वुहान की लैब से ही निकला था कोरोनावायरस!

कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर स्थित एक सुपर हाईटेक लैब से निकला था। ब्रिटेन सरकार के मंत्रियों ने कहा है की कहने को भले ही ये कहा....

Update: 2020-04-05 05:51 GMT

नील मणी लाल

लखनऊ: कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर स्थित एक सुपर हाईटेक लैब से निकला था। ब्रिटेन सरकार के मंत्रियों ने कहा है की कहने को भले ही ये कहा जाए कि घटक वायरस वुहान के एक जीवित पशु बाजार से इनसानों में आया लेकिन एक चीनी प्रयोगशाला से लीकेज की बात से अब इंकार नहीं किया जा सकता।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अगुवाई वाली इमरजेंसी कमेटी “कोबरा” के एक सदस्य ने कहा है कि जबकि नवीनतम खुफिया रिपोर्ट ये बताती है कि वायरस 'जूनोटिक' यानी जानवरों में उत्पन्न था लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वायरस वुहान की प्रयोगशाला से लीक होने के बाद ही मनुष्यों में फैल गया।

खुफिया जानकारी से खुलासा

“कोबरा” के मेम्बर्स को सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से जानकारी प्राप्त होती है। इस सदस्य ने बताया कि यह कोई संयोग नहीं है कि वुहान में ही चीन की वायरस शोध प्रयोगशाला है।

3 अरब रुपये वाली लैब

वुहान में इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलोजी अपनी तरह की सबसे उन्नत प्रयोगशाला है। ये लैब वुहान के कुख्यात वन्यजीव बाजार से दस मील की दूरी पर स्थित है। करीब तीन अरब रुपये वाले ये लैब दुनिया की सबसे सुरक्षित वायरोलॉजी इकाइयों में से एक मानी जाती है। चीन के सरकारी अखबार ‘पीपुल्स डेली’ ने 2018 में कहा था कि यह लैब घातक इबोला वायरस जैसे 'अत्यधिक रोगजनक सूक्ष्मजीवों' के साथ प्रयोग करने में सक्षम है। इसी संस्थान के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले सुझाव दिया था कि वायरस का जीनोम चमगादड़ में पाए जाने वाले जीनोम से 96 प्रतिशत समान है।

लैब से लीकेज

स्थानीय रिपोर्टों में बताया गया है कि इस संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों पर खून गिरा था और उससे वे संक्रमित हो गए। बा द्में यही कर्मचारी उस संक्रमण को स्थानीय आबादी में ले गए। वुहान शहर में एक दूसरा संस्थान भी है - वुहान सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल। ये जीवित जानवरों के बाजार से मात्र तीन मील की दूरी पर है। माना जाता है कि कोरोना वायरस के संक्रामण की जांच करने के लिए चमगादड़ जैसे जानवरों पर इसी संस्थान में प्रयोग किए गए हैं।

चीन ने बढ़ाई सुरक्षा

चीन की सरकार ने लैब से लेकेज से इनकार तो किया है लेकिन ये भी सच्चाई है कि सरकार ने नए कानून जारी किए हैं जो वायरस के बेहतर प्रबंधन और 'जैविक सुरक्षा' को सुनिश्चित करने के लिए सुविधाओं से संबन्धित हैं। 2004 में एक चीनी प्रयोगशाला से रिसाव के कारण गंभीर ‘सार्स’ का प्रकोप हुआ था। चीनी सरकार ने कहा भी था कि रिसाव लापरवाही का नतीजा था और चीनी नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को दंडित किया गया।

एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने कहा कि उन्होंने ऐसे सबूतों को देखा है कि वुहान की प्रयोगशालाओं में लेवेल-4 की बजाय केवल 'लेवेल-2' की सुरक्षा के साथ वायरस का अध्ययन किया जाता है। लेवेल-2 में सिर्फ न्यूनतम सुरक्षा प्रदान की जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस भले ही लैब में न बनाया गया हो लेकिन एक प्रयोगशाला दुर्घटना से इनकार करने का कोई आधार नहीं है।

दबा दी गई जानकारी

दक्षिण चीन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला था कि कोविड-19 संभवतः रोग नियंत्रण केंद्र में उत्पन्न हुआ था। लेकिन इस स्टडी के प्रकाशन के तुरंत बाद, शोध पत्र को वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की एक सोशल नेटवर्किंग साइट से हटा दिया गया था।

जनवरी में, जब वुहान के वन्यजीव बाजार को बंद कर दिया गया था, तो वायरोलॉजी संस्थान के एक शोधकर्ता हुआंग यानलिंग को 'प्रथम रोगी’ के रूप में पहचाना गया था। यानी संक्रमित होने वाला वह पहला व्यक्ति था। इस खबर को संस्थान ने फेक न्यूज़ करार दिया था। संस्थान ने कहा कि हुआंग ने 2015 में ही संस्थान छोड़ दिया था, उसकी हेल्थ अच्छी थी और उसमें कोविड-19 डायग्नोस नहीं हुआ था। का निदान नहीं किया गया था।

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