हाशिमपुरा नरसंहार: दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला न्याय की जीत: मौलाना मदनी

Update:2018-11-01 19:07 IST

सहारनपुर: जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाशिमपुरा नरसंहार पर दिल्ली उच्च न्यायलय के फैसला का खैरमकदम किया है। मौलाना ने कहा कि 31 साल के लम्बे इंतजार के बाद ही सही पीडि़तों को इंसाफ मिला है। कोर्ट के इस फैसले से इंसाफ का सर बुलंद हुआ है।

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1987 में हुआ था नरसंहार

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मेरठ के हाशिमपुरा इलाके में सन 1987 में हुए नरसंहार मामले में अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 16 पूर्व पीएसी जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट के इस फैसले पर इत्‍मीनान जाहिर करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार पीडि़तों को इंसाफ और दोषियों को सजा मिली है।

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अब तक हो चुके 25 हजार से ज्‍यादा फसाद

मौलाना मदनी ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक देश में 25 हजार से ज्यादा फसाद हो चुके हैं। अधिकतर मामलों में अभी तक पीडि़तों को इंसाफ नहीं मिल पाया है। मौलाना ने दो टूक कहा कि आजादी के फौरन बाद हुए जबलपुर जैसे भयानक फसाद में दोषियों को सजा मिल जाती और कानून व इंसाफ के मायार को बरकरार रखा जाता तो शायद अन्य फसाद न होते और साम्प्रदायिकता को फैलने से भी रोका जा सकता था। लेकिन अफसोस देश में एक के बाद एक फसाद होता गया और सरकारी स्तर पर पीडि़तों के साथ भेदभाव वाला रवैया अपनाया गया। जिससे फसादियों के हौसले बुलंद हुए। जिसके बेहद खतरनाक नतीजे आज हम सबके सामने हैं।

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इंसाफ का न हो दोहरा रवैया

मौलाना ने कहा कि हमारा मानना है कि इंसाफ का दोहरा रवैया नहीं होना चाहिए। अगर कोई मुजरिम है तो उसका धर्म व रुतबा देखे बिना उसे सजा मिलनी चाहिए। गौरतलब होगा कि मेरठ के हाशिमपुरा मामले में ही सन 2015 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सभी आरोपियों को क्लीच चिट दे दी थी। जिसके बाद मौलाना अरशद मदनी ने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव से मुलाकात कर पीडि़तों को इंसाफ दिलाने के लिए ऊपरी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की मांग की थी। मौलाना मदनी की अपील पर अखिलेश सरकार ने हाशिमपुरा कांड के अड़तालीस पीडि़तों को पांच-पांच लाख रुपये आर्थिक मदद देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसके नतीजे में ही आज हाशिमपुरा पीडि़तों को न्याय मिला है।

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