RSS के मुखपत्र में बीजेपी नेताओं को नसीहत, हर बार मोदी-शाह मदद को नहीं आएंगे

दिल्ली चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक देने के बाद भी बीजेपी को 70 में से सिर्फ 8 सीटों पर ही जीत हाथ लगी। अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अंग्रेजी मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार की विवेचना और समीक्षा छापी गई है।

Update: 2020-02-21 07:58 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक देने के बाद भी बीजेपी को 70 में से सिर्फ 8 सीटों पर ही जीत हाथ लगी। अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अंग्रेजी मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार की विवेचना और समीक्षा छापी गई है। आरएसएस ने एक लेख में बीजेपी, पार्टी की दिल्ली यूनिट और चुनाव में उतारे गए उम्मीदवारों के बारे में विस्तार से लिखा है।

दीन दयाल उपाध्याय के एक उद्धरण वाले एक आर्टिकल में लिखा है, 'एक खराब उम्मीदवार सिर्फ इसलिए खुद के बेहतर होने का दावा नहीं कर सकता क्योंकि जिस पार्टी से वह ताल्लुक रखता है वह बेहतरीन है। एक दुष्ट, दुष्ट ही होता है...'। इस लेख में जोर देकर कहा गया है कि बीजेपी को एक संस्थान होने के नाते यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी 'हमेशा मदद नहीं कर सकते।'

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'पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत'

दिल्ली में फिजा बदली है और इस पर आर्टिकल में लिखा गया है, 'नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा विधानसभा स्तर के चुनावों में मदद नहीं कर सकते और कोई विकल्प नहीं है। लेकिन दिल्ली में स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है।'

इस आर्टिकल को एडिटर प्रफुल्ला केतकर ने लिखा है और इसका टाइटल है, 'Delhi's Divergent Mandate', इसमें दिल्ली में 'सिटी-स्टेट वोटिंग बिहेवियर को समझने पर जोर दिया गया है।

 

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आर्टिकल में कहा गया है कि 'शाहीन बाग नरेटिव' बीजेपी के लिए असफल रहा क्योंकि अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे पर एकदम स्पष्ट थे। हालांकि, लेखक ने केजरीवाल के 'भगवा अवतार' पर भी प्रकाश डाला है और संकेत दिए हैं कि बीजेपी को उन पर नजर रखनी चाहिए।

आर्टिकल में लिखा है, 'सीएए के बहाने मुस्लिम कट्टरवाद के इस जिन्न का प्रयोग हुआ जो केजरीवाल के लिए परीक्षण का नया मैदान बन सकता है। केजरीवाल ने इस खतरे पर किस तरह प्रतिक्रिया दी है। उनका हनुमान चालीसा पढ़ना कितना सही था?'

इससे पहले खबर आई थी कि संघ और वीएचपी दोनों ने ही हिंदू-केंद्रित राजनीति की जिसके चलते केजरीवाल को बदलते ट्रेंड को अपनाना पड़ा। लेकिन केतकर का मानना है कि यह आप की 'असल' साइड नहीं है।

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