बंगाल: मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने झोंकी ताकत

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है और पार्टी इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी से सत्ता छीनने को बेताब है।

Update: 2021-02-15 04:02 GMT
बंगाल में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने झोंकी ताकत (PC: social media)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की सियासी लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक रखी है और दोनों सियासी दल एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी और तृणमूल कांग्रेस को लगातार लग रहे झटकों से भाजपा के हौसले बुलंद हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाए रखने की जीतोड़ कोशिश कर रही हैं।

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इन दोनों दलों के अलावा लगभग तीन दशक तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहने वाली माकपा कांग्रेस के साथ मिलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। राज्य के कई इलाकों में लेफ्ट कैडर भी काफी मजबूत है और इस कारण सियासी जानकारी इस तीसरे मोर्चे को पूरी तरह खारिज करने के लिए तैयार नहीं हैं।

भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है और पार्टी इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी से सत्ता छीनने को बेताब है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य का लगातार दौरा करके पार्टी की सियासी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संवाद भी किया जा रहा है ताकि बूथ स्तर के मैनेजमेंट को भी मजबूत बनाया जा सके। दोनों नेता अपने दौरे के दौरान जनसभाओं और रैलियों को संबोधित करने के साथ ही कार्यकर्ताओं से भी संपर्क स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं ताकि हवा का रुख पार्टी के पक्ष में मोड़ा जा सके।

कई इलाकों में माकपा-कांग्रेस मजबूत

पार्टी को मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है मगर राज्य के कई इलाके ऐसे हैं जहां पार्टी को माकपा और कांग्रेस गठबंधन की चुनौती का भी सामना करना पड़ सकता है।

भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपनी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए ही लेफ्ट और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है और दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर तालमेल भी बनता दिख रहा है। मुर्शिदाबाद इलाके की कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

लेफ्ट और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसे सुलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। लोकसभा का सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लगातार पश्चिम बंगाल में डेरा डाले रखा।

लेफ्ट-कांग्रेस भी फायदा उठाने में जुटे

सियासी जानकारों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस को लग रहे सियासी झटको और कई इलाकों में पार्टी की कमजोर हो रही है स्थिति का लाभ सिर्फ भाजपा को ही नहीं मिलने वाला। लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन भी कई इलाकों में तृणमूल की कमजोर स्थिति का फायदा उठाने में जटा हुआ है।

ऐसे में उसे भी इसका फायदा पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि भाजपा नेताओं ने उन इलाकों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है जिन इलाकों में माकपा और कांग्रेस मजबूत स्थिति में हैं।

congress-left (PC: social media)

भाजपा कम नहीं आंक रही ताकत

राज्य के भाजपा नेताओं का भी मानना है कि चुनावों में कभी भी विरोधियों की ताकत को कम नहीं आंका जाना चाहिए। इसीलिए हमने उन इलाकों पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है जहां वामपंथी दल और कांग्रेस मजबूत दिख रहे हैं।

हमारा मकसद इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करना है और इसके लिए हम सभी विरोधी सियासी दलों के खिलाफ पूरी ताकत लगाएंगे।

चौधरी ने किया बड़ा दवा

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी कहना है कि हमारे गठबंधन को कमजोर नहीं आंका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को सिर्फ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई दिख रही है जबकि हम भी विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार हैं।

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हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अभी तक पश्चिम बंगाल का दौरा नहीं किया है मगर चौधरी का दावा है कि राज्य कांग्रेस और वामपंथी दलों के नेता चुनाव में गठबंधन की स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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