हत्यारा बाहुबली विधायक: नहीं सह पाया अपनी हार, विरोधी को उड़वाया बम से
प्रभुनाथ सिंह हत्या के मामले में इन दिनों जेल में सजा काट रहे हैं। इन्हें कभी लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी कहा जाता था। प्रभुनाथ सिवान जिले के महाराजगंज सीट से सांसद रह चुके हैं।
लखनऊ: बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इसके पहले नई विधानसभा के गठन के लिए आयोग ने जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी पार्टियों की तरफ से विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां जोरो-शोरो से की जा रही हैं। आज बिहार चुनाव की तैयारियों के बीच हम आपको एक ऐसे बाहुबली नेता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने चुनाव हार जाने पर अपने विरोधी को ही बम से उड़ा दिया था। जी हां, हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद और बिहार के बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह की।
लालू के करीबी थे प्रभुनाथ सिंह
प्रभुनाथ सिंह हत्या के मामले में इन दिनों जेल में सजा काट रहे हैं। इन्हें कभी लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी कहा जाता था। प्रभुनाथ सिवान जिले के महाराजगंज सीट से सांसद रह चुके हैं। सीमेंट कारोबारी रह चुके प्रभुनाथ सिंह ने पहली बार साल 1985 में सारण के मशरख विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने निर्दलीय ये जीत हासिल की थी। बता दें कि विधायक बनने से पहले प्रभुनाथ मशरख के तत्कालीन विधायक रामदेव सिंह काका की हत्या के बाद चर्चा में आए।
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1995 में प्रभुनाथ को लगा तगड़ा झटका
रामदेव सिंह काका की हत्या का भी आरोप प्रभुनाथ सिंह पर लगा था। हालांकि बाद में वो इस केस में कोर्ट से बरी हो गए थे। इसके बाद साल 1990 में प्रभुनाथ सिंह दोबारा विधायक के तौर पर चुने गए। लेकिन इस बार उन्होंने जनता दल की टिकट पर जीत हासिल की। इसके बाद साल 1995 में प्रभुनाथ को दोबारा विधायक बनने की उम्मीद थी। लेकिन इस बार उन्हें अपने ही शागिर्द अशोक सिंह से हार का सामना करना पड़ा। अशोक सिंह राजद के मशरख विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे।
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अशोक सिंह की हत्या की साजिश
अशोक सिंह की जीत के बाद मानो मशरक में प्रभुनाथ की सियासी जमीन सरकती गई। अपनी हार से और खत्म होती राजनीति को देखते हुए प्रभुनाथ सिंह ने बदला लेने की ठानी। उसके बाद रचा गया अशोक सिंह की हत्या की साजिश। तीन जुलाई, 1995 की शाम सात बजकर 20 मिनट पर पटना में अशोक सिंह की उनके सरकारी आवास में बम मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में प्रभुनाथ सिंह के साथ उनके भाई दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को दोषी ठहराया गया था। अभी वो जेल में सजा काट रहे हैं।
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22 साल बाद आया था कोर्ट का फैसला
बता दें कि इस मामले में करीब 22 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। हजारीबाग जिला कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह के साथ उनके भाई दीनाथ सिंह और रितेश सिंह को 18 मई 2017 को दोषी ठहराया था। इसके बाद विधायक मर्डर केस में कोर्ट ने 23 मई 2017 को प्रभुनाथ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इस मामले में प्रभुनाथ सिंह जेल में सजा काट रहे हैं।
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