ELECTION: तैयारियों में जुटी बसपा, दलित वर्ग को लुभाने की कोशिश

Update: 2018-07-16 10:54 GMT

लखनऊ: लोकसभा चुनाव नजदीक है। यूपी में पीएम नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के दिग्गज नेताओं का दौरा लगातार जारी है। सियासी माहौल दिन-ब-दिन गरमाता जा रहा है। बसपा भी इसमें पीछे नहीं है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने चुनावी नब्ज को भांप लिया है। जल्द चुनाव की आशंका भी जताई है। इसको देखते हुए पार्टी अभी से कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार करने में जुट गई है।

आयोजित हुआ सम्‍मेलन, दलितों पर फोकस

सोमवार को राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लखनऊ और कानपुर मंडल का मंडलीय सम्मेलन आयोजित हुआ। साइलेंट प्रचार की रणनीति के लिए पहचाने जाने वाली बसपा आगामी चुनाव में आक्रामक तौर तरीकों से मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है। सम्मेलनों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं को आगामी चुनावी रणनीति से अवगत कराया जा रहा है। खासकर दलित वोट बैंक को एकजुट करना पार्टी की पहली प्राथमिकता है। हालांकि बसपा के मंडलीय सम्मेलनों की शुरूआत 18 सितम्बर 2017 को ही शुरू हुई थी। जिसका समापन 18 मई को हुआ। सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, नेशनल कोआर्डिनेटर वीर सिंह मौजूद हैं।

चुनावी समीक्षकों के मुताबिक भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाने वाले दलों ने अब नया पैंतरा आजमाना शुरू कर दिया है। अगड़ों, पिछड़ों और दलित वर्ग को लुभाने की कोशिश हो रही है। समीक्षकों के मुताबिक सियासी दल पिछड़ों और दलितों को संविधान में दिए गए उनके अधिकार का हवाला देकर जातीय राजनीति को और मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं। उनका मानना है कि ध्रुवीकरण की राजनीति को जातीय राजनीति का कार्ड ही जवाब दे सकता है। आगामी चुनाव में हिंदू—मुस्लिम बनाम जातीय राजनीति की जंग दिलचस्प होगी।

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