NRC: इस बड़े राजनीतिक दल ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की उठाई मांग
वामपंथी दलों ने नागरिकता संशोधन कानून एवं राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) के खिलाफ कल हुये आंदोलन के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के घोर तानाशाहीपूर्ण और दमनकारी रवैये की कठोर शब्दों में निन्दा की है।
लखनऊ: वामपंथी दलों ने नागरिकता संशोधन कानून एवं राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) के खिलाफ कल हुये आंदोलन के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के घोर तानाशाहीपूर्ण और दमनकारी रवैये की कठोर शब्दों में निन्दा की है।
वामपंथी दलों ने कहा कि वामपंथी दलों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ शान्तिपूर्ण और लोकतान्त्रिक ढंग से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया था जिसको तमाम जनवादी शक्तियों ने समर्थन प्रदान किया था।
लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने घोर तानाशाही का परिचय देते हुये आंदोलन को कुचलने की हर संभव कोशिश की। लोकतन्त्र में विपक्षी दल जनता के आक्रोश को सेफ़्टी वाल्व की तरह निष्प्रभावी करने का काम करते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने विरोधी दलों को निशाना बनाते हुये आंदोलन को कुचलने के लिये सारी शासकीय मशीनरी मैदान में उतार दी। सारे प्रदेश में दफा 144 लगा दी गई।
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पुलिस भीड़ को हटाने में नाकामयाब रही
भाकपा के राज्य सचिव डा गिरीश ने कहा कि प्रदेश भर में राजनैतिक दलों के नेताओं को CrPC की धारा 149 के तहत नोटिस देकर पाबंद किया गया और उनको देशद्रोह के तहत बंद करने की धमकियाँ दी गईं।
राजनैतिक दलों के कार्यालयों पर पुलिस ने बार बार छापेमारी की। लखनऊ में भाकपा के कार्यालय में बिना इजाजत के पुलिस राज्य सचिव के आवास में घुस गयी और बाथरूम तक जा पहुंची। साथियों के वहां न मिलने पर पुलिस देशद्रोह में बंद करने की धमकियाँ देकर चली गयी।
प्रशासन और सरकार ने इन्टरनेट सेवाएँ समाप्त करके जिम्मेदार राजनैतिक दलों और अवाम के बीच आवश्यक संवाद खत्म कर दिया है। जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही नेत्रत्वविहीन भीड़ को हटाने में पुलिस नाकामयाब रही तब संदिग्ध किस्म के लोगों ने व्यापक संख्या में उपस्थित पुलिस के समक्ष तोडफोड, पथराव और आगजनी की। तब भीड़ भी वहाँ से चली गयी।
उन्होंने कहा कि वाराणसी में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे वामदलों के 67 नेताओं और कार्यकर्ताओं को संगीन दफाओं में जेल भेज दिया गया। लखनऊ में 32 लोग जिनमें अधिकतर युवा हैं को भी संगीन दफाओं में गिरफ्तार किया गया है।
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संघ की ओर से चल रही हैं साजिशें
राजनैतिक और नागरिक समाज के लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अब भी लोगों को परिणाम भुगतने की धमकियाँ दे रहे हैं। इससे जनता का आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में आज भी पुलिस और आंदोलनकारी आमने सामने हैं। पुलिस की कार्यवाही और गोलीबारी से कानपुर सहित तमाम जगह लोग घायल हुये हैं।
पुलिस के साथ सरकार समर्थक तत्व भी दमन की कार्यवाहियों में लिप्त हैं। समूचे आंदोलन को सांप्रदायिक स्वरूप देने की साजिशें सरकार और संघ की ओर से चल रही हैं।
राज्य सचिव डा गिरीश ने कहा कि भाजपा और उसकी सरकारों की निहितस्वार्थपूर्ण और घ्रणित राजनीति के चलते देश और प्रदेश बड़े संकट में फंस गया है, जिसको तत्काल संभालना जरूरी होगया है।
वामपंथी दलों ने तमाम लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है। वामदलों ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह दमन का रास्ता छोड़े और आंदोलनकारियों एवं राजनैतिक दलों से संवाद कायम करें।
वामदलों ने वाराणसी, लखनऊ और अन्य जगह गिरफ्तार वामपंथी एवं लोकतान्त्रिक ढंग से प्रदर्शन करने वालों को तत्काल रिहा करने की मांग की है। इसक साथ ही
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