भाजपा-जदयू में बढ़ा सियासी तनाव, बिहार तक पहुंची अरुणाचल प्रदेश की गूंज

इस बीच बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने नीतीश कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठाकर जदयू और भाजपा के बीच सियासी तनाव को और बढ़ा दिया है।

Update:2020-12-27 14:51 IST
भाजपा-जदयू में बढ़ा सियासी तनाव, बिहार तक पहुंची अरुणाचल प्रदेश की गूंज (PC: social media)

लखनऊ:अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों का पाला बदल पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थामा है जिसके साथ जदयू के दोस्ताना रिश्ते हैं। अरुणाचल प्रदेश में हुई बड़ी सियासी घटना की गूंज बिहार तक सुनाई पड़ रही है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में अभी तक चुप्पी साध रखी है मगर जदयू ने भाजपा की दोस्ती पर सवाल खड़े किए हैं।

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जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा ने दोस्ती का धर्म नहीं निभाया। दूसरी ओर बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद ने इस घटनाक्रम पर तंज करते हुए कहा है कि पूर्वोत्तर से आया सिग्नल जल्द ही बिहार तक पहुंचने वाला है।

भाजपा नेता पासवान ने कर डाली यह मांग

इस बीच बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने नीतीश कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठाकर जदयू और भाजपा के बीच सियासी तनाव को और बढ़ा दिया है। पासवान ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गृह विभाग को किसी और को सौंप देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर प्रभावी तरीके से काम करने की जरूरत है और मुख्यमंत्री के पास काम का काफी दबाव है। ऐसे में उन्हें गृह विभाग की जिम्मेदारी किसी और को सौंप देनी चाहिए। पासवान ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि उन्हें यह मंत्रालय भाजपा को ही सौंपना चाहिए मगर वे कुछ अन्य जदयू नेताओं को भी पदभार सौंपें।

अरुणाचल की घटना से रिश्तों पर असर

बिहार में जदयू और भाजपा ने गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था और चुनाव के बाद दोनों ने मिलकर सरकार बनाई है। भाजपा ने कम विधायक होने पर भी जदयू के नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद सौंपा है।

विधानसभा चुनाव में जदयू को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं जबकि भाजपा 74 सीटें जीतने में कामयाब रही थी मगर फिर भी भाजपा ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए अपनी पूर्व की घोषणा के मुताबिक मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश की ही ताजपोशी की। लेकिन अरुणाचल प्रदेश की घटना से दोनों दलों में सियासी तनाव बढ़ने की आशंका दिखाई पड़ रही है।

अरुणाचल में जदयू को बड़ा सियासी झटका

अरुणाचल प्रदेश की सियासी स्थिति पूरी तरह भिन्न है। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है और जबकि जदयू मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। ऐसे में जदयू के छह विधायकों का पाला बदलकर भाजपा में जाना जदयू के लिए बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है। जदयू के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने जदयू विधायकों की बगावत को लेकर भाजपा को घेरा है।

भाजपा पर दोस्ती का धर्म न निभाने का आरोप

उन्होंने कहा कि भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में दोस्ती का धर्म नहीं निभाया है। उन्होंने कहा कि दोनों दलों के दोस्ताना रिश्ते के कारण भाजपा को अरुणाचल में किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी। फिर भी भाजपा ने हमारे विधायकों की तोड़फोड़ की और यह निश्चित रूप से सवाल खड़ा करने वाला है।

त्यागी ने कहा कि जब सियासी दलों में दोस्ती होती है तो ऐसी घटनाएं नहीं होती। उन्होंने कहा कि एनडीए में जदयू भाजपा का सबसे मजबूत और भरोसेमंद सहयोगी है। ऐसे में भाजपा की ओर से उठाए गए कदम पर सवाल उठने लाजमी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।

नीतीश कुमार की राय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राय सबसे महत्वपूर्ण है और बैठक में उनकी राय जानकर ही कोई कदम उठाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वैसे एक बात तो पूरी तरह साफ है कि भाजपा ने जदयू विधायकों को तोड़कर दोस्ती का धर्म पूरी तरह से नहीं निभाया है और गठबंधन में इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए।

लालू के बेटे तेजप्रताप ने कसा तंज

दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश में जदयू को लगे झटके के बाद इस मामले की गूंज बिहार तक पहुंच चुकी है और राष्ट्रीय जनता दल ने इसे लेकर जदयू पर करारा तंज कसा है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और राजद नेता तेज प्रताप यादव ने कहा कि बिहार में भी जदयू इसी तरह एक दिन पूरी तरह साफ हो जाएगी।

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि जदयू का सफाया शुरू हो चुका है और जल्द ही बिहार में भी यही नजारा दिखेगा। उन्होंने कहा कि जदयू में पूरी तरह टूट दिखने लगी है और नीतीश कुमार का फैसला गलत साबित होगा।

जल्द बिहार पहुंचेगा पूर्वोत्तर का सिग्नल

राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने भी इस मामले पर तंज कसते हुए कहा कि पूर्वोत्तर से सिग्नल आ चुका है और यह जल्द ही बिहार में भी पहुंचने वाला है। जदयू के छह विधायकों के पाला बदल करने पर उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्होंने नीतीश कुमार से कोई निर्देश हासिल किया? अब नीतीश कुमार को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्या वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी का भाजपा में विलय हो जाए।

उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में मात्र 43 सीटें जीतने के बावजूद जदयू के नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश से आया संकेत पूरी तरह साफ है। चार-पांच महीने इंतजार कीजिए। ऐसा ही नजारा बिहार में भी जरूर दिखेगा।

अरुणाचल में भाजपा ने लिया बदला

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी कहा है कि अब गेंद जदयू नेतृत्व के पाले में है। जदयू को समझना चाहिए पार्टी के विधायकों के इस बड़े फैसले मकसद पुरानी बातों का बदला लेना है। उन्होंने पुरानी घटना की याद दिलाते हुए कहा कि एक दशक पहले नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा था कि उन्हें भाजपा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ थे।

पीएम नरेंद्र मोदी ऐसे आदमी हैं जो पुरानी चीजों को नहीं भूलते। अरुणाचल प्रदेश में हुआ घटनाक्रम भाजपा की ओर से बदला लेने की ही घटना है।

नीतीश का कद छोटा करने की कोशिश

उन्होंने कहा कि भाजपा शुरुआत से ही नीतीश कुमार का कद छोटा करने में लगी हुई है और विधानसभा चुनाव में उसे अपने काम में कामयाबी भी मिली है। अब उसने जदयू को अपमानित करना शुरू कर दिया है और इसी कड़ी में जदयू के छह विधायकों को भाजपा में शामिल करके पार्टी को जबर्दस्त झटका दिया है।

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अरुणाचल में छह विधायकों ने बदला है पाला

अरुणाचल प्रदेश की घटना को जदयू के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। जदयू के इन छह विधायकों ने सबसे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बताए बिना तालीम तबोह को विधायक दल का नया नेता चुन लिया और उसके बाद जदयू के सात में से छह विधायकों ने पाला बदल करते हुए भाजपा की सदस्यता ले ली। पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल के भी एक विधायक ने भाजपा की सदस्यता ले ली है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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