इस बार कंस नहीं कोरोना से है लड़ाई, बाजार में आए मास्क और पीपीई किट पहने कान्हा
भारत में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। रोज बड़ी संख्या में कोरोना के नये केस सामने आ रहे हैं। नौबत तो यहां तक आ पहुंची है कि अब त्योहारों पर भी कोरोना का असर साफ-साफ़ दिखाई देने लगा है।
नई दिल्ली: भारत में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। रोज बड़ी संख्या में कोरोना के नये केस सामने आ रहे हैं। नौबत तो यहां तक आ पहुंची है कि अब त्योहारों पर भी कोरोना का असर साफ-साफ़ दिखाई देने लगा है।
कोरोना से इंसान से लेकर भगवान तक आज हर कोई बचने की कोशिश कर रहा है। लोग ही नहीं बल्कि भगवान भी अब बचाव में पीपीई किट, गलब्स और मास्क पहन रहे हैं।
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कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मार्केट में दुकानें रंग बिरंगी मूर्तियों से सज गई हैं। बाजारों में बिकने वाली भगवान बाल गोपाल की मूर्तियों ने पीपीई किट और कोरोना कैप पहने हुईं हैं तो कहीं मास्क, सर्जिकल कैप और फेस शील्ड के साथ कान्हा पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं। कान्हा की मूर्तियों पर कपड़ों के अलावा अलग से लगे सुरक्षा के यह सारे इंतजाम लोगों को खूब भा रहे हैं।
भक्तों का कहना है कि आज जिस तेजी के साथ कोरोना पूरे देश में फैला है, उससे बचाव के लिए संदेश देने का इससे अच्छा और कोई तरीका नहीं है।
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ऐसा करने के पीछे ये है खास मकसद
इन सभी बातों को ही दिमाग में रखकर पीपीई किट, मास्क, सर्जिकल कैप, फेस शील्ड और कोरोना कैप से सरखकर इस वर्ष कान्हा की मूर्तियों को तैयार किया गया है। ताकि समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना के प्रति आगाह किया जा सके।
इस बारे में दुकानदारों ने बताया कि भगवान की मूर्तियों के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने के लिए इस तरह का काम वे पहले भी समय-समय पर करते रहे हैं।
जब देश में न्यू मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ था उस वक्त उन्होंने मूर्तियों के लिए हेलमेट तैयार कराए थे तो उसके पहले कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान खेल से संबंधित सामग्रियों को इस ढंग से तैयार किया था ताकि लोगों तक इससे जुड़े संदेश को पहुंचाया जा सके।
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