MP Politics News: भाजपा में हावी गुटबाजी, भूपेंद्र यादव कई राज्यों में रहे कामयाब, लेकिन MP की चुनौती आसान नहीं
MP Politics News: भाजपा की ओर से भूपेंद्र यादव को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। भूपेंद्र यादव कई राज्यों में प्रभारी के रूप में कामयाब रहे हैं, लेकिन एमपी भाजपा में काफी दिनों से गुटबाजी का असर दिख रहा है। ऐसे में भूपेंद्र यादव के सामने इस गुटबाजी को खत्म करना बड़ी चुनौती होगी।
MP News: भाजपा ने चुनावी राज्यों में विपक्ष की चुनौती का मुकाबला करने के लिए हाल में नए प्रभारियों को कमान सौंपी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है। इस कारण इन तीन राज्यों में अनुभवी रणनीतिकारों की तैनाती की गई है। मध्यप्रदेश में भूपेंद्र यादव, राजस्थान में प्रह्लाद जोशी छत्तीसगढ़ में ओम माथुर और तेलंगाना में प्रकाश जावड़ेकर को चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
मध्य प्रदेश भाजपा में काफी दिनों से गुटबाजी का असर दिखता रहा है और यही कारण है कि भूपेंद्र यादव के सामने इस गुटबाजी को खत्म करना बड़ी चुनौती माना जा रहा है। इससे पूर्व भूपेंद्र यादव कई राज्यों में प्रभारी के रूप में कामयाब रहे हैं और यही कारण है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अब मध्य प्रदेश में चुनावी जीत हासिल करने के लिए उन पर भरोसा जताया है। भूपेंद्र यादव के लिए मध्यप्रदेश की चुनौती आसान नहीं मानी जा रही है और अब यह देखने वाली बात होगी कि वे कांग्रेस की चुनौती का सामना करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।
मध्य प्रदेश भाजपा के लिए क्यों है अहम
मध्यप्रदेश में जनसंघ के समय से ही भाजपा काफी मजबूत रही है और 1977 में मध्य प्रदेश में पहली बार जनसंघ का मुख्यमंत्री बना था। राज्य में विधानसभा के पिछले कई चुनावों के दौरान भाजपा कांग्रेस को पिछाड़ने में कामयाब रही है। यदि 2018 से 20 के कालखंड को छोड़ दिया जाए तो राज्य में करीब 20 वर्षों से सत्ता पर भाजपा ने कब्जा कर रखा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था मगर कांग्रेस ने भाजपा को पिछाड़ने में कामयाबी हासिल की थी।
राज्य में कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी थी मगर बाद में भाजपा ने ऑपरेशन लोटस के जरिए कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के कई विधायकों की बगावत के बाद पार्टी राज्य में एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो गई थी। उसके बाद से राज्य की कमान शिवराज सिंह चौहान के हाथों में बनी हुई है।
प्रदेश भाजपा में गुटबाजी हावी
हाल के महीनों में मध्य प्रदेश भाजपा में गुटबाजी की खबरें हमेशा सुर्खियां बनती रही हैं। दलबदल करने वालों को ज्यादा महत्व दिए जाने से भाजपा के कई पुराने नेता भीतर ही भीतर नाराज भी बताए जा रहे हैं। राज्य भाजपा में कई गुट बने हुए हैं और सभी गुट एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश में जुटे रहते हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी पिछले दिनों भाजपा की गुटबाजी पर तंज कसा था। उनका कहना था कि मध्य प्रदेश में भाजपा तीन गुटों में बंटी हुई है। एक गुट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है जबकि दूसरा गुट ज्योतिरादित्य सिंधिया का है। तीसरा गुट भाजपा के नाराज नेताओं का है।
कांग्रेस से मिल रही कड़ी चुनौती
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से भूपेंद्र यादव को ऐसे समय में चुनाव प्रभारी बनाया गया है जब कई सर्वे में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ती हुई दिख रही है। भाजपा की ओर से कराए गए इंटरनल सर्वे में भी 40 फ़ीसदी विधायक के प्रदर्शन को खराब माना गया था।
इसके साथ ही सत्ता विरोधी रुझान भी भाजपा पर भारी पड़ता हुआ दिख रहा है। हाल में हुए आदिवासी पेशाब कांड ने भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित आदिवासी को घर पर बुलाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है मगर कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है।
कई राज्यों में कामयाब रहे हैं भूपेंद्र यादव
भूपेंद्र यादव की गिनती भाजपा के माहिर रणनीतिकारों में की जाती रही है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह का भी भरोसा हासिल है। 2014 में अमित शाह के ताकतवर होने के बाद पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता रहा है। झारखंड और महाराष्ट्र में प्रभारी के रूप में भूपेंद्र यादव अपनी रणनीति का कमाल दिखा चुके हैं।
2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को रिकॉर्ड जीत हासिल हुई थी और इसमें भी भूपेंद्र यादव की रणनीति की बड़ी भूमिका मानी गई थी। वे उत्तर प्रदेश भाजपा की गुटबाजी खत्म करने में कामयाब हुए थे। 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव के दौरान भी भूपेंद्र यादव ने अपनी रणनीति का कमाल दिखाया था। यहां भाजपा कांग्रेस और बीआरएस के मुकाबले मजबूत बनकर उभरी थी।
बिहार विधानसभा के 2020 में हुए चुनाव के दौरान भाजपा जदयू से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी और इसमें भी भूपेंद्र यादव की रणनीति का असर माना गया था।
मध्यप्रदेश की चुनौती आसान नहीं
सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा ने काफी सोच-समझकर भूपेंद्र यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी है। 2024 की सियासी जंग से पहले मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में पूरी ताकत लगा रखी है जिससे भाजपा की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। भाजपा में व्याप्त गुटबाजी भी पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती बनी हुई है।
ऐसे माहौल में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अब भूपेंद्र यादव पर भरोसा जताया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि भूपेंद्र यादव पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं को पूरा करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं। अभी तक वे विभिन्न राज्यों में प्रभारी के रूप में कामयाब होते रहे हैं मगर मध्यप्रदेश की चुनौती को आसान नहीं माना जा रहा है।