INTERVIEW: कर्ज माफी से भी आगे योगी सरकार ने बनाई किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं
देवरिया जिले के सूर्य प्रताप शाही चौथी बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने हैं। प्रदेश में भाजपा की बनी सरकारों में शाही कई विभागों के मंत्री रहे।
लखनऊ: देवरिया जिले के सूर्य प्रताप शाही चौथी बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने हैं। प्रदेश में भाजपा की बनी सरकारों में शाही कई विभागों के मंत्री रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहते शाही को संगठन का भी लंबा अनुभव है। शाही एक बड़े काश्तकार परिवार से हैं। किसानों की समस्या की बारीकी से जानकारी होने के कारण ही शायद योगी मंत्रिमंडल में उन्हें कृषि विभाग का दायित्व दिया गया है। किसानों की समस्याओं तथा कृषि उत्पादन बढ़ाने जैसे तमाम मुद्दों पर विजय शंकर पंकज ने सूर्य प्रताप शाही से बातचीत की।
Newstrack.com- कर्ज माफी के बाद किसानों के हित के लिए पहली प्राथमिकता क्या है?
शाही- प्रदेश में बहुत छोटी जोत के किसान हैं। जिनकी सबसे बड़ी समस्या बीज, खाद, कीटनाशक के लिए धन जुटाने की होती है। सिंचाई संसाधनों तथा जुताई आदि कार्यों के लिए भी किसानों को पैसा चाहिए। यही वजह रही कि छोटे एवं सीमान्त किसान ने बंैकों से कर्जा लेकर खेती तो की परन्तु सूखा तथा दैवी आपदा के कारण समुचित उत्पादन न होने के कारण कर्ज की भरपाई नहीं कर पाया।
बहरहाल, किसानों की कर्ज माफी का निर्णय पहला कदम है। परन्तु किसानों के हित में सरकार ने उससे आगे की भी कई कार्य योजनाएं बनायी हैं। इसके लिए फसल बीमा योजना के तहत सभी किसानों का बीमा पंजीकरण कराया जाना है। अभी तक प्रदेश में फसली बीमा योजना कुछ किसानों तक ही सीमित है और उसमें भी किसानों को उनकी क्षतिपूॢत का पूरा मुआवजा नहीं मिल पाता है।
अभी तक प्रदेश में 2 बीमा कंपनियां ही फसली बीमा का काम कर रही थीं जिनकी मनमानी चल रही है। राज्य सरकार ने फसल बीमा योजना को और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सभी सक्षम बीमा कंपनियों को इस क्षेत्र में आने के लिए आमन्त्रण किया है। इसके तहत प्रदेश को १२ कलस्टर में विभाजित किया गया है जिसके तहत एक कंपनी को अधिकतम केवल २ कलस्टर में ही बीमा का अधिकार दिया जाएगा।
आपदा की स्थिति में किसान की क्षति का समय से भुगतान हो, इसके लिए शर्तों में बदलाव कर बीमा कंपनियों को उत्तरदायी बनाया जाएगा। समय से भुगतान न करने वाली कंपनी को ब्याज देना पड़ेगा।
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Newstrack.com- गन्ना किसान फसली बीमा योजना का विरोध कर रहे हैं। उनको भुगतान ज्यादा करना पड़ता है और कोई लाभ नहीं मिलता है। गन्ना किसानों की मांग के संदर्भ में सरकार क्या कर रही है?
शाही- यह सही है कि गन्ना किसान फसल बीमा योजना से बाहर करने की मांग कर रहे हैं परन्तु पिछली सरकारें बीमा कंपनियों के दबाव में किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रही थीं। गन्ना ऐसी फसल है जिसे प्राकृतिक या दैवी आपदाओं से कम नुकसान होता है।
इसके कारण गन्ना किसानों को बीमा का ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ता था जबकि उनकी किसी तरह की क्षतिपूॢत नहीं होती थी। गन्ना किसानों की इन मांगों पर विचार करते हुए योगी सरकार ने गन्ना को फसली बीमा योजना ने अलग रखने का निर्णय लिया है।
Newstrack.com- उत्तर प्रदेश में अच्छी कृषि योज्य भूमि होते हुए भी पंजाब- हरियाणा की तुलना में बहुत कम उत्पादन औसत है। राज्य सरकार कृषि उत्पादन बढ़ाने की दिशा में क्या काम कर रही है?
शाही- फिलहाल गेहूं एवं गन्ना के उत्पादों में औसत बढ़ोतरी के लिए काम चल रहा है। इसके लिए उत्तम बीज, खाद तथा कीटनाशक के साथ सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है।
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Newstrack.com- किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सरकार क्या काम कर रही है?
शाही- सरकार ने किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। गेहूं की खरीद के लिए 5000 क्रय केन्द्र खोले गए हैं। सरकार ने 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि पिछली सरकार ने 40 लाख मीट्रिक टन का ही लक्ष्य रखा था।
सरकार की क्रय नीति से किसान बिचौलियों तथा कम दाम पर खरीदने वाले व्यापारियों का शिकार नहीं हो पाएगा। इसी प्रकार सरकार ने किसानों का पूरा आलू खरीदने का भी निर्णय लिया है। 487रुपए प्रति कुन्टल की दर से आलू खरीदने का निर्णय लिया है जिससे आलू का मार्केट रेट भी बढ़ा है।
Newstrack.com- बुन्देलखंड का किसान पिछले कई वर्षा से सूखा पीडि़त है। वहां भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गये थे।
शाही- बुन्देलखंड के किसानों को फसल बीमा योजना का 46.5 करोड़ रुपए का भुगतान कराया गया है। वहां ज्यादार किसानों को गुड़ और तिलहन के उत्पादन में ही नुकसान हुआ था जबकि गेहूं का उत्पादन अच्छा हुआ है। बुन्देलखंड में इसी वर्ष 1000 खेत तालाब बनाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। समर्थ किसानों को अनुदान देकर सोलर नलकूप लगाये जाएंगे।
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Newstrack.com- अन्य कृषि उत्पाद बढ़ाने की क्या कार्य योजना है?
शाही- परम्परागत खेती के साथ किसानों को नकदी फसल योजना के तहत सब्जी एवं फल उत्पादन बढ़ाने की योजना है। अभी तक दो जिलों में केला और मिर्ची की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब 7 जिलों (कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, बाराबंकी, कौशाम्बी, महराजगंज तथा इलाहाबाद) में केला और 6 जिलों (फतेहपुर, फिरोजाबाद, लखीमपुर, बाराबंकी, मि$र्जापुर एवं बरेली) में मिर्ची खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाएगा।
Newstrack.com- प्रदेश में कृषि शोध का काम नगण्य है जिससे प्रदेश की परिस्थितियों के अनुरूप कृषि कार्य की प्रगति नहीं हो पा रही है। इस दिशा में सरकार क्या काम कर रही है?
शाही- राज्य सरकार ने केन्द्र के सहयोग से कार्य योजना बनायी है। इसके तहत प्रदेश में 20 कृषि विज्ञान केन्द्र खोले जाएंगे। इसका पूरा वित्तीय खर्च केन्द्र सरकार देगी जबकि राज्य सरकार आवश्यक भूमि उपलब्ध कराएगी। राज्य सरकार ने इन 20 जिलों का चयन कर संबंधित जिलाधिकारियों को आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने के लिए शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
जिन जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र खोले जाने हैं उसमें लखीमपुर-खीरी, हरदोई, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, सुलतानपुर, बहराइच, बदायंू, मुरादाबाद, गोण्डा, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, हापुड, शामली, संभल, अमेठी, कासगंज, श्रावस्ती, अमरोहा तथा इलाहाबाद हैं।