कोरोना इफेक्ट : आखिर क्या है इन दवाओं में, जो जगाती हैं उम्मीद?

कोरोना के प्रकोप को रोकने, टीका और दवाई विकसित करने में पूरी दुनिया जुटी हुई है। इसी बीच दो पुरानी और सामान्य से दवाओं को लेकर कुछ उम्मीद जागी है। ये दवाइयाँ हैं - हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) और क्लोरोक्विन (सीक्यू)। ये दोनों सम्बंधित कंपाउंड हैं और क्विनीन के सिंथेटिक रूप हैं।

Update:2020-03-28 10:00 IST

नीलमणि लाल

लखनऊः कोरोना के प्रकोप को रोकने, टीका और दवाई विकसित करने में पूरी दुनिया जुटी हुई है। इसी बीच दो पुरानी और सामान्य से दवाओं को लेकर कुछ उम्मीद जागी है। ये दवाइयाँ हैं - हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) और क्लोरोक्विन (सीक्यू)। ये दोनों सम्बंधित कंपाउंड हैं और क्विनीन के सिंथेटिक रूप हैं। क्विनीन या कुनैन सिनकोना नामक पेड़ों से आने वाला एक पदार्थ है जिसका सैकड़ों सालों से मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होता आया है। कुनैन बहुत ही कड़वा पदार्थ होता है। इन दोनों कंपाउंड में एचसीक्यू अपेक्षाकृत कम जहरीला है और इसका इस्तेमाल एंटी-इंफ्लेमेटरी या सूजान निरोधी दवा के रूप में गठिया और ल्यूपस के इलाज के लिए भी किया जाता है। ल्यूपस मक्खी से फैलने वाली बीमारी होती है।

कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद

फ्रांस और चीन में शुरूआती अध्ययनों में कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद बंधी है। यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हड़बड़ी में इन दवाओं को ‘भगवान की तरफ से एक तोहफा’ बता दिया था। इसी फेर में अमेरिका में एक व्यक्ति की इन दवाओं को बिना डाक्टर की सलाह के खा लेने से मौत हो गई थी।

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विशेषज्ञों का कहना है जब तक परीक्षण में इन दवाओं को हरी झंडी नहीं दिखा जाती तब तक इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वैसे इन दोनों दवाओं से उम्मीद बंधी है और यही वजह है कि भारत ने इन दवाओं के निर्यात पर रोक लगा दी है।

चीन ने किया था इस्तेमाल

चीन ने क्लोरोक्विन (सीक्यू) का इस्तेमाल फरवरी में एक ट्रायल के दौरान 134 मरीजों पर किया था। बताया जाता है कि ये दवा बीमारी की तीव्रता कम करने में प्रभावकारी सिद्ध हुई थी। लेकिन इन ट्राइल के नतीजों को अभी प्रकाशित या सार्वजनिक नहीं किया गया है। चीन में एक विशेषज्ञ डॉक्टर जौंग नानशान ने कहा है कि इस ट्रायल के आंकड़े को जल्द ही व्यापक रूप से सार्वजनिक किया जाएगा।

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फ्रांस में अच्छे नतीजे

फ्रांस में शोधकर्ताओं की एक टीम ने बताया है कि उन्होंने कोरोना वायरस के 36 मरीजों का अध्ययन किया और पाया कि एक समूह को क्लोरोक्विन देने के बाद उस समूह में वायरल लोड भारी मात्रा में गिर गया। टीम ने पाया कि परिणाम विशेष रूप से साफ तब थे जब इसका इस्तेमाल एजिथ्रोमाइसिन नमक दवाई के साथ किया गया। एजिथ्रोमाइसिन एक आम एंटीबायोटिक है जिसका इस्तेमाल दूसरे दर्जे के बैक्टीरियल संक्रमण खासकर गले के संक्रामण को ठीक करने के लिए किया जाता है।

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प्रयोगशाला में सफलता

यह भी साबित हो चुका है कि प्रयोगशाला में हुये परीक्षण में एचसीक्यू और सीक्यू कोरोना वायरस वायरस के खिलाफ कारगर साबित हुए थे। एक वैज्ञानिक पत्रिका में छपे एक लेख में चीन की एक टीम ने इसकी एक संभावित कार्य विधि भी बताई थी।

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कैसे काम करती है दवा

वैज्ञानिकों का कहना है कि एचसीक्यू और सीक्यू, दोनों मिलकर वायरस की कोशिका में घुसने की क्षमता पर असर डालने की कोशिश करते हैं और उन्हें बढ़ने से भी रोकते हैं। लेकिन जब तक व्यापक क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे सामने न आ जाएँ, तब तक इंताजार करना चाहिए।

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