प्रियंका गांधी की जिद के चलते फंसा कांग्रेस-सपा में सीटों का पेंच

प्रियंका गांधी ने जब से यूपी में कांग्रेस की चुनावी रणनीति की कमान संभाली है तब से ही कांग्रेस महासचिव गुलामनबी आजाद असहज महसूस करते आ रहे थे।कांग्रेस मुश्किल में इसलिए फंस गई कि सपा द्वारा कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर उसके सामने आगे कुंआ और पीछे खाई की स्थिति पैदा हो गई है।

Update: 2017-01-21 07:52 GMT

 

उमाकांत लखेड़ा

लखनऊ : प्रियंका गांधी ने जब से यूपी में कांग्रेस की चुनावी रणनीति की कमान संभाली है तब से ही कांग्रेस महासचिव गुलामनबी आजाद असहज महसूस करते आ रहे थे।कांग्रेस मुश्किल में इसलिए फंस गई कि सपा द्वारा कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर उसके सामने आगे कुंआ और पीछे खाई की स्थिति पैदा हो गई है।

सपा के साथ सीटों पर विवाद पैदा होने का मूल कारण यह है कि कांग्रेस ने पिछले दो हफ्ते से अपने कोटे की सीटों की तादाद में लगातार बढ़ोतरी करनी आरंभ की। हालांकि पार्टी महासचिव गुलामनबी आजाद जोकि सीधे अखिलेश व पार्टी महासचिव रामगोपाल के साथ बैठकें करके सपा से तालमेल की पटकथा लिख रहे थे, कांग्रेस की हालत से पूरी तरह वाकिफ हैं।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार आजाद ने राहुल व पार्टी के दूसरे नेताओं को यह असलियत स्पष्ट कर दी थी कि कांग्रेस को यूपी में अखिलेश यादव से गठबंधन में 80 से ज्यादा सीटों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। मुलायम के कुनबे की लड़ाई सड़कों पर आने के बाद कांग्रेस सपा के संकट का फायदा उठाने की जुगत में सपा से ज्यादा सीटें झपटने की रणनीति बनाई गई।

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कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि प्रियंका ने सपा से सीटों की मोलभाव की प्रक्रिया में जनवरी के प्रथम सप्ताह में कांग्रेस के लिए 150 से ज्यादा सीटों की मांग की थी।

गुलामनबी ने प्रियंका व राहुल दोनों को ही यह बात बखूबी बतायी कि कांग्रेस को सपा के साथ बातचीत में अपनी जमीनी ताकत की हैसियत व वोट प्रतिशत के दायरे में ही बात करनी होगी लेकिन सूत्रों का कहना है कि प्रियंका के इस तर्क से राहुल भी सहमत हो रहे थे कि सपा में बवाल का लाभ उठाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। सो जितनी अधिक सीटें सपा पर दबाव बनाकर ले ली जाएं उतना ही कांग्रेस के लिए अच्छा होगा क्योंकि इससे उसका देश के सबसे बड़े राज्यों में सियासी ग्राफ बढ़ेगा व केंद्र की राजनीति में उसका दबदबा बढ़ेगा ।

 

चौधरी अजित सिंह की आएलडी के साथ, जदयू, राकांपा, टीएससी व पीस पार्टी जैसे दलों को मिलाकर कांग्रेस ने सीटों की तादाद 110 के करीब बढ़ा ली थी। सपा सूत्रों ने माना है कि गुलामनबी को पहले ही साफ तौर पर बता दिया गया था कि चौधरी अजित सिंह को साथ लेने में कोई ऐतराज नहीं है लेकिन मुजफरनगर दंगों की वजह से जाट व मुसलिमों में सांप्रदायिक उन्माद पैदा होने से सपा ने तय किया कि अजित सिंह से तालमेल पर कांग्रेस ही बात करे तथा उसे कितनी सीटें देनी हैं यह कांग्रेस ही अपने कोटे से दे।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि पश्चिमी यूपी में करीब 23 प्रतिशत जाट वोटों पर अच्छा असर रखने वाले चौधरी अजित सिंह की पार्टी ने जब सपा से तालमेल से किनारा करने की घोषणा कर दी तो कांग्रेस सपा से सीटों की बातचीत में अकेले पड़ गई।

कांग्रेस सूत्रों ने यह भी माना कि अजित सिंह बाहर जाने से कांग्रेस की उस योजना को झटका लगा है जिसके तहत उसने भाजपा व बसपा के आधार वाली सीटों पर सपा के साथ मिलकर नया सामाजिक आधार खड़ा करने का ताना बाना बुना था।

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