जानें क्यों लगता है राष्ट्रपति शासन, क्या कहता है संविधान?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अगर कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल कर लेता है तो राष्ट्रपति शासन हटाया भी जा सकता है।

Update: 2019-11-12 12:28 GMT

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यहां विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को ख़त्म हो चुका है। सभी दलों को मौका दिया गया लेकिन कोई भी दल बहुमत नही साबित कर पाया। जिसके चलते अब आज आखिरकार राष्ट्रपति शासन लग गया है। तो आइए हम आपको बताते हैं क्यों लगता है राष्ट्रपति शासन...

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दरअसल, राज्य में दो कारणों से राष्ट्रपति शासन लग सकता है। पहला किसी भी राज्य में जब राज्यपाल को लगता है कि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है तो वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हैं। दूसरा यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिये गये संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उस हालत में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। लेकिन दोनों स्थिति में केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी होना जरूरी है।

क्या कहता है संविधान?

राष्ट्रपति शासन से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 356 और 365 में हैं। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्य सीधे केंद्र के नियंत्रण में आ जाता है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीनों के अंदर संसद के दोनों सदनों से इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है। किसी भी राज्य में एक बार में अधिकतम 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। वहीं, किसी भी राज्य में अधिकतम तीन साल के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाने की व्यवस्था है। इसके लिए भी हर 6 महीने में दोनों सदनों से अनुमोदन जरूरी है।

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इन परिस्थितियों में हट सकता है राष्ट्रपति शासन

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अगर कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल कर लेता है तो राष्ट्रपति शासन हटाया भी जा सकता है।

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