तनावपूर्ण माहौल के बीच जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे अमित शाह, ये है मंशा

भारतीय संविधान का आर्टिक्ल 82 कहता है कि हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जा सकता है, जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर तमान लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण हो सकता है।

Update:2019-08-04 12:25 IST
तनावपूर्ण माहौल के बीच जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे अमित शाह, ये है मंशा

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को लेकर सियासत तेज हो गयी है। ऐसे में अब संसद सत्र के बाद गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर दौरे पर जाएंगे। बता दें, राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसकी वजह से अमित शाह चुनावों की तैयारियों को लेकर घाटी में पार्टी के एक कार्यक्रम में यहां शामिल होंगे।

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इस दौरान शाह कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। ये बैठकें अलग-अलग जिलों में होंगी। इसके साथ ही, शाह सदस्यता अभियान के लिए कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने के लिए प्रेरित भी करेंगे। वैसे अमित शाह का जम्मू जाने का प्लान भी तैयार है। यहां भी वो यही करेंगे।

परिसीमन की चर्चा ज़ोरों पर

बता दें, इस बात की हवा काफी तेजी से चल रही है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का परिसीमन करना चाहती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी ने प्लान तैयार कर लिया है। अगर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का परिसीमन हो जाता है तो कश्मीर घाटी की सीटें अपने आप कम हो जाएंगी।

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देखने वाली बात तो ये है कि घाटी सबसे कम क्षेत्रफल के साथ अपने दामन में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें संजोए हुई है। परिसीमन के बाद कश्मीर की सीटें कम हो सकती हैं। इस लिहाज से मुस्लिम ताकत कम हो जाएगी क्योंकि कश्मीर घाटी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में बीजेपी अपने हिंदुत्व वाले एजेंडे में कामयाब हो जाएगी। दरअसल, जम्मू हिंदू तो लद्दाख बौद्ध बाहुल्य क्षेत्र हैं। इस तरह बीजेपी की राह आसान हो सकती है।

प्लान के तहत तैनात की गयी सेना

मालूम हो, 26 जनवरी 1992 को कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा फहराने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश की कमान संभालने के बाद प्रदेश में राजनीति पलटने की सपना देख रहे हैं। जो काम 28 साल पहले पूरा न हो सका, शायद वो पीएम मोदी अब पूरा करने की सोच रहे हैं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन की हवा को ज़ोर दिया जा रहा है।

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सूत्रों की माने तो जम्मू-कश्मीर में सेना एक प्लान के साथ तैनात की गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी अपने एजेंडे में कामयाब होने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। सियासत के गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि क्या बीजेपी अपने एजेंडे में कामयाब हो पाएगी? इसके अलावा सोशल मीडिया पर ये भी खबरें चल रही हैं कि कश्मीर और लेह को केंद्र शासित राज्य घोषित कर देना चाहिए। अगर ऐसा हो जाता है तो आर्टिक्ल 35 ए और अरतिवले 370 अपने आप हट जाएगा।

क्या है परिसीमन?

परिसीमन का मतलब होता है, किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है। इसका सीधा अर्थ ये हुआ कि परिसीमन के जरिये लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की हदें तय की जाती हैं।

भारतीय संविधान का आर्टिक्ल 82 कहता है कि हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जा सकता है, जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर तमान लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण हो सकता है।

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