने के लिए जुट गयी है।
राष्ट्रीय राजनीति में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता और एक ही प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने की सहमति ने आपातकाल के पूर्व सत्तर के दशक में 1974 में हुए उपचुनाव की याद दिला दिया। जिसमें लोकनायक जेपी की पहल पर मध्य प्रदेश के जबलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में विपक्षी दलों की ओर से जनता उम्मीदवार बनाया गया था। जनता उम्मीदवार शरद यादव की जीत का यह प्रयोग 1977 में जनता पार्टी के गठन की प्रेरणा बना। जिसने देश की आजादी के बाद केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस के वर्चस्व को समाप्त किया।
विपक्षी दलों की एकता
मौजूदा परिस्थितियों में विपक्षी दलों की एकता पटना और बेगलुरु बैठक के बाद इंडिया नाम से दिख रही है। जिसकी आगामी बैठक बंबई में प्रस्तावित है। गठबंधन का ऐसा स्वरूप पिछले पचास वर्षों बाद पहली बार दिख रही है। ऐसे में घोसी उपचुनाव को सामान्य नहीं समझा जा सकता। समाजवादी पार्टी की पहल पर काँग्रेस द्वारा सपा प्रत्याशी को समर्थन दिए जाने की घोषणा के गहरे निहितार्थ सामने आने वाले हैं। जो लोकसभा चुनाव में एक प्रधानमंत्री सहित एक लोगों,कॉमन एजेंडा जैसे अन्य मुद्दों के रूप में सामने आ सकता है।
घोसी उपचुनाव में अति पिछड़े समाज की कई जातियों के वोटिंग पैटर्न एवं परिणाम का सीधा असर उत्तर प्रदेश की मौजूदा राजनीति एवं केंद्र सरकार में गठबंधन,सत्ता और विपक्ष के भविष्य पर पड़ने की संभावना है।
लेखक- मणेन्द्र मिश्रा ‘मशाल’- पूर्व अतिथि प्रवक्ता: एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मो. 7905295722