मोबाइल वालों सावधान! फैल रही ये खतरनाक बीमारी, तो गए काम से..
दरअसल फोन और कंप्यूटर पर आने वाले नोटिफिकेशन, वाइब्रेशन और अन्य अलर्ट हमें लगातार उनकी ओर देखने के लिए मजबूर करते हैं। इसे रह रह कर नर्वस सिस्टम ट्रिगर होता है, वैसे ही जैसे किसी खतरे का सामना करने पर होता है। यानी हमारा मस्तिष्क लगातार अबनार्मल तरीके से एलर्ट और सतर्क रहता है।
लखनऊ: लत तो संभवत: हर चीज की होती है। टेक्रोलॉजी के मामले में भी ऐसा ही होता है। भारत में ये लत कुछ ज्यादा ही है। लेकिन टेक्रोलॉजी बनाने, आविष्कार करने या बनाने से ज्यादा इस्तेमाल करने की है और वह भी मनोरंजन के लिए। भारत के संदर्भ मेन ये मोबाइल फोन पर लागू होती है। ये लत खतरनाक दर से बढ़ रही है और इसकी वजह से युवा पीढ़ी ‘नोमोफोबिया’ का शिकार होती जा रही है। अनुमान है कि लगभग तीन एडल्ट उपभोक्ता लगातार एक साथ एक से ज्यादा उपकरणों का उपयोग करते हैं और अपने 90 फीसदी कार्यदिवस उपकरणों के साथ बिताते हैं।
ये भी पढ़ें—अभी-अभी पाकिस्तान ने दनादन दागे मोर्टार: एक की मौत, NSA डोभाल ने लिया बड़ा फैसला
इस प्राब्लम को ‘नोमोफोबिया’ कहा जाता है
सॉफ्टवेयर कंपनी ‘एडोब’ की एक स्टडी के अनुसार, 50 फीसदी उपभोक्ता मोबाइल चलाने के बाद कंप्यूटर पर जुट जाते हैं। भारत में इस तरह ‘स्क्रीन स्विच’ करना आम बात है। लंबे समय तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से गर्दन में दर्द, आंखों में ड्राईनेस, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम और अनिद्रा जैसे समस्याएं हो सकती हैं। 20 से 30 वर्ष की आयु के लगभग 60 फीसदी युवाओं को हमेशा अपना मोबाइल फोन खोने की आशंका रहती है। इस प्राब्लम को ‘नोमोफोबिया’ कहा जाता है।
दरअसल फोन और कंप्यूटर पर आने वाले नोटिफिकेशन, वाइब्रेशन और अन्य अलर्ट हमें लगातार उनकी ओर देखने के लिए मजबूर करते हैं। इसे रह रह कर नर्वस सिस्टम ट्रिगर होता है, वैसे ही जैसे किसी खतरे का सामना करने पर होता है। यानी हमारा मस्तिष्क लगातार अबनार्मल तरीके से एलर्ट और सतर्क रहता है।
ये भी पढ़ें— 2020 में मेष, वृष व मिथुन में किस राशि का प्यार चढ़ेगा परवान, जानिए वार्षिक राशिफल
30 प्रतिशत मामलों में स्मार्टफोन अभिभावक-बच्चे के बीच संघर्ष का एक कारण है। अक्सर बच्चे देर से उठते हैं और अंत में स्कूल नहीं जाते हैं। औसतन लोग सोने से पहले स्मार्ट फोन देखते हुए बिस्तर में 30 से 60 मिनट बिताते हैं।
क्या करें क्या न करें?
सोने से 30 मिनट पहले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग बंद कर दें।
हर दो महीने में 7 दिन के लिए सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक आदि का प्रयोग न करें, और सप्ताह में एक पूरे दिन सोशल मीडिया ऑल कर दें।
मोबाइल फोन का उपयोग केवल तब करें जब घर से बाहर हों।
एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा कंप्यूटर न चलाएं।
मोबाइल टॉक टाइम को एक दिन में दो घंटे से अधिक तक सीमित रखें।
मोबाइल की बैटरी को एक दिन में एक से अधिक बार चार्ज न करें।
ये भी पढ़ें—ग्रेवी या दाल के साथ चटकारें लेकर खाएं मटर पुलाव, इतनी आसान है विधि