कोरोना में भी हिंदू-मुसलमान ?

इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है।

Update:2020-04-17 10:41 IST
कोरोना में भी हिंदू-मुसलमान ?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है। क्या कोई कल्पना भी कर सकता है कि जो लोग अपनी जान खतरे में डालकर आपकी जान बचाने आए हैं, आप उन्हीं पर पत्थर बरसा रहे हैं। यह किसी इंसान का काम तो नहीं हो सकता। यह तो शुद्ध जानवरपना है।

ऐसा क्यों हो रहा है ?

ऐसा क्यों हो रहा है ? इसका कारण अफवाहें हैं। गलतफहमियां हैं। भीड़भरे मोहल्लों और झोपड़पट्टियों में ऐसी गलतफहमियां फैला दी गई हैं कि ये डाॅक्टर तुम्हारे इलाज के लिए नहीं, तुम्हारी गिरफ्तारी के लिए आ रहे हैं। ये तुम्हे पहले पकड़वाएंगे और फिर इलाज के बहाने ऐसी सुई लगा देंगे, जो या तो तुम्हें नपुंसक बना देगी या मौत के घाट उतार देगी।

यह भी पढ़ें:वैज्ञानिक का दावा-इस देश में नवंबर में आएगी ऐसी तबाही, चलते-फिरते मरेंगे लोग

ये अफवाहें फैलाने वाले लोग कौन हैं ? ये सब लोग जमाती नहीं है। उनमें से कुछ हैं। जमाते-तबलीगी ने देश के मुसलमानों के बीच कोरोना किस रफ्तार से फैलाया, यह सबको पता है। उन्होंने जाने-अनजाने ही देश के मुसलमानों को भयंकर नुकसान तो किया ही, इस्लाम की बदनामी भी की।

सलमान खान की तरह करें हिम्मत

कुछ मुस्लिम नेताओं और कुछ प्रसिद्ध मुसलमानों ने दबी जुबान से इन तबलीगियों की आलोचना तो की लेकिन उन्होंने कड़ी भर्त्सना नहीं की। यह संतोष का विषय है कि भाजपा की सरकार ने इस सारे मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश नहीं की। मैं देश के मुस्लिम नेताओं, मौलानाओं, काज़ियों, कलाकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों आदि सभी से अनुरोध करता हूं कि इंदौर के सलीम भाई के बेटे और प्रसिद्ध फिल्मी-सितारे सलमान खान की तरह वे हिम्मत करें और दो-टूक बयान जारी करें।

यह भी पढ़ें: इस महिला ने कोरोना के डर से किया कुछ ऐसा, बुलानी पड़ गई पुलिस

हिंदू-मुसलमान, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर का भेदभाव क्यों?

जब कोरोना बिना भेद-भाव के सबके प्राण लेने पर उतारु है, तब हम इंसान लोग हिंदू-मुसलमान, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर का भेदभाव क्यों कर रहे हैं ? क्या ऐसे राष्ट्रीय संकट के समय में भी हम लोग एकता का परिचय नहीं दे सकते ? ऐसे संकट-काल में ये निराधार अफवाहें सबसे ज्यादा नुकसान किसका करती हैं ? गरीबों का, कम पढ़े-लिखे लोगों का, बेजुबान लोगों का, कमजोर लोगों का ! इसीलिए यह जरुरी है कि वे किसी के बहकावे में न आएं। अपनी बुद्धि से काम करें। अपनी जांच और इलाज के लिए खुद आगे आएं। कोरोना से हम सब मिलकर लड़ें।

यह भी पढ़ें: अभी नहीं मिलेगी कोरोना से राहत, मई के पहले हफ्ते में तेजी से बढ़ेंगे मरीज!

Tags:    

Similar News