प्रकृति के लिए अभिशाप का उदाहरण भर है प्लास्टिक स्ट्रॉ: सोलहेम

Update:2018-06-28 10:21 IST

दा नांग: संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख एरिक सोलहेम का कहना है कि प्लास्टिक से बने ड्रिंकिंग स्ट्रॉ उन कुछ बेकार प्लास्टिक उत्पादों का उदाहरण भर हैं, जो पर्यावरण के लिए अभिशाप साबित हुए हैं।

सोलहेम ने यहां आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "हमारे पास बेकार पैकेजिंग, बेमतलब के बेकार प्लास्टिक के थैले और अन्य उत्पाद बड़ी मात्रा में हैं जो महज कुछ मिनट या सेकेंड के लिए उपयोग में लाए जाते हैं और इनके बिना हम आसानी से रह सकते हैं।"

सोलहेम छठी वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) असेंबली में भाग लेने के सिलसिले में इस वियतनामी बंदरगाह शहर में हैं।

जीईएफ वैश्विक स्तर पर पर्यावरण परियोजनाओं के लिए खासकर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहे विकासशील देशों के लिए अनुदान प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है।

सोलहेम ने कहा, "निश्चित रूप से, इन (प्लास्टिक) से छुटकारा पाने के लिए कठोर नियम काम करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें बड़े पैमाने पर इसका उपभोग करने की आदतों की पुनर्समीक्षा के लिए सजग तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है।"

सोलहेम ने स्पष्ट कहा कि सरकारों को मजबूत नीति कार्रवाई की आवश्यकता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले आदतों को रोके और नए समाधान ढूंढ़ने के लिए अन्वेषकों को पुरस्कृत करे।

निजी क्षेत्र को विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी की नीति को अपनाने की जरूरत है, दूसरे शब्दों में कहे तो यह एक तरह से अपने उत्पादों के पूर्ण जीवन चक्र की जिम्मेदारी लेना और कल को होने वाले इससे नुकसान के समाधानों के लिए अन्वेषण करना है।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता पर उन्होंने कहा कि 2022 तक भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने का संकल्प करके बड़ी प्रतिबद्धता की है।

यह एक साहसिक प्रतिबद्धता है जो दुनियाभर में अविश्वसनीय रूप से एक मजबूत संदेश का प्रसार करती है। यह एक प्रकार का नेतृत्व बड़ी महत्वाकांक्षा है, जिसकी दुनिया को अभी जरूरत है।

सोलहेम 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण आधारित वैश्विक कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए भारत की राष्ट्रीय राजधानी आए थे, उन्होंने कहा कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ सबकुछ संभव है। भारत एक महान अन्वेषक है। सफलता के लिए सभी आवश्यक चीजें यहां हैं।

5 जून को भारत ने घोषणा की कि यह 2022 तक देश में प्लास्टिक की सभी एकल उपयोग वाले उत्पादों को खत्म कर देगा।

पिछले साल लॉन्च किए गए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के वैश्विक स्वच्छ समुद्र अभियान की सफलता पर, सोलहेम ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता स्पष्ट रूप से बढ़ी है।

तथ्य यह है कि प्लास्टिक प्रदूषण हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है और हम सभी अपनी खपत की आदतों के बारे में ज्यादा गंभीर रूप से सोचने लग रहे हैं। हम भारत और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से बहुत ही साहसिक नीति संकल्प लिया जाना देख रहे हैं।

उन्होंने कहा, "हमें अब इस संबंध में उठाए गए कदम को देखने की जरूरत है। इसका मतलब है कि जिस तरीके से हम इस चमत्कारी उत्पाद का उपयोग करते हैं, उसमें बड़े बदलाव की दरकार है। हमें बहुत ज्यादा होशियार होने की जरूरत है। हमें नया तरीका खोजने की जरूरत है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हो रही है? उन्होंने इसका जवाब 'हां' में दिया।

सोलहोम ने कहा, "मुझे लगता है कि हम निकट भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बिक्री में एक बड़ा उछाल देखेंगे और इसे जल्दी खरीदने वाले लाभ का फायदा उठाएंगे, अगर वे पेट्रोल और डीजल वाहनों के उपयोग में भी कमी लाने में कामयाब रहे।"

उन्होंने कहा कि वह उभरते बाजारों को पुरानी तकनीकों को छोड़ आगे बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में अधिक निवेश करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण ने मंगलवार को जीईएफ के नए चार साल के निवेश चक्र के तहत एक विद्युत वाहन कार्यक्रम शुरू किया, जिसे जीईएफ-7 के नाम से जाना जाता है।

वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रसार के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रमुख वैश्विक एजेंसियां हैं।

आईईए स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय विद्युत वाहन पहल का समन्वयक है, जबकि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सार्वजनिक और निजी परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को पेश कर भारत सहित 40 से अधिक देशों को सहयोग दे रहा है।

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