Mulayam Singh Yadav: आखिर क्यों बेहद अहम है मुलायम सिंह के लिए पांच दिसम्बर का दिन, यहां जाने
Mulayam Singh Yadav 5 december: कांग्रेस के खिलाफ जब वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का गठन हुआ और 1989 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए तो वह जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री बने।
Mulayam Singh Yadav 5 december: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के लिए आज (पांच दिसम्बर) का दिन बेहद महत्वपूर्ण दिन है। आज ही के दिन वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थें। यहीं नहीं इसके बाद जब वह एक बार फिर जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब भी 5 दिसम्बर का ही दिन था। बस फर्क था यह था कि पहली बार वह 1989 में मुख्यमंत्री बने और दोबारा जब मुख्यमंत्री बने तब वर्ष 1993 था।
कांग्रेस के खिलाफ जब वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का गठन हुआ और 1989 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए तो वह जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री बने। नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और कांग्रेस के समर्थन से वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे। अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम सिंह की सरकार गिर गई।
नब्बे के दौर में प्रदेश में हुए राजनीतिक बदलाव के इसी बदलाव के चलते मुलायम सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम उन्होंने समाजवादी पार्टी रखा। उन्होंने 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में समाजवादी पार्टी के गठन की घोषणा की. इसके बाद जब मध्यावधि चुनाव हुए तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठबन्धन कर चुनाव लडा। सपा 256 सीटों पर लड़कर 109 जीत गई. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने 164 में से 67 पर जीत दर्ज की।
इस तरह गठबंधन ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव फिर से प्रदेश के फिर से मुख्यमंत्री बन गए। गठबंधन में सरकार बनाने के दो साल के अंदर ही सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए। इसके बाद केद्र में भी राजनीतिक उठापटक के चलते जब संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने।
वे तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। पहली बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद फिर 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद जब भाजपा और बसपा का गठबन्धन टूटा तो 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने।
कई आंदोलनों का हिस्सा बने मुलायम सिंह यादव 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहुंचे थे । यह चुनाव अपने जिले इटावा की जसवंतनगर सीट से जीता। इसके बाद वह लगातार 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 समेत कुल 8 बार विधायक निर्वाचित हुए।
1977 में बनी जनता पार्टी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। इसके बाद जब कांग्रेस का दौर फिर लौटा तो मुलायम सिंह विपक्षी दलों के सहयोग से 1982-85 तक यूपी विधान परिषद् के सदस्य बने। फिर 1985-87 तक यूपी विधानसभा में नेता विपक्ष रहे।