ओवैसी बनेंगे खतरा: इन पार्टियों का बिगाड़ेंगे खेल, अब यहां की तैयारी

बिहार चुनाव के बाद ओवैसी की नजरें उन राज्यों पर टिकी हुई हैं जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल और असम में अगले साल विधानसभा चुनाव में जबकि उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होगा।

Update:2020-11-11 11:08 IST
एआईएमआईएम इस महीने पश्चिम बंगाल के 4 शहरों में 4 अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजेगी। पार्टी के इस प्रतिनिधिमंडल में 5-5 सदस्य होंगे।

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार फिर अधिकांश एग्जिट पोल फेल साबित हुए। एनडीए फिर राज्य में अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहा है। दूसरी ओर राजद की अगुवाई में महागठबंधन ने भी एनडीए को जोरदार टक्कर देते हुए 111 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की है। वैसे एनडीए और महागठबंधन के प्रदर्शन के बीच हर किसी की नजर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पर टिकी हुई है क्योंकि इस पार्टी ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर कमाल का प्रदर्शन किया है।

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ओवैसी की नजर अब इन राज्यों पर

बिहार चुनाव के बाद ओवैसी की नजरें उन राज्यों पर टिकी हुई हैं जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल और असम में अगले साल विधानसभा चुनाव में जबकि उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होगा। ऐसे में ओवैसी उन पार्टियों के लिए खतरा बनेंगे जिनकी मुस्लिम वोट बैंक पर नजर टिकी हुई है।

ओवैसी ने सीमांचल में दिखाई ताकत

बिहार के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने सीमांचल की सीटों पर अपनी ताकत दिखा दी है। पार्टी ने जहां पांच सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की है, वहीं कई सीटों पर ओवैसी की वजह से महागठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा है। इससे पता चलता है कि मुस्लिम वोट बैंक पर ओवैसी की मजबूत पकड़ है।

asaduddin owaisi (Photo by social media)

सीएए और एनआरसी का किया विरोध

सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज आदि जिलों में मुस्लिम आबादी 55 फ़ीसदी से ज्यादा है और यहां ओवैसी ने अपनी ताकत दिखा दी है। ओवैसी ने चुनाव प्रचार के दौरान सीमांचल में कई दिनों तक डेरा डाल रखा था और उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में सीएए और एनआरसी को लेकर जोरदार हमला बोला था। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि उन्हें कामयाबी मिली तो बिहार में सीएओ और एनआरसी को नहीं लागू होने देंगे। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर मुस्लिमों ने ओवैसी की पार्टी को समर्थन दिया है।

ओवैसी पर वोटकटवा होने का आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी,राजद नेता तेजस्वी यादव और कई अन्य दलों के नेता हमेशा ओवैसी पर वोटकटवा होने का आरोप लगाते रहे हैं। ओवैसी पर भाजपा की बी टीम होने का भी आरोप लगता रहा है क्योंकि कई बार वे मुस्लिम मतों का बंटवारा करके भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त कर देते हैं।

अब बंगाल और यूपी में दिखाएंगे ताकत

बिहार चुनाव नतीजों के बाद ओवैसी काफी उत्साहित हैं और उनका कहना है कि वह बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी अपनी ताकत दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ने हमें चुनाव लड़ने का अधिकार दिया है और मुझ पर आरोप लगाने वाले सियासी दल मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते।

उन्होंने कहा कि मुझ पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाया जाता है जबकि संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मैंने ही भाजपा का जमकर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370, एनआरसी, सीएए और यूएपीए पर हमने संसद में जोरदार तरीके से विरोध जताया था। ऐसे में मुझ पर आरोप लगाने वालों की बातों में कोई दम नहीं है।

बंगाल में ममता के लिए खतरे की घंटी

पश्चिम बंगाल में ओवैसी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा विरोधी दलों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकते हैं। पश्चिम बंगाल में करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ऐसे में ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम मतों में बंटवारा तय माना जा रहा है जिसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।

भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में अपनी ताकत दिखाई थी और 42 में से 18 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी।

भाजपा को होगा फायदा

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजर भी मुस्लिम वोटों पर टिकी हुई है। ममता पर समय-समय पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है मगर मुस्लिमों को लुभाने में जुटी ममता के लिए ओवैसी बड़ी मुसीबत साबित हो सकते हैं।

सियासी जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से तृणमूल कांग्रेस को झटका लग सकता है और इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। भाजपा ने पहले ही ममता को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।

BJP-flag (Photo by social media)

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यूपी में इन दलों के लिए मुसीबत बनेंगे ओवैसी

उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल सीटों पर भी ओवैसी सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकते हैं। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ओवैसी इन तीनों दलों के लिए खतरे की घंटी साबित होंगे और मुस्लिम मतों में बंटवारे का फायदा उत्तर प्रदेश में भी सीधे तौर पर भाजपा को ही होगा।

सियासी नजरिए से उत्तर प्रदेश को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और उत्तर प्रदेश में भी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में हर किसी की नजर ओवैसी के भावी कदमों पर टिकी हुई है।

रिपोर्ट-अंशुमान तिवारी

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