Shashi Tharoor Politics: मात्र 22 साल की उम्र में पीएचडी करने वाले शशि थरूर की दावेदारी कितनी मजबूत

Congress Shashi Tharoor: कांग्रेस सांसद शशि थरूर का जिक्र होते ही एक बेहतरीन अंग्रेजी वक्ता की छवि लोगों के सामने उभरकर आती है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-10-19 04:33 GMT

शशि थरूर (photo: social media ) 

Congress Shashi Tharoor Wiki in Hindi: देश की सबसे पुरानी पार्टी के सर्वोच्च पद पर कौन आसीन होगा, इसे लेकर इन दिनों जबरदस्त गहमागहमी है। गांधी-नेहरू परिवार द्वारा अध्यक्षी के चुनाव की रेस से खुद को अलग करने के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव काफी पेचीदा हो गया है। इस पद के लिए कई दावेदार बताए जा रहे हैं। लेकिन गुरूवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस रेस से बाहर होने के बाद एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और केरल से सांसद शशि थरूर अब प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे हैं।

शुक्रवार यानी आज कांग्रेस अध्यक्ष के लिए दावेदारों के पास नामांकन भरने का आखिरी दिन है। दिग्विजय सिंह नामांकन फॉर्म ले चुके हैं, जिसे वे आज जमा करेंगे। वहीं, दूसरे दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भी अपने ऐलान के मुताबिक आज नामांकन भरेंगे। कांग्रेस के अंदर असंतुष्ट नेताओं का खेमा जी-23 के अहम सदस्य रहे शशि थरूर की दावेदारी काफी दिलचस्प है। थरूर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। बड़ी संख्या में उनके फॉलोअर्स भी हैं। तो आइए एक नजर उनके अब तक के सफर और दावेदारी पर डालते हैं –

छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति में रख दिया था कदम

वर्तमान में भारतीय राजनीति के कई ऐसे दिग्गज सितारे हैं, जिनकी जड़े छात्र राजनीति से जुड़ी है। ये आज राज्य और देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर भी इन्हीं नेताओं में शुमार हैं। उनके बारे में बताया जाता है कि वे कॉलेज के समय से ही डिबेट, क्विज और कॉलेज से जुड़ी दूसरी गतिविधियों में काफी एक्टिव रहते थे। कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही उनकी छवि एक मुखर वक्ता के तौर पर बन चुकी थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने वाले थरूर ने साल 1974 के छात्रसंघ चुनाव में जीत हासिल की थी। उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत यहीं से हुई थी।

मात्र 22 साल की उम्र में पीएचडी

शशि थरूर बचपन में काफी मेधावी छात्र थे। इसकी पुष्टि उनके शानदार करियर से होती है। थरूर 1975 में सेंट स्टीफेंस से स्नातक करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए थे। यहां से उन्होंने मेडफोर्ड स्थित टफ्ट विश्वविद्यालय के 'द फ्लेचर स्कू़ल ऑफ लॉ एंड डिप्लोेमेसी' से इंटरनेशनल रिलेशन में एमए किया। इसके बाद उन्होंने लॉ और डिप्लोमेसी में आगे की पढ़ाई की। 1978 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी पूरी की। थरूर फ्लेचर स्कूपल से डॉक्टरेट की डिग्री पाने वाले सबसे युवा थे। उन्होंने मात्र 22 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री पूरी कर ली थी।

शशि थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था। वो जब दो साल के थे तब उनके माता-पिता वापस भारत आ गए थे। मलयाली परिवार से आने वाले थरूर के पिता का नाम चंद्रन थरूर और माता का नाम सुलेखा मेनन था। उनकी दो छोटी बहने हैं, शोभा और स्मिता।

यूएन महासचिव पद के चुनाव में पिछड़े

शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में लंबा समय बीताया है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों में काफी अनुभव है। उनकी काबिलियत को देखते हुए साल 2006 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने उन्हें यूएन सेक्रेटरी – जनरल पद के लिए नामित किया था। यदि थरूर वह चुनाव जीत जाते तो दूसरे सबसे युवा महासचिव होते। उनकी उम्र तब 50 साल थी। डिप्लोमेसी के शानदार करियर के दौरान उन्होंने किताब लिखने की अपनी आदत जारी रखी, जो उन्हें 10 साल की उम्र से थी। उन्होंने अब तक दो दर्जन से अधिक किताबें लिख डाली हैं और कई पुरस्कार जीते हैं।

कांग्रेस में एंट्री

संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर पहुंचने में असफल होने के बाद शशि थरूर देश की राजनीति में एक्टिव हो गए। कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ाव महसूस करने के कारण उन्होंने यहीं से अपनी सियासी पारी की शुरूआत की। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में तमाम विरोधों के बावजूद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने उन्हें केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम से टिकट दिया। शुरू में थरूर को हल्का कैंडिडेट माना गया लेकिन जब नतीजे आए तो उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल कर आलोचकों को चुप करा दिया। इसके बाद से तो ये सीट उनका गढ़ बन चुकी है। वे यहां से हैट्रिक लगा चुके हैं। थरूर ने यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन राज्य मंत्री का जिम्मा भी संभाला। हालांकि, आईपीएल की टीम कोच्चि से जुड़े विवाद के कारण उन्हें अपना पद गंवाना भी पड़ा था।

युवाओं के बीच काफी फेमस

कांग्रेस सांसद शशि थरूर का जिक्र होते ही एक बेहतरीन अंग्रेजी वक्ता की छवि लोगों के सामने उभरकर आती है। पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत समेत अन्य बातों को लेकर काफी विवादों में रहने वाले थरूर इन सबके बावजूद युवाओं में काफी लोकप्रिय रहे हैं। शशि थरूर शहरों में रहने वाले अंग्रेजी भाषी युवाओं के बीच खासतौर पर लोकप्रिय हैं। उनका कोई भी पब्लिक लेक्चर ऐसा नहीं होता है, जहां युवाओं की भीड़ इकट्ठा न हो। उनकी संवाद शैली कमाल की है। वे हिंदी भी अच्छा बोल लेते हैं। एक ऐसे समय में जब कांग्रेस के नेता लोगों के बीच अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं, थरूर ऐसे नेता के तौर पर उभरे हैं, जिन्हें लोग खासकर युवा सुनना चाहती है। कांग्रेस सांसद का वो भाषण आज भी इंटरनेट पर खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें वो ब्रिटेन से सबसे अमीर देशपर पर कब्जे के लिए मुआवजा मांग रहे हैं।

अध्यक्षी चुनाव के लिए दावेदारी कितनी मजबूत

कांग्रेस सांसद शशि थरूर भले देशभर में युवाओं के बीच अन्य कांग्रेसी नेताओं के मुकाबले लोकप्रिय हों लेकिन उनके अपने गृह राज्य केरल में ही उनकी पकड़ सीमित है। उन्हें केरल कांग्रेस के 1 टू 5 टॉप लीडर्स में भी नहीं गिना जाता। यही वजह है कि केरल कांग्रेस ने उनकी दावेदारी का समर्थन नहीं किया है और साफ कर दिया है कि आलाकमान के उम्मीदवार को ही समर्थन दिया जाएगा। ऐसे में शशि थरूर की दावेदारी सवालों के घेरे में है।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शशि थरूर चुनाव लड़कर गांधी परिवार को चुनौती नहीं दे रहे हैं बल्कि उनके चुनाव में खड़े होने से ये संदेश जाएगा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई भी लड़ सकता है। वो भी जो कि एक समय शीर्ष परिवार की कार्यशैली पर सवाल उठा चुका है। ये एक बड़ा मैसेज है जो बाहर जा रहा है। जी-23 के जितने अधिक नेता चुनाव मैदान में होंगे, पार्टी के लिए उतना अच्छा होगा।

शशि थरूर खुद जानते हैं कि बेहतर अंग्रेजी के साथ – साथ हिंदी बोलने के बावजूद उन्हें जीतने लायक समर्थन नहीं मिलेगा। लेकिन इस दावेदारी में शामिल होकर वे कांग्रेस के बड़े नेताओं के गुट में शामिल हो गए हैं।

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