मंदिर मुद्दे पर सियासत गरमाई, राज्यपाल और सीएम के विवाद में अब पवार की एंट्री
राज्यपाल के पत्र का तीखा जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनके हिन्दुत्व को राज्यपाल कोश्यारी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने लिखा कि जिस तरह अचानक लॉकडाउन को लागू करना सही नहीं था, उसी तरह एक बार में इसे पूरी तरह हटाना भी सही कदम नहीं होगा।
मुंबई: महाराष्ट्र में मंदिरों को खोले जाने के मुद्दे को लेकर सियासत गरमा गई है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने और मुख्यमंत्री के तीखे जवाब के बाद अब इस मामले में एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी कूद पड़े हैं। शरद पवार ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्यपाल की भाषा पर आश्चर्य जताते हुए उसे असंयमित बताया है।
दूसरी ओर भाजपा ने मंदिरों को खोले जाने के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना लिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंदिरों पर धरना देकर बार को खोले जाने और मंदिरों को बंद रखने पर तीखा विरोध जताया।
राज्यपाल के पत्र से शुरू हुआ विवाद
दरअसल इस पूरे विवाद की शुरुआत राज्यपाल कोश्यारी की ओर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखने के साथ हुई। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्तरां खोल दिए हैं मगर मंदिरों के पट अभी तक नहीं खोले गए। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि इसके लिए आपको दैवीय आदेश मिला या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पहले तो आप इस शब्द से ही नफरत करते थे।
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उद्धव ठाकरे ने दिया तीखा जवाब
राज्यपाल के पत्र का तीखा जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनके हिन्दुत्व को राज्यपाल कोश्यारी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने लिखा कि जिस तरह अचानक लॉकडाउन को लागू करना सही नहीं था, उसी तरह एक बार में इसे पूरी तरह हटाना भी सही कदम नहीं होगा।
राज्यपाल के सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि मैं एक ऐसा व्यक्ति जरूर हूं जो हिंदुत्व को फॉले करता है। मुझे इसके लिए आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। क्या सिर्फ मंदिर खुलने से ही हिंदुत्व साबित होगा? मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आप ने राज्यपाल पद की शपथ ली थी।
पवार ने लिखा पीएम को पत्र
इस मामले को लेकर सियासी पारा तब और गरमा गया जब एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी इस विवाद में कूद पड़े। पीएम को लिखे पत्र में पवार ने राज्यपाल की भाषा पर हैरानी जताई है। पवार ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री ने भी उस असंयमित भाषा पर ध्यान दिया होगा जिसका उपयोग किया गया है।
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राज्यपाल की भाषा पर आश्चर्य जताया
उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना ने सेक्युलर शब्द को जोड़ा गया है जो सभी धर्मों के प्रति हमारे सम्मान को दिखाता है। इस कारण किसी भी मुख्यमंत्री को अपने कार्यकाल में इसे बरकरार रखना होता है।
पवार ने कहा कि राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र से लगता है जैसे यह एक राजनीतिक दल के नेता को लिखा गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पत्र की असंयमित भाषा को देखकर मैं पूरी तरह स्तब्ध हूं।
संविधान के मुताबिक चलना नहीं आ रहा रास
इस मामले को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी हमला बोला है। मंदिर मुद्दे पर उद्धव से मातोश्री मिलने पहुंचे राउत ने कहा कि शिवसेना ने कभी न तो हिंदुत्व को नकारा है और न ही कभी उसे भुलाया है। हिंदुत्व शिवसेना का प्राण और आत्मा है और शिवसेना इसे कभी नहीं छोड़ सकती।
इस पर सवाल खड़ा करने वाले लोगों को सोचना चाहिए कि क्या वे हिंदुत्व का पालन कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाराष्ट्र की सरकार संविधान का पालन करते हुए चल रही है। सरकार का संविधान के हिसाब से चलना कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा है।
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भाजपा कार्यकर्ताओं ने रखा उपवास
उधर भाजपा ने मंदिरों को न खोले जाने के मुद्दे पर विरोध दर्ज कराने के लिए मंगलवार को कुछ घंटों का उपवास रखा। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता प्रसाद लाड ने कहा कि हमारी मांग है कि हमें सिद्धिविनायक मंदिर में प्रवेश करने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में चल रहा है क्योंकि हम चाहते हैं कि राज्य के मंदिरों को खोल दिया जाना चाहिए। भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक ओर तो सरकार ने बार और रेस्तरां खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन मंदिरों को खोलने के संबंध में सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है। राज्य के लाखों लोगों की इच्छा है कि मंदिरों को तत्काल खोला जाना चाहिए।
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