गुर्जर समाज की ताकतः सचिन पायलट को बड़ी राहत, एकजुट हो गए तीन राज्य

जब कांग्रेस ने सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया था, तब भी राजस्थान में सुरक्षा बढ़ाई गई थी। क्योंकि 2018 में जब सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत सीएम बन गए थे, तब सचिन समर्थकों ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था।

Update:2020-07-20 13:26 IST

जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आपसी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है। राजनीतिक उठापटक लगातार जारी है। सचिन पायलट के लिए अच्छी खबर यह है कि अब गुर्जर समाज के लोग भी पायलट के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। हरियाणा के गुरुग्राम में सचिन पायलट के समर्थन में पंचायत भी की जाएगी, जिसमें कई राज्यों से गुर्जर समाज के लोग शामिल होंगे।

गुर्जर समाज सचिन पायलट के पक्ष में खड़ा

बता दें कि गुरुग्राम के रीठौज गांव में ये पंचायत 26 जुलाई को आयोजित की जाएगी। इसमें हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज के लोग शामिल होंगे, जिसमें सचिन पायलट के समर्थन की बात की जाएगी। गौरतलब है कि सचिन पायलट का गुर्जर समाज में काफी दबदबा है, उनके पिता राजेश पायलट भी बड़े गुर्जर नेता रहे हैं। ऐसे में अब जब सचिन पायलट अपने राज्य में संकट में हैं और उन्हें इस तरह साइडलाइन किया जा रहा है, एक बार फिर गुर्जर समाज सचिन पायलट के पक्ष में खड़ा है।

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कोरोना संकट बनेगा रुकावट

हालांकि, कोरोना संकट के बीच भीड़ ना इकट्ठा करने का नियम अभी भी लागू है। ऐसे में इस पंचायत के लिए इजाजत किस तरह मिलती है और कितने लोग शामिल होते हैं। इसपर भी नजरें बनी रहेंगी।

सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत सीएम बन गए

बता दें कि जब कांग्रेस ने सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया था, तब भी राजस्थान में सुरक्षा बढ़ाई गई थी। क्योंकि 2018 में जब सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत सीएम बन गए थे, तब सचिन समर्थकों ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था। ऐसे में इस बार भी सरकार अलर्ट पर थी।

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अशोक गहलोत और सचिन पायलट अलग-अलग समुदाय से

राजस्थान के दोनों ही अलग-अलग समुदाय से आते हैं, जिनकी एक-दूसरे से कम ही बनती है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच की ये तल्खी भी अब जमीनी स्तर तक दिखाई देने लगी है। गौरतलब है कि अब अलग-अलग मोर्चों पर ये लड़ाई लड़ी जा रही है। एक ओर अदालत का रास्ता अपनाया गया, तो दूसरी ओर राजनीतिक दांव-पेच जारी है और अब जनता का समर्थन खुले तौर पर लिया जा रहा है।

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