आ रहे चाचा शिवपाल, अखिलेश यादव ने उठाया ये बड़ा कदम

समाजवादी पार्टी में जल्द ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय होने जा रहा है। इसकी पटकथा तैयार हो गई है। सिर्फ एलान की औपचारिकता बाकी रह गई है। इस तरह तीन साल पहले शुरू हुई चाचा भतीजे की तकरार का समापन होने जा रहा है। अब शिवपाल यादव की कभी भी समाजवादी पार्टी में वापसी का एलान हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है 2022 में भाजपा को रोकने के सामूहिक प्रयास को धार देने के लिए समाजवादी पार्टी के तीनों नेता एकजुट हो गए हैं।

Update: 2020-03-25 07:50 GMT

लखनऊ। समाजवादी पार्टी में जल्द ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय होने जा रहा है। इसकी पटकथा तैयार हो गई है। सिर्फ एलान की औपचारिकता बाकी रह गई है। इस तरह तीन साल पहले शुरू हुई चाचा भतीजे की तकरार का समापन होने जा रहा है। अब शिवपाल यादव की कभी भी समाजवादी पार्टी में वापसी का एलान हो सकता है। ऐसा कहा जा रहा है 2022 में भाजपा को रोकने के सामूहिक प्रयास को धार देने के लिए समाजवादी पार्टी के तीनों नेता एकजुट हो गए हैं।

होली के मौके पर पैतृक गांव सैफई में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव एक मंच पर दिखे थे। उस समय अखिलेश ने शिवपाल के पैर छुए थे तो शिवपाल ने रामगोपाल यादव के पैर छू कर आशीर्वाद लिया था।

सपा ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख और विधायक शिवपाल यादव की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की याचिका वापस लेने का फैसला कर लिया है। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पत्र लिखकर याचिका वापस लेने की बात कही है।

पत्र में कहा गया है, 'आपके सम्मुख जो याचिका विचाराधीन है, उसमें पूरे प्रपत्र नहीं लगे हैं। शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए जो जरूरी प्रपत्र होते हैं, उसे हम आपके समक्ष प्रस्तुत भी नहीं कर सके हैं। इस कारण आपको (स्पीकर) निर्णय लेने में भी असुविधा हो रही है। इसीलिए इस याचिका को वापस कर दिया जाए।'

जबर्दस्त नुकसान हुआ था सपा का

दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही चाचा-भतीजे शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के बीच मनमुटाव बढ़ गया था। तमाम आरोपों प्रत्याऱोपों और शक्ति प्रदर्शन के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव का नेतृत्व अस्वीकार कर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी। चाचा भतीजे के इस जोर आजमाइश का खमियाजा समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ा था।

लेकिन शिपवाल यादव अलग पार्टी बनाने के बावजूद समाजवादी पार्टी के विधायक बने रहे, क्योंकि न तो उन्होंने सपा छोड़ी, न ही अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी से निकाला। इसी के अगले कदम के रूप में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र देकर शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया गया था।

विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित ने भी कहा है कि उनके ऑफिस में याचिका वापस करने का पत्र मिल गया है। फिलहाल विधानसभा सचिवालय बंद है। इसका परीक्षण कराया जाएगा और जो भी विधि व संविधान सम्मत होगा वह निर्णय लिया जाएगा।

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