केंद्र सरकार का दावा, मोदी राज में नहीं हुआ एक भी बम धमाका

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को यह दावा किया कि मोदी सरकार के रहते बीते छह सालों में देश में एक भी बम धमाका नहीं हुआ।

Update: 2020-03-07 16:09 GMT

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को यह दावा किया कि मोदी सरकार के रहते बीते छह सालों में देश में एक भी बम धमाका नहीं हुआ। और इसका श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों को जाता है।

जन औषधि दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जावड़ेकर ने कहा, 2014 में मोदी सरकार आने से पहले बम धमाके आम बात थे। मोदी सरकार से पहले करीब 25 वर्षों से पुणे, वडोदरा, अहमदनगर, दिल्ली और मुंबई में बम धमाके होते रहते थे।

हर 8 से 10 दिन में कहीं न कहीं धमाका हो जाता था। लेकिन जब से मोदी सरकार आई है देश की सुरक्षा में सुधार हुए हैं जिसका नतीजा है कि बीते छह वर्षों में एक भी बम धमाका नहीं हुआ।

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प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य का रखा ध्यान

कार्यक्रम में प्रसारण मंत्री ने कहा, मोदी सरकार ने विभिन्न योजनाओं के जरिये देश के प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य का ध्यान रखा। गरीबों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना मोदी सरकार का मंत्र है।

दवाओं, स्टंट और अंग प्रत्यारोपण की कीमतों को घटाया गया। जगह-जगह जन औषधि केंद्रों की स्थापना की गई ताकि गरीबों को अच्छी और सस्ती दवाएं मिल सकें।

इससे पहले केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने मलयाली भाषा के दो समाचार चैनलों पर लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध हटा लिया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करती है।

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मामले पर प्रधानमंत्री बनाए हैं नज़र

सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने पुणे में संवाददाताओं से चैनलों पर लगाए गए प्रतिबंध के विषय में कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और जरूरत पड़ने पर आदेश जारी करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस पूरे मुद्दे पर चिंता जाहिर की है।

यह प्रतिबंध शुक्रवार शाम साढ़े सात बजे से शुरू हुआ था जिसे अगले 48 घंटों तक जारी रहना था। हालांकि सरकार ने अपना फैसला बदलते हुए चैनलों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है।

पहले प्रतिबंध को लेकर सरकार ने आदेश जारी किया था।

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जिसमें हिंसा के दौरान इन चैनलों पर पूजास्थल पर हमले को प्रमुखता से दिखाने और एक समुदाय का पक्ष लेने के आरोप लगाए गए थे।

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