अब बनाइए चांद पर घर

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, बेंगलुरु के वैज्ञानिकों के एक टीम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यह नायाब करिश्मा कर दिखाया है। इसे चांद पर मानव बस्ती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है।

Update: 2020-02-14 10:44 GMT

योगेश मिश्र

लखनऊ: चांद पर घर बनाने का सपना देखने वालों के लिए एक बड़ी खुश खबरी यह है कि वहां घर बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने विशेष किस्म की ईंट का इजाद कर लिया है। जिसे स्पेस ब्रिक का नाम दिया गया है। इस ईंट को नासा अभियानों के दौरान चंद्रमा की धरती से लाए गये तत्वों और मिट्टी से किया गया है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, बेंगलुरु के वैज्ञानिकों के एक टीम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यह नायाब करिश्मा कर दिखाया है। इसे चांद पर मानव बस्ती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है।

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, बेंगलुरु के असिस्टेंट प्रोफेसर आलोक कुमार के मुताबिक इन ईंटों को कृत्रिम रूप से बनाए चांदकी मिट्टी के प्रतिरूप ‘लूनर सोएल सिमुलेंट‘ से किया गया है। यह कृत्रिम तत्व नासा के अपोलो मिशन के दौरान लाए गए चंद्रमा की मिट्टी के सेंपलों से 99.6 फीसदी तक मिलता है। इसके निर्माण बैक्टीरियल ग्रोथ इंडस्ड बायोसिमेंटेशन टेक्नालॉजी का उपयोग किया गया है।

इसरो ने अब तक 60 टन लूनर सोएल सिम्यूलेंट तैयार कर लिया है

इसके लिए खास बैक्टीरिया स्पोरोसारकिना पास्ट्यूरी का प्रयोग किया गया है जौ कैलशियम कार्बोनेट पैदा करता है। इसे कृत्रिम लूनर सोएल सिम्यूलेंट में मिलाया गया है। बाद में परखा गया तो इस तरह तैयार की गई ईंट बेहद कमजोर थी। नतीजतन, बाद में इसमें ग्वारफली की गोद को प्राकृतिक पॉलीमर की तौर पर इस्तेमाल किया गया तब इसकी मजबूती दस गुना बढ़ी। ईंट का निर्माण ही नहीं इसरो चंद्रमा पर रहने के लिए खास ईगलू तैयार कर रहा है। यह ईगलू उत्तरी ध्रुव में बनाए जाने वाल स्तूप नुमा घर है। इसरो ने अब तक 60 टन लूनर सोएल सिम्यूलेंट तैयार कर लिया है।

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