कांग्रेस के इस दिग्गज नेता ने मोदी सरकार से कर दी ऐसी मांग, बढ़ सकती है टेंशन
लॉकडाउन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज का एलान करने के बाद से इस पर सियासत शुरू हो गई है। रविवार को निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा समेत कई अन्य बिन्दुओं पर सरकार की ओर से खर्च किये जा रहे पैसे का ब्यौरा दिया।
नई दिल्ली: लॉकडाउन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज का एलान करने के बाद से इस पर सियासत शुरू हो गई है। रविवार को निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा समेत कई अन्य बिन्दुओं पर सरकार की ओर से खर्च किये जा रहे पैसे का ब्यौरा दिया।
जिसके बाद से सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सरकार पर पलटवार किया। उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज पर निराशा जताते हुए सरकार को इस पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए और 10 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लोगों के खातों में 33,000 करोड़ रुपये भेजना, मुफ्त अनाज देने के लिए 60,000 करोड़ रुपये खर्च करना और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च करना, ऐसे कदम हैं जिन्हें सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की श्रेणी में रखा जा सकता है।
पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि सरकार की ओर से घोषित पैकेज में सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि है जो भारत की जीडीपी का सिर्फ 0.91 फीसदी है।
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कांग्रेस नेता ने लगाया पीएम मोदी पर आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के आर्थिक पैकेज से 13 करोड़ कमजोर परिवार, किसान, मजदूर और बेरोजगार हो चुके लोग असहाय छूट गए हैं।
पूर्व वित्त मंत्री ने सरकार से आग्रह किया, 'सरकार आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करे, समग्र राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करे जो जीडीपी का 10 फीसदी हो. यह 10 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज होना चाहिए।
फिलहाल सरकार को राजकोषीय घाटे और विदेशी एजेंसियों की रेटिंग पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा लोगों के हाथ में पैसे देकर मांग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से मीडिया से कहा, 'हमने वित्त मंत्री की ओर से घोषित पैकेज का पूरे ध्यान से विश्लेषण किया। हमने अर्थशास्त्रियों से बात की।
हमारा यह मानना है कि इसमें सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये का राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज है।' आर्थिक बजट की शेष राशि कई बजट का हिस्सा है और कई घोषणाएं कर्ज देने की व्यवस्था का हिस्सा हैं।'
कर्ज की व्यवस्था कर अर्थव्यवस्था में सिर्फ आपूर्ति के पक्ष को मजबूत किया जा सकता है, लेकिन मौजूदा हालात में मांग बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है।
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गरीबों की अनदेखी का आरोप
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर मनरेगा का मजाक मनाया था. आज वही मनरेगा ग्रामीण भारत में संजीवनी का काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'सरकार गरीबों की अनदेखी कर रही है, सुधारों को लेकर अवसरवादी रुख अपना रही है और संसद में चर्चा और लोगों की राय दरकिनार कर रही है।
जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।' कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि वित्तमंत्री के पांच दिनों के धारावाहिक से देश के गरीबों, मजदूरों, किसानों और मध्य वर्ग के लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगी है।
यह जुमला पैकेज है. वित्तमंत्री ने जो पांच दिनों तक धारावाहिक दिखाया है। उससे साबित होता है कि इस सरकार को गरीबों की कोई चिंता नहीं है, लोगों की दर्द की अनदेखी की गई है।