Bihar Politics: राजद-कांग्रेस में टक राव से सियासी माहौल गरमाया, दोनों में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं
Bihar Politics : बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं इसको लेकर राजद और कांग्रेस के बीच विवाद गहरा हो गया है।
Bihar Politics : बिहार में विधानसभा (Assembly Byelection) की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजद और कांग्रेस का विवाद गहरा गया है। कांग्रेस ने राजद नेतृत्व को साफ तौर पर चेतावनी दे दी है कि यदि कुशेश्वर स्थान से राजद (RJD) की ओर से प्रत्याशी वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस उपचुनाव की दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार देगी। राजद की ओर से दोनों सीटों पर प्रत्याशी के नाम घोषित किए जा चुके हैं। प्रत्याशियों की घोषणा से पहले राजद की ओर से कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं की गई। इसी कारण कांग्रेस की ओर से राजद की प्रेस कांफ्रेंस (Press Conference) का बहिष्कार किया गया था।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कुशेश्वर स्थान से कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था। इसी कारण कांग्रेस की ओर से इस सीट पर दावेदारी की जा रही है। कांग्रेस और राजद के इस ताजा विवाद से गठबंधन टूटने का भी खतरा पैदा हो गया है। कांग्रेस की चेतावनी के बावजूद अभी तक राजद की ओर से प्रत्याशी वापस लेने के मुद्दे पर कोई बात नहीं कही गई है।
महागठबंधन के टूटने का खतरा
कांग्रेस और राजद के बीच पैदा हुए इस विवाद से बिहार में विपक्षी महागठबंधन के टूटने का खतरा भी पैदा हो गया है। विपक्षी महागठबंधन में शामिल इन दोनों दलों ने पिछला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था । मगर अब दोनों के रिश्तों में खटास आ चुकी है। राजद की ओर से दरभंगा जिले की कुशेश्वर स्थान सीट से गणेश भारती को चुनाव मैदान में उतारा गया है ॥ जबकि मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट से अरुण कुमार साह को टिकट दिया गया है। इन दोनों सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होने वाला है। मतदान से पहले दोनों दलों के बीच तलवारें खिंच गई हैं।
कांग्रेस की ओर से तारापुर विधानसभा सीट पर तो नहीं मगर कुशेश्वर स्थान वाली सीट पर दावा किया जा रहा है। पिछले चुनाव में तारापुर विधानसभा सीट पर राजद का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था । जबकि कुशेश्वर स्थान सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नंबर दो पर रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने इन दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस भी उतारेगी दोनों सीटों पर प्रत्याशी
बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि राजद की ओर से एक तरफा एलान किए जाने से कांग्रेस काफी राहत है। राजद के दोनों प्रत्याशियों की घोषणा से पहले कांग्रेस से किसी भी प्रकार का विचार विमर्श नहीं किया गया। पार्टी की ओर से इसी कारण राजद की प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार किया गया। पार्टी की राज्य इकाई की ओर से आलाकमान को इस बाबत जानकारी दे दी गई है । अब हम भी दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुशेश्वरस्थान सीट पर राजद का कोई दावा नहीं बनता । क्योंकि कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर नंबर दो पोजीशन पर रही थी।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राजद की ओर से इस बाबत जल्द फैसला नहीं किया गया तो कांग्रेस भी जवाब देने के लिए तैयार बैठी है। कांग्रेस की राज्य इकाई की ओर से आलाकमान को दोनों प्रत्याशियों के नाम भेज दिए जाएंगे। इस बाबत मंगलवार को घोषणा की जा सकती है। बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक राम ने भी राजद को घेरते हुए गठबंधन धर्म का पालन न करने का आरोप लगाया है। उनका भी कहना है कि कांग्रेस की ओर से दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा जल्द की जा सकती है।
राजद ने कांग्रेस पर ही लगाया आरोप
दूसरी और राजद ने कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद और गलत बताया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पार्टी पर यह आरोप लगाना गलत है कि पार्टी ने कांग्रेस से चर्चा किए बिना अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। उन्होंने दावा किया कि लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की रजामंदी के बाद ही इन दोनों सीटों पर राजद की ओर से प्रत्याशियों के नाम का एलान किया गया है।
उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उसकी दिलचस्पी सिर्फ प्रत्याशी उतारने में ही है । जबकि राजद की दिलचस्पी दोनों सीटों को जीतने में है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर अनर्गल बयानबाजी से माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया। राजद प्रवक्ता ने कहा कि अब वोट हमारा, प्रत्याशी तुम्हारा वाली बात नहीं चल पाएगी। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को घेरते हुए कहा कि तेजस्वी यादव के फैसले पर सवाल नहीं किया जाना चाहिए।
जानकारों के मुताबिक दोनों सियासी दलों के बीच शुरू हुई खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर बिहार महागठबंधन में बड़े टकराव का संकेत दे रहा है। आने वाले दिनों में यह महागठबंधन में टूट का कारण भी बन सकता है। दोनों में से कोई भी सियासी दल झुकने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।