कर्नाटक में सियासी खींचतान तेज, BJP में बगावत की आशंका से बढ़ा संकट
राज्यसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में एक बार फिर सियासी खींचतान तेज हो गई है। भाजपा में बगावत की सुगबुगाहट को देखते हुए कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है।
अंशुमान तिवारी
बेंगलुरु: राज्यसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में एक बार फिर सियासी खींचतान तेज हो गई है। भाजपा में बगावत की सुगबुगाहट को देखते हुए कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है। दोनों दलों ने अपने बागी नेताओं की घर वापसी के लिए उन पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से कुछ विधायकों की बढ़ती नाराजगी उनके लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बागी नेताओं की घर वापसी के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए एक टीम का गठन किया है। यह टीम बागी नेताओं की घर वापसी का रोडमैप तैयार करेगी।
बागियों की घर वापसी के लिए शिवकुमार सक्रिय
राज्य की सियासत में डीके शिवकुमार को माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद उन्होंने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। शिवकुमार को इस बात की जानकारी मिल चुकी है कि सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायक मुख्यमंत्री येदियुरप्पा से नाराज चल रहे हैं।
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टीम को सौंपी घर वापसी की जिम्मेदारी
मौके का फायदा उठाने के लिए बेकरार शिवकुमार ने इन बागी नेताओं की घर वापसी की कोशिशें तेज कर दी हैं। उन्होंने इसके लिए बाकायदा एक टीम का गठन करते हुए उसे नेताओं की घर वापसी की जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि सीएम से नाराज चल रहे ये विधायक कांग्रेस में लौटने के इच्छुक हैं या नहीं।
कुमारस्वामी ने भी बागियों पर डाले डोरे
कांग्रेस के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी भी बागी नेताओं की वापसी के लिए सक्रिय हो गए हैं। उनका कहना है कि उन्हें इस बात की पहले से ही जानकारी थी कि जेडीए छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं को पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। कुमारस्वामी ने कहा कि उन्हें पता था कि बीजेपी ऐसे लोगों को कोई सियासी महत्व नहीं देगी और उन्हें मंत्री पद भी नहीं मिलेगा। कुमारस्वामी ने भी अपनी पार्टी के बागी विधायकों से संपर्क साधने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
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17 विधायक हो गए थे बागी
पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस में बगावत हो गई थी और कांग्रेस के 14 और जेडीएस के 3 विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टियों से इस्तीफा दे दिया था। 17 विधायकों की बगावत के चलते कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार गिर गई थी। अपनी पार्टियों के रवैए से नाराज चल रहे इन विधायकों ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने इन सभी को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा था और इन विधायकों ने एक बार फिर विजय हासिल की थी। अब इन विधायकों की नाराजगी की खबरें छनकर बाहर आ रहे हैं।
राज्यसभा-एमएलसी चुनाव से उठापटक तेज
दरअसल कर्नाटक में राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में टिकटों की दावेदारी को लेकर राजनीतिक उठापटक शुरू हुई है। पिछले दिनों एक दर्जन से अधिक विधायकों ने वरिष्ठ नेता और आठ बार से विधायक चुने जा रहे उमेश कट्टी के आवास पर बैठक की थी। उमेश कट्टी अपने भाई रमेश कट्टी को राज्यसभा का टिकट दिलाने की पैरोकारी कर रहे हैं। दूसरी और वर्तमान राज्यसभा सदस्य प्रभाकर कोरे दोबारा टिकट पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। उमेश कट्टी इस बात को लेकर भी नाराज हैं कि आठ बार विधानसभा का चुनाव जीतने के बावजूद उन्हें यदि येदियुरप्पा सरकार में कोई जगह नहीं दी गई।
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सिद्धारमैया ने बढ़ाई भाजपा की बेचैनी
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया का दावा है कि भाजपा से नाराज चल रहे कई विधायक उनके संपर्क में हैं। उनका कहना है कि भाजपा के कई विधायक येदियुरप्पा के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। सिद्धारमैया का करना है कि इन विधायकों की नाराजगी येदियुरप्पा सरकार के लिए महंगी पड़ सकती है। सिद्धारमैया के इस दावे से भाजपा की बेचैनी और बढ़ गई है और भाजपा नेता अपना किला बचाने की कोशिश में जुट गए हैं।
कांग्रेस ने खड़गे को चुनाव मैदान में उतारा
कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात चुकी है। कांग्रेस की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनाव मैदान में उतारा गया है। कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके खड़गे पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पराजित हो गए थे। अब पार्टी हाईकमान उन्हें राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचाना चाहता है। अभी जेडीएस की ओर से उम्मीदवार के बारे में पत्ते नहीं खोले गए हैं मगर माना जा रहा है कि जेडीएस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा को उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
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