बारूद को हाथ लगाने के बराबर है 35ए के साथ छेड़छाड़ : महबूबा मुफ्ती
पीडीपी नेता व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार वजह 35ए को लेकर दिया बयान है। उन्होंने रविवार को कहा कि 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने जैसा होगा।
जम्मू: पीडीपी नेता व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार वजह 35ए को लेकर दिया बयान है। उन्होंने रविवार को कहा कि 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने जैसा होगा।
इसके लिए जो हाथ उठेगा वो हाथ नहीं पूरा जिस्म जलकर राख हो जाएगा। दरअसल, सरकारी सूत्र ने दावा किया कि राज्य में अनुच्छेद 35ए हटाने के बाद की स्थिति से निपटने के लिए जवान कश्मीर भेजे जा रहे हैं।
इससे पहले घाटी में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर महबूबा मुफ्ती बयानबाजी कर चुकी हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र ने घाटी में खौफ पैदा करने के लिए यह फैसला लिया है।
गौरतलब हो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल अचानक से घाटी के दौरे पर बुधवार को श्रीनगर पहुंचे थे। वहां उन्होंने सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के टॉप ऑफिसरों के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं। इससे पहले
पुलवामा हमले के बाद 24 फरवरी को देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को कश्मीर भेजा गया था। अमरनाथ यात्रा की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पर भी महबूबा ने विरोध जताया था। बताना चाहेंगे जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है।
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सरकार को फिर सोचने की जरूरत: महबूबा
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 26 जुलाई को ट्वीट किया था, केंद्र ने घाटी में 1,000 सैनिक और तैनात करने का निर्णय लिया है। यह लोगों में भय का माहौल पैदा करेगा। कश्मीर में सुरक्षाबलों की कोई जरूरत ही नहीं है। जम्मू-कश्मीर का मामला राजनीतिक है।
इसे सेना से नहीं सुलझाया जा सकता। सरकार को इस बारे में फिर से सोचने की जरूरत है। कुछ लोग कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने को अनुच्छेद 35ए को भंग करने से पहले केंद्र की तैयारी के रूप में देख रहे हैं तो कई कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में तेजी लाने के लिए।
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायिका को शक्ति प्रदान करता है और उन स्थायी निवासियों को विशेषाधिकार प्रदान करता है तथा राज्य में अन्य राज्यों के निवासियों को कार्य करने या संपत्ति के स्वामित्व की अनुमति नहीं देता है।
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राज्य के सभी क्षेत्रीय दल अनुच्छेद 35ए हटाने के विरोध में
गृह मंत्रालय के इस फैसले से कयास लगने लगे हैं कि अनुच्छेद 35ए को हटाया जा सकता है। इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 25 जुलाई को मोदी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा था। कोर्ट में अनुच्छेद 370 और 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं।
वहीं, राज्य की नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद 370 और 35ए से छेड़छाड़ का विरोध किया है।
मालूम हो कि मोदी सरकार ने शनिवार को कश्मीर में अर्धसैनिक बलों के 10 हजार अतिरिक्त जवान तैनात करने का फैसला किया था। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दो दिन के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद यह खबर आई थी।
गृह मंत्रालय के अनुसार यह तैनाती आतंकवाद विरोधी ग्रिड मजबूत करने और कानून-व्यवस्था के लिए की जा रही है। अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों में 50 सीआरपीएफ, 30 सशस्त्र सीमा बल और 10-10 बीएसएफ और आईटीबीपी की होगी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि यह जवान उत्तरी-कश्मीर में तैनात होंगे।
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महबूबा मुफ़्ती ने फैसले पर जताई थी आपत्ति
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सरकार के इस फैसले पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि कश्मीर की समस्या राजनीतिक है। यह मुद्दा सैन्य ताकत से नहीं सुलझाया जा सकता है। घाटी में 10 हजार और जवान तैनात करने से लोगों के मन में भय पैदा हो रहा है। कश्मीर में सुरक्षाबलों की कमी नहीं है। सरकार को दोबारा सोचने और अपनी नीति बदलने की जरूरत है।