महाराष्ट्र में शिवसेना व कांग्रेस में टकराव, दोनों दलों की जंग से उद्धव सरकार पर संकट
ताजा राजनीतिक बयानबाजी से साफ है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव दिख सकता है। शिवसेना की कार्यशैली से केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनसीपी के नेता भी भीतरी तौर पर काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने एक साल का कार्यकाल भले ही पूरा कर लिया है मगर ताजा राजनीतिक बयानों से साफ है कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। हालांकि गठबंधन में शामिल तीनों घटक दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की ओर से दावा किया जाता रहा है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई में सरकार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी मगर हकीकत में ऐसा होता नहीं दिख रहा।
शिवसेना से कांग्रेस-एनसीपी नाराज
ताजा राजनीतिक बयानबाजी से साफ है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव दिख सकता है। शिवसेना की कार्यशैली से केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनसीपी के नेता भी भीतरी तौर पर काफी नाराज बताए जा रहे हैं। राज्य की सियासत में सबसे बड़ा विवाद औरंगाबाद शहर का नाम बदलने की शिवसेना की कोशिशों को लेकर पैदा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल शिवसेना और कांग्रेस के बीच तीखी तकरार शुरू हो गई है।
तर्क कांग्रेस को मंजूर नहीं
शिवसेना का का कहना है कि यदि किसी को क्रूर एवं धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब अच्छा और प्रिय लगता है तो इसे सही मायने में धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता। शिवसेना नेता औरंगाबाद शहर का नाम बदलने की वकालत कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस को शिवसेना के इन प्रयासों पर गहरी आपत्ति है। कांग्रेस ने शिवसेना और मुख्य विपक्षी दल भाजपा पर औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने सवाल किया है कि पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र में सत्ता में रहने के दौरान इन दोनों दलों को यह बात क्यों नहीं याद आई।
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औरंगाबाद को लेकर शिवसेना की प्रतिबद्धता
औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी के नाम पर संभाजी नगर करने के प्रति शिवसेना की पुरानी वैचारिक प्रतिबद्धता रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में इस बाबत लिखे अपने लेख में कहा है कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां औरंगाबाद का नाम बदलने के विरोध में इसलिए हैं क्योंकि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि इससे मुस्लिम नाराज हो जाएंगे और उनके वोट बैंक और धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने औरंगजेब को धार्मिक रूप से अंधा बताते हुए कहा कि वह ऐसा शासक था जो हिन्दू धर्म के प्रति नफरत पालता था।
औरंगजेब के नाम पर नहीं चाहिए शहर
राउत के मुताबिक औरंगजेब छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति दुश्मनी का भाव रखता था और उसने छत्रपति संभाजी महाराज को भी काफी सताकर मारा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में तो कम से कम औरंगजेब के नाम पर कोई शहर नहीं होना चाहिए। जिन्हें औरंगजेब प्रिय लगता है, उनके सामने झुकना धर्मनिरपेक्षता नहीं है।
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शिवसेना के प्रयासों पर कांग्रेस को आपत्ति
दूसरी और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट को शिवसेना के इन प्रयासों पर आपत्ति है। उनका कहना है कि की भावुकता की राजनीति के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर संभाजी नगर रखने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के इन प्रयासों को भाजपा का भी समर्थन है मगर इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना आपने वोटों को लेकर चिंतित और परेशान है। इसीलिए नाम बदलने का यह खेल शुरू किया गया है।
कांग्रेस को सिखाने की जरूरत नहीं
थोराट ने कहा कि जो लोग छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर सियासत करते हैं, उन्हें कांग्रेस को सिखाने की जरूरत नहीं है। हम भी मराठी हैं और छत्रपति शिवाजी और संभाजी हमारे लिए देवता हैं मगर हम उनके नाम पर वोट नहीं मांगते। हालांकि उन्होंने दावा किया कि राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार स्थिर है क्योंकि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार काम कर रही है।
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एनसीपी का भी शिवसेना पर हमला
दूसरी ओर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र अवध ने भी शिवसेना पर हमला बोला है। ठाणे जिले के कल्याण में सड़कों की खराब हालत का जिक्र करते हुए उन्होंने इसके लिए शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि राज्य में कल्याण की सड़कों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जिस समय अवध शिवसेना पर हमला कर रहे थे उस समय मंच पर स्थानीय शिवसेना विधायक विश्वनाथ भोइर भी मौजूद थे। नगर निगम में भी कल्याण का इलाका शिवसेना के ही पास है।
गठबंधन में चल रही है उठापटक
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की ताजा बयानबाजी से साफ है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि अगर इसी तरीके से तीनों घटक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा तो निश्चित रूप से उद्धव सरकार के लिए कार्यकाल पूरा करना कठिन हो जाएगा।
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