कोरोना जैसी महामारी: 100 साल पहले भी बरपाया था कहर, ऐसे बची थी जान
क्या आपको मालूम है कि कोरोना वायरस से पहले भी एक ऐसा ही जानलेवा वायरस इस दुनिया में आ चूका है। और लाखों हजारों लोगों को अपना सिकार बना चुका है।
पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है। पूरी दुनिया में लाखों लोग इस खतरनाक वायरस का शिकार हो चुके हैं। जबकि 50 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इससे पहले भी एक ऐसा ही जानलेवा वायरस इस दुनिया में आ चूका है। और लाखों हजारों लोगों को अपना सिकार बना चुका है। जी हां, सन 1918 में भी दुनिया एक ऐसे ही जानेवा महामारी को झेल चुकी है।
1918 में आया था ऐसा ही वायरस
कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया में हडकंप मचा रखा है। चारों तरफ इस महामारी से त्राहि त्राहि मची है। और अभी तक इस बीमारी से निजात पाने की कोई दवा या टीका दुनिया का कोई देश इजाद नहीं कर पाया है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई वायरस एक महामारी का रूप लेकर हजारों लाखों की संख्या में लोगों को संक्रमित कर उनकी जान ले रहा हो।
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अबसे करीब 102 साल पहले सन 1918 में भी एक ऐसा ही वायरस या फ्लू चला था। जिसने महामारी का रूप ले लिया था। इस वायरस ने उस समय करीब पांच करोड़ लोगों की जान ली थी। इस वायरस का नाम था स्पैनिश फ्लू।
अखबार और जागरूकता अभियान ने निभाई थी अहम् भूमिका
स्पैनिश फ्लू ने भी दुनिया में ऐसा ही हाहाकार मचा रखा था। उस समय भी दुनिया में ये ही स्थिति थी जिस परिस्थिति से हम आज गुजर रहे हैं। पूरी दुनिया इस वायरस से निजात पाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन किसी के पास इस वायरस से निपटने का कोई हथियार नहीं था। तब स्पैनिश फ्लू से दुनिया को बचाने के लिए सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी जागरूकता अभियान ने। जो आज भी कोरोना वायरस से बचने में भी हमारा सहयोग कर रहा है। उस समय अख़बारों ने काफी अहम् भूमिका निभाई थी।
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उस समय अखबार लोगों को जागरूक करते थे। लोगों को सफाई का ध्यान रखने की सलाह देते थे प्रतिदिन अख़बार वायरस जुडी कोई जानकारी और इससे बचने का कोई न कोई तरीका सम्बन्धित खबर अवश्य प्रकाशित करते थे। कोरोना वायरस से भी बचने में मीडिया को अपना अहम् योगदान देना होगा जो वो कर रही है। स्पैनिश फ्लू की तरह कोरोना को भी जागरूकता अभियान से ही रोका जा सकता है।
सोशल डिस्टेंसिंग उस समय भी था ज़रूरी
स्पैनिश फ्लू भी कोरोना जैसा ही खतरनाक था। तब भी लोगों को इस फ्लू से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कहा जाता था। उस समय भी लोगों को अपने घरों में रहने की सलाह दी गयी थी। स्पैनिश फ़्लू ने भारत में भी अपना काफी आतंक फैलाया था। इस फ्लू ने देश में कईयों जानें ली थीं। लेकिन कोरोना वायरस की तरह इस फ्लू का भी कोई निश्चित उपाय नहीं था। इस लिए उस समय भी इस फ्लू से बचने के लिए दुनिया के कई जगहों को लॉकडाउन किया था।
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जी हां सही में, उस समय भी कई स्थानों को लॉकडाउन किया गया था। हम लोग अभी तक सोच रहे थे कि ये लॉकडाउन पहली बार है। जबकि इससे पहले भी लॉक डाउन का प्रयोग किया जा चूका था। काफी कहर बरपाने के बाद जब इस फ्लू की दवा मार्केट में आ पाई तब कहीं जा कर लोगों को इस फ्लू से निजाद मिली। इस तरह से कोरोना से अभी हम सबकी लड़ाई जारी है।
100 साल पुराने दौर से गुजर रही दुनिया
आज एक बार फिर हम सब 100 पहले के दौर में गुज़र रहे हैं। जहां पूरी दुनिया में एक वायरस कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है। और पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में आ चुकी है। कोरोना वायरस से अब तक पूरी दुनिया में 10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि ये महामारी 50 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है। लेकिन उसके बावजूद भी इस वायरस को फैलने से रोकने में हर देश नाकाम रहा है।
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कोरोना वायरस से निकलने का एक मात्र ही रास्ता है और वो रास्ता इसकी दवा है। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की दवाई बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन इसकी दवाई बाजार में आने में 1 साल से अधिक का समय लग सकता है। इसलिए कोरोना से बचने के लिए साफ-सफाई और लोगों से दूरी बनाए रखा ही एक मात्र रास्ता है।