स्ट्रीट लाइट में पढ़ने वाली भारती ने किया कुछ ऐसा, खानदान का नाम हुआ रोशन
भारती ने उनसे सीख लेकर जब ये सफलता हासिल की तो इंदौर के मिन्यूसिपल कमिशनर प्रतिभा पाल ने उसे घर, साजो सामान से नवाज दिया।
तनवीर फातिमा
इंदौर में मजदूर की बेटी, फुटपाथ पर रहने वाली, रहने को घर नहीं, पढ़ने की लिए स्ट्रीट लाइट पर काम ऐसा कि आज पूरा देश उसकी बात कर रहा है। हम बात कर रहे हैं भारती खांडेकर की। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली मजदूर की बेटी भारती ने स्ट्रीट लाइट में ही पढ़ाई कर आज सिर्फ अपने माता पिता का ही नहीं पूरे इंदौर का नाम रौशन कर दिया है।
भारती ने 68 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं की परीक्षा पास की है। इस टॉपर को अब नगर निगम ने एक फ्लैट दे दिया है साथ ही घर के लिए जरुरी बुनियादी साजो सामान भी मुहैया करा दिए हैं। इतना ही नहीं सरकार ने भारती की आगे की पढ़ाई का खर्च उठाने का भी जिम्मा लिया है।
रहने को घर नहीं था, अब मकान की मालकिन
भारती उसके माता पिता और दो छोटे भाइयों के पास रहने को घर नहीं था पर भारती का हौसला इससे डिगा नहीं। वो इंदौर के शिवाजी मार्केट के चौराहे की स्ट्रीट लाइट में पढ़ती रही और अपनी मेहनत से 10 वीं कक्षा में टॉप किया है। भारती को ताकत उसके मजदूर पिता के हौसले से मिली।
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भारती के पिता दशरथ खांडेकर भले ही मजदूर हैं पर अपने तीनों बच्चों को पढ़ाकर अफसर बनाना चाहते हैं। इसके लिए वो दिन रात मजदूरी कर रहे हैं। भारती ने उनसे सीख लेकर जब ये सफलता हासिल की तो इंदौर के मिन्यूसिपल कमिशनर प्रतिभा पाल ने उसे घर, साजो सामान से नवाज दिया।
IAS बनना चाहती है भारती
भारती अपनी इसी सफलता पर रुकना नहीं चाहती। उसने अपने लिए लक्ष्य तय कर रखे हैं। भारती पढ़ाई कर आईएएस बनना चाहती है। वो अफसर बनकर अपने जैसे बच्चों की भविष्य में मदद भी करना चाहती है। वो अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को देना चाहती है।
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भारती की मां लक्ष्मी खांडेकर स्कूल में झाड़ू पोंछा कर 2 हजार रुपये तक कमा लेती हैं। उनका मानना है कि लड़कियां लक्ष्मी का रूप होती हैं और लड़कियों की जितनी मदद की जाती वो उससे ज्यादा आगे बढ़ती हैं। उन्हें भी अपनी बेटी पर नाज़ है।