कोरोना से जंग में भारत की बड़ी जीत, दुनिया के अन्य देशों से रफ्तार काफी धीमी
कोरोना के खिलाफ जंग में भारत के नजरिए से सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया के बड़े देशों की अपेक्षा यहां कोरोना संक्रमण के मामलों की रफ्तार काफी धीमी है। देश में इतनी बड़ी आबादी को देखते हुए इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत के नजरिए से सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया के बड़े देशों की अपेक्षा यहां कोरोना संक्रमण के मामलों की रफ्तार काफी धीमी है। देश में इतनी बड़ी आबादी को देखते हुए इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। दुनिया के दूसरे बड़े देशों में लॉकडाउन के बावजूद एक सप्ताह में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन भारत में इसकी चाल मंद ही है।
बहुत तेजी से बढ़ा इन देशों का आंकड़ा
यदि हम अमेरिका,फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे देशों पर नजर डालें तो वहां शुरुआत में धीरे-धीरे केस मिलने के बाद जल्द ही आंकड़ा हजार और फिर लाखों तक पहुंच गया। लेकिन भारत में केसों के मिलने की रफ्तार इतनी तेज नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद देश में 25 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है। यदि हम भारत में मिलने वाले केसों का विश्लेषण करें तो देश में शुरुआती 2000 मरीज 63वें दिन मिले थे जबकि तीन दिन बाद यानी 66वें दिन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर चार हजार से ज्यादा हो चुकी थी।
भारत में कोरौना संक्रमण के मामलों की रफ्तार को दूसरे देशों के विश्लेषण से आसानी से समझा जा सकता है। यदि अमेरिका को देखा जाए तो वहां साठवें दिन 4000 मरीजों का आंकड़ा पहुंचा था। इसी तरह स्पेन में 54वें दिन, फ्रांस में 55वें दिन, इटली में 37वें दिन और दक्षिण कोरिया में 42वें दिन मरीजों की संख्या 4000 तक पहुंची थी।
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इस कारण मिली भारत को कामयाबी
भारत में संक्रमण के मामलों में तेजी रोकने के पीछे दो अहम कारण माने जा रहे हैं। आईसीएमआर से जुड़े महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने समय रहते लॉकडाउन करने का फैसला कर लिया और दूसरा प्रमुख कारण यह था कि यहां पहले दिन से ही काफी सतर्कता बरती गई। इस कारण यहां संक्रमण के मामलों की रफ्तार उतनी तेजी से नहीं बढ़ी जितनी दुनिया के अन्य बड़े देशों में।
इन विशेषज्ञों का कहना है कि पहले ऐसी बातें की जा रही थी कि यहां जांच इसलिए कम की जा रही है ताकि कोरोना के कम मरीज सामने आएं जबकि ऐसी बातों में कोई दम नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में लऑकडाउन घोषित होने के बाद अधिकांश आबादी घरों में कैद रही है। इसलिए हर किसी की जांच करने की कोई जरूरत ही नहीं है।
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अमेरिका में भयावह हालात
यदि अमेरिका में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखा जाए तो वहां हालात भयावह हैं। वहां अब तक चार लाख से ज्यादा लोग इस किलर वायरस की गिरफ्त में आ चुके हैं जबकि मरने वालों का आंकड़ा भी 17000 के पार पहुंच चुका है।
जॉन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में हर दूसरे दिन करीब 2000 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हो रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का भी मानना है कि अमेरिका में स्थितियां दिन-प्रतिदिन बेकाबू होती जा रही हैं और इस वायरस को रोकने के सारे प्रयास विफल साबित होते दिख रहे हैं।
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यहां तबलीगी जमात ने बढ़ाए केस
जहां तक भारत का सवाल है तो यहां कोरोना के 10 सप्ताह पूरे हो चुके हैं और 11वां सप्ताह चल रहा है। नौवें सप्ताह तक भारत में 1112 कोरोना संक्रमित मरीज थे। नौवें सप्ताह में ही भारत में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी और अब मरीजों की संख्या बढ़कर करीब 6000 तक पहुंची है।
जानकारों का कहना है कि यह संख्या और भी सीमित की जा सकती थी यदि तबलीगी जमात के जरिए देश के विभिन्न राज्यों में संक्रमण ना फैला होता। जमात के जरिए संक्रमित होने वालों की संख्या 15 सौ से ऊपर मानी जा रही है और अभी कई मामलों की रिपोर्ट आना बाकी है।
काफी बेहतर है भारत की स्थिति
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यदि हम दुनिया के नौ बड़े देशों को देखें तो भारत की स्थिति काफी बेहतर नजर आती है। अधिकारी के मुताबिक भारत की आबादी काफी ज्यादा है और यहां लोग काफी घनी आबादी के बीच रहते हैं। इसके बावजूद कोरोना का उतनी तेजी से ना फैलना किसी जीत से कम नहीं है।
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