मुख्तार पर बड़ी खबर: नहीं भेजेगी पंजाब पुलिस, तो अब क्या करेगी यूपी सरकार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गाजीपुर पुलिस की दो टीमें उसे पंजाब से यूपी लाने के लिए गई थी, लेकिन उन्हें भी मेडिकल रिपोर्ट थमाकर लौटा दिया गया था।
लखनऊ: बाहुबली मुख़्तार अंसारी का हाल इस वक़्त किसी भीगी बिल्ली से कम नहीं है। मुख़्तार अंसारी साल 2019 से पंजाब की रोपड़ जेल में बंद हैं। पंजाब पुलिस मुख़्तार को एक रंगदारी के मामले में रोपड़ ले गई थी, लेकिन तब से ही वो स्वास्थ्य का हवाला देकर उसे वहीं रखे हुए हैं। मुख़्तार अंसारी को शंका है कि कहीं उत्तर प्रदेश पहुंचते ही उसका अंजाम बाकी गैंगस्टर्स जैसा ही न हो जाए। इसीलिए, वो यूपी आने में कतरा रहा है। यहां तक की वो किसी भी पेशी में भी प्रदेश की अदालतों में कदम नहीं रखता है।
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हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गाजीपुर पुलिस की दो टीमें उसे पंजाब से यूपी लाने के लिए गई थी, लेकिन उन्हें भी मेडिकल रिपोर्ट थमाकर लौटा दिया गया था। बहरहाल, ये सब हुई वो बातें, जो लगभग सबको पता हैं। हम आपको मुख़्तार अंसारी पर दर्ज उन मामलों की जानकारी देंगे, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।
साल 1988 में पहली बार लगा हत्या का आरोप
मुख्तार अंसारी ने 90 के दशक की शुरुआत में ही जमीन कारोबार व कोयले के ठेके में अपने हाथ डालना शुरू कर दिया था। मगर जुर्म की दुनिया में वो 1988 में ही दस्तक दे चुका था। अपनी हनक के चलते वो जैसे-जैसे ठेके हासिल करते गया, वैसे-वैसे ही उस पर आपराधिक मामलों की बौछारें बढ़ती चली गईं।
पूर्वांचल में बोलती थी तूती
मुख़्तार अंसारी ने अपना साम्राज्य गाजीपुर से बढ़ाना शुरू किया था, जिसके बाद उसके नाम का सिक्का धीरे-धीरे पूर्वांचल के बाकी शहरों (गाजीपुर, बनारस, मऊ, जौनपुर) में भी चलने लगा। उस वक़्त आलम यह था कि सभी मुख़्तार अंसारी के नाम से खौफ़ खाते थे। मुख़्तार ने अपना ऐसा दबदबा बनाया कि पूरे इलाके में उसकी दहशत का काला साया मंडराने लगा था। इस डर को बैठाने में मुख़्तार की आपराधिक छवि ने उसका भरपूर साथ दिया और उसी के दम पर ऐसा दबादबा कायम रहा।
40 से ज़्यादा आपराधिक मामले हैं दर्ज
जिस मुख़्तार अंसारी को पंजाब पुलिस बार-बार मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर अपनी जेल में रोके ले रही है, उसके ऊपर 40 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मुख़्तार के ऊपर हत्या, किडनैपिंग और रंगदारी जैसे दर्जनों संगीन जुर्म में मामले दर्ज हैं। यही नहीं, मुख़्तार के ऊपर गैंगस्टर एक्ट, एनएसए और आर्म्स एक्ट के तहत भी मुकदमें दर्ज हैं। मुख़्तार पर 302 (हत्या), 364 (अपहरण या हत्या के लिए किया गया अपहरण), 395 (डकैती), 397 (डकैती करते वक़्त घोर आघात पहुंचाना), 420 (धोखा) और 307 (हत्या की कोशिश करने) सहित कई धाराओं में प्रदेश के अलग-अलग थानों में मुकदमें दर्ज हैं।
कृष्णानंद राय की हत्या ने पैदा की थी सरगर्मी
मुख़्तार अंसारी के ऊपर उत्तर प्रदेश से नयी दिल्ली तक आपराधिक मामले दर्ज हैं। मगर जिस केस ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वो था बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का केस। कृष्णानंद राय की हत्या 29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर के बसनिया चट्टी इलाके में कर दी गई थी। उस वक़्त पुलिस ने बताया था कि करीब 400 राउंड फायरिंग हुई थी, जिसमें मरने वाले लोगों के शरीर से 67 गोलियां निकाली गई थीं। इस हत्याकांड में बीजेपी विधायक समेत सात लोग मरे थे। इसके बाद कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने मुख्तार अंसारी, उनके भाई और सांसद अफजाल अंसारी के साथ ही कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया था।
साथ ही अलका राय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग की थी और सुप्रीम कोर्ट में दूसरे राज्य में सुनवाई को लेकर अर्जी दी थी। कोर्ट ने उनकी दोनों अर्ज़ियां मान ली थीं।
2006 में शशिकांत राय की हत्या
कोर्ट के आदेश के बाद केस दिल्ली ट्रांसफर हो गया था और सीबीआई जांच को आगे बढ़ा रही थी, मगर साल 2006 में इस मामले के मुख्य गवाह शशिकांत राय की हत्या कर दी गई थी। कहा जाता है कि शशिकांत राय, मुख्तार और उसके साथी मुन्ना बजरंगी के खिलाफ कोर्ट में गवाही देने वाले थे, इसके चलते उनकी हत्या कराई गई। लेकिन पुलिस ने आत्महत्या बताकर मामले को खत्म कर दिया था।
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दिल्ली सीबीआई कोर्ट ने किया सभी को बरी
सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान गाज़ीपुर के सांसद अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अताउर रहमान उर्फ बाबू, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, फिरदौस, राकेश पांडेय उर्फ हनुमान, और मुहम्मदाबाद नगर पालिका चेयरमैन एजाजुल हक को आरोपी बनाया था। मगर, 3 जुलाई 2019 में हत्या के करीब साढ़े 13 साल के बाद सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला दिया और सबूतों के अभाव में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया।
रिपोर्ट- शाश्वत मिश्रा
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