बिहार की सियासत गरमाई, तेजस्वी और पीके का नीतीश पर बड़ा हमला

कोटा और देश के विभिन्न जगहों पर बसे बिहार के छात्रों और मजदूरों के मुद्दे पर बिहार की सियासत गरमा गई है। राजद के नेता तेजस्वी यादव और चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जबर्दस्त हमला बोला है।

Update: 2020-04-18 16:16 GMT

नई दिल्ली: कोटा और देश के विभिन्न जगहों पर बसे बिहार के छात्रों और मजदूरों के मुद्दे पर बिहार की सियासत गरमा गई है। राजद के नेता तेजस्वी यादव और चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जबर्दस्त हमला बोला है। दोनों नेताओं का कहना है कि बिहार के लोग देश के विभिन्न जगहों पर मुसीबतों का सामना कर रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लॉकडाउन का पाठ पढ़ा रहे हैं।

तेजस्वी ने नीतीश को लिखा खुला पत्र

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार के नाम एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में नीतीश सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। तेजस्वी का आरोप है कि नीतीश सरकार ने प्रदेश के बाहर फंसे बिहार के गरीबों, मजदूरों और छात्रों को बेसहारा छोड़ दिया है।



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मजदूरों और छात्रों से बेरुखी भरा व्यवहार

तेजस्वी यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिरकार बिहार सरकार इतना निर्णय की स्थिति में क्यों है। उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि प्रवासी मजदूरों और छात्रों के साथ सरकार इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए कोई प्रबंध करने की गुहार लगा रहे हैं मगर सरकार के रुख को देखकर लगता है जैसे उसे छात्रों की कोई फिक्र ही नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर छात्रों के प्रति नीतीश सरकार इतनी असंवेदनशील क्यों है?

पीके ने नीतीश को कटघरे में खड़ा किया

किसी जमाने में नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दूसरे राज्यों की सरकारें अपने लोगों के लिए इतना कुछ कर रही हैं मगर नीतीश कुमार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। यहां तक कि उन्होंने प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में भी यह मुद्दा नहीं उठाया।



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नीतीश के रुख पर उठाए सवाल

प्रशांत किशोर ने इस बाबत एक ट्वीट करते हुए उस समाचार रिपोर्ट को भी संलग्न किया है जिसमें नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान के कोटा से अपने छात्रों को लाने के लिए बस भेजने पर आपत्ति जताई है। नीतीश ने योगी सरकार के इस कदम पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह कदम उठाना लॉकडाउन का मखौल उड़ाना है। उन्होंने राजस्थान सरकार से बसों के परमिट वापस लेने और कोटा में ही छात्रों को सुरक्षा देने की भी मांग की थी। नीतीश कुमार का कहना है कि जब देश में कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित है तो ऐसे कदम उठाने से कोरोना का संक्रमण हो सकता है।

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जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का आरोप

प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार के रुख से साफ है कि उन्होंने बिहार के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। सही कदम तो यह होता कि नीतीश कुमार देश के विभिन्न जगहों पर फंसे बिहार के लोगों को वापस अपने घरों तक पहुंचने में मदद करते मगर वे लॉकडाउन की दलील देकर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं।

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