...तो क्या इनकी वजह से बिगड़ी दो राज्यों की चुनावी गणित
अमित शाह को 2014 लोकसभा चुनाव से 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। तब बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव के नतीजे भी सामने आ चुके हैं। वहीं, इस बार के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए उतने संतोषजनक नहीं है, जितने होने चाहिए थे। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी ने दोनों ही बार जबरदस्त परफ़ोर्म किया था। हालांकि, इस बार बीजेपी वैसा परफॉर्मेंस नहीं दे पायी है। ऐसे में अब बीजेपी के 'चाणक्य' अमित शाह पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अमित शाह ने जब से बतौर केंद्रीय मंत्री पद संभालना शुरू किया है, तब से वह बीजेपी का 'घर' नहीं देख पा रहे हैं। इसकी वजह से अब यह माना जा रहा है कि मोदी सरकार में अहम ज़िम्मेदारी मिलने के कारण अब वह बीजेपी को नहीं संभाल पा रहे हैं। बता दें, जब शाह केंद्रीय मंत्री बने तब बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को बनाया गया।
बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया फैसला
वहीं, बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया कि कुछ महीने तक अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे। लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब 5 महीने के अंदर महाराष्ट्र, हरियाणा और उपचुनाव के नतीजे सामने आए हैं, जिनपर अब सवाल खड़े हो गए हैं।
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ऐसे में अब ये सवाल किए जा रहे हैं कि क्या अमित शाह के सरकार में चले जाने से पार्टी को वैसे नतीजे नहीं मिल पाए, जैसे आने चाहिए थे? अमित शाह पार्टी को गृह मंत्रालय जैसे अहम विभाग संभालने के कारण टाइम नहीं दे पाये हैं, जिसकी वजह से इसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ा है।
महाराष्ट्र-हरियाणा में BJP फ़र्स्ट, मगर मन-मुताबिक नहीं हैं रिज़ल्ट
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद भी बीजेपी खुश नहीं हैं। दरअसल बीजेपी ने महाराष्ट्र में 288 सीटों में से 105 तो हरियाणा में 90 सीटों में से 40 सीटें ही बटोरी हैं। अभी भी दोनों राज्यों में बीजेपी फ़र्स्ट है लेकिन इसके बाद भी वह अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है। यही नहीं, बीजेपी ने पिछली बार के मुक़ाबले दोनों राज्यों में सीटें कम बटोरी हैं।
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पिछली बार बीजेपी को 122 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि इस बार बीजेपी को केवल 105 सीटें मिली हैं। वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में पिछली बार बीजेपी को 47 सीटें मिली थीं। इस बार की बात करें तो बीजेपी ने 40 सीटें हासिल की हैं। ऐसे में बीजेपी पर सवाल उठने लाजिमी है कि क्या बीजेपी के 'चाणक्य' की कम सक्रियता का असर नतीजों पर पड़ा है?
ऐसे बने बीजेपी के ‘चाणक्य’
अमित शाह को 2014 लोकसभा चुनाव से 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। तब बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसका श्रेय अमित शाह को जाता है कि 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने में उन्होंने अहम भूमिका ने निभाई। इसके बाद ही अमित शाह को साल 2014 में बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।