UP Politics: बसपा के बाद अब सपा का भी वोटबैंक होगा ध्वस्त, M.Y. में हो सकती है सेंधमारी

SP Muslim Hindu Vote Bank: राजनीतिक विश्लेषकों का यह कहना है कि अखिलेश यादव ने यदि इस मामले को समय से हल नहीं किया तो जल्दी ही सपा की हालत बसपा सरीखी हो जाएगी।

Report :  Rajendra Kumar
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-04-18 14:02 GMT

Akhilesh yadav (Social Media)

SP Muslim Hindu Vote Bank: उत्तर प्रदेश (यूपी) में राजनीति (UP Politics) की बात करें तो शायद ही कोई दिन राजनीतिक गतिविधियों को लेकर सुस्त होता हो। आज (सोमवार) का दिन भी इस मामले में कुछ अलग नहीं था। सोमवार को अखिलेश (Akhilesh Yadav) के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़े सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया से नाराज शिवपाल पाल सिंह यादव को अपने साथ होने का दावा किया।

वहीं दूसरी तरफ आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) (AIMIM) के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान (Mohammad Farhan) ने आजम खान (Aazam Khan) को सीतापुर जेल में पत्र लिखकर ओवैसी के साथ आने को लेकर किये गए आग्रह को मीडिया से शेयर किया। सपा में अखिलेश यादव से खफा शिवपाल सिंह यादव और आजम खां सरीखे सीनियर मुस्लिम नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए शुरू हुई इन राजनीतिक पहलों को सपा के यादव -मुस्लिम वोट बैंक को ध्वस्त करने की शुरुआत बताई जा रही है।

सपा में भारी असंतोष

यूपी की तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा और विधान परिषद के चुनावों में मिली करारी हार के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव को पहली बार पार्टी में छिड़े असंतोष से दो-चार होना पड़ रहा है। यह उनके लिए चुनौती का समय है। क्योंकि सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने शिवपाल और ओवैसी ने आजम खां को अपने पाले में लाने के लिए उन पर निगाह जमा दी है।

शिवपाल और आजम को सपा से दूर कर पार्टी के यादव मुस्लिम वोटबैंक को ध्वस्त करने की योजना के तहत शिवपाल और आजम पर निगाह जमाई गई है। ऐसे में अखिलेश पर मुस्लिम हितैषी ना होने के लगे आरोप और शिवपाल सिंह यादव का उनसे खफा होना पार्टी पर भारी पड़ता दिखने लगा है। जिसके चलते ही एआईएमआईएम के प्रवक्ता ने आजम खां को पत्र लिखकर कहा कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं। अखिलेश को मुसलमानों से कतई हमदर्दी नहीं है। पिछले तीन वर्षों में न ही अखिलेश यादव और न ही उनके सलाहकारों ने आपको (आजम खान) को जेल से छुड़वाने के लिए कोई ठोस कदम उठाया है। इसलिए आप हमारे साथ आइए। उनके इस प्रयास को सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास माना जा रहा है।

यूपी में मुस्लिम राजनीति करवट बदल रही है

अखिलेश यादव पर मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज की अनदेखी करने के लगाये जा रहे ऐसे आरोपों के चलते ही यूपी में मुस्लिम राजनीति करवट बदल रही है? और बीते विधानसभा चुनावों सपा को एकतरफा मतदान करने वाले मुसलमान किसी नए विकल्प के बारे में सोचने लगे हैं। यही नहीं मुस्लिम समाज में यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि आखिर क्यों अखिलेश यादव जेल में बंद आजम खां को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं, और अपने चाचा शिवपाल सिंह की अनदेखी कर रहे हैं। क्या वह इन दोनों नेताओं से पार्टी से मुक्त करना (बाहर निकलना) चाहते हैं।

सपा की हालत बसपा की तरह

राजनीतिक विश्लेषकों का यह कहना है कि अखिलेश यादव ने यदि इस मामले को समय से हल नहीं किया तो जल्दी ही सपा की हालत बसपा सरीखी हो जाएगी। जैसे पंद्रह वर्षों में बसपा का सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला पूरी तरह बिखर गया। अब ठीक उसी तर्ज पर सपा का यादव -मुस्लिम वोट बैंक भी बिखर जाएगा क्योंकि अखिलेश यादव पार्टी की नाराज मुस्लिम नेताओं को मनाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।

शिवपाल सिंह यादव को भी वह बात करने को तैयार नहीं है। जबकि शिवपाल सिंह यादव और आजम खां सरीखे कई नेताओं को कई दल अपने साथ लाने की मुहिम में जुटे हैं। यह जानने समझने के बाद भी पार्टी के नाराज नेताओं के प्रति अखिलेश यादव का अड़ियल रुख सपा को नुकसान पहुंचाएगा, अब ऐसा मानने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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