अब भारत की भूमिका ज्यादा जरुरी
ईरानी सेनापति कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध छिड़ जाने की जो आशंका थी, वह अभी तक आशंका ही है, यह संतोष का विषय है।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
ईरानी सेनापति कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध छिड़ जाने की जो आशंका थी, वह अभी तक आशंका ही है, यह संतोष का विषय है। ईरान ने एराक के अमेरिकी सैनिक अड्डों पर जो हवाई हमला किया था, उसमें उसने 80 अमेरिकी सैनिकों को मार डालने का दावा किया था और इस दावे को सुलेमानी की हत्या का पूरा बदला या जवाब कहा था। यह संकेत भी ईरानी नेताओं ने दिया था कि उन्होंने काम पूरा कर दिया है।
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अब यदि अमेरिका हमला करेगा तो वे और भी उसे सबक सिखाएंगे लेकिन यहां सबसे मजेदार घटना यह हुई कि डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी हमले पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि सब ठीक-ठाक है। कल सुबह बात करेंगे। इसका अर्थ सारी दुनिया यह लगा रही थी कि अमेरिका अब ईरान पर जबर्दस्त हमला बोलेगा। लेकिन ट्रंप ने सारे घटना-चक्र की हवा निकाल दी। उन्होंने कहा कि एराकी अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हुए मिसाइल आक्रमण में एक भी अमेरिकी नहीं मारा गया।
थोड़ी-बहुत तोड़-फोड़ जरुर हुई है। अब पता नहीं कौन झूठ बोल रहा है ? खामेनई या ट्रंप ? लेकिन यदि ट्रंप ने जो कहा, वह सच है तो यह माना जा सकता है कि दोनों देशों के नेताओं की इज्जत बच गई है और ऐसी स्थिति में भारत जैसे देशों की भूमिका अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। वे अब मध्यस्थता कर सकते हैं।
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इस शुरुआती दौर में ही सोने और तेल कीमतों में उछाल आया है, वह भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। यदि स्थिति बदतर हुई तो खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को निकालने और बचाने में भारत सरकार के पसीने छूट जाएंगे। यह संतोष का विषय है कि भारतीय विदेश मंत्री संबंधित देशों के विदेश मंत्रियों से लगातार संपर्क में हैं। भारत को इस्राइल से भी संपर्क करना चाहिए। जैसी कि आशंका मैंने पहले ही व्यक्त की थी, अमेरिका और ईरान में सीधी मुठभेड़ होने से ज्यादा आशंका इसी बात की है कि पश्चिम और दक्षिण एशिया के देशों में स्थित अमेरिकी और इस्राइली ठिकानों को ईरान अपना निशाना बना सकता है। ऐसी स्थिति में भारत को काफी सावधान और सक्रिय रहना होगा।