जानिये सिंधिया परिवार का सियासी सफर
मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘राज’ परिवार फिर से सुर्ख़ियों में है। ये राज परिवार है विजयाराजे सिंधिया का। अब फोकस में हैं विजयाराजे के पोते ज्योतिरादित्य जिन्होंने अपने पिता की पार्टी कांग्रेस से बगावत कर ली है।
नीलमणि लाल
भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘राज’ परिवार फिर से सुर्ख़ियों में है। ये राज परिवार है विजयाराजे सिंधिया का। अब फोकस में हैं विजयाराजे के पोते ज्योतिरादित्य जिन्होंने अपने पिता की पार्टी कांग्रेस से बगावत कर ली है।
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विजयाराजे थीं जनसंघ की संस्थापक सदस्य
कांग्रेस से चार बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी ‘राजमाता’ विजयाराजे सिंधिया ने अपनी राजनीति की शुरुआत 1957 में कांग्रेस से की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं लेकिन 10 साल बाद कांग्रेस का हाथ छोड़कर विजयाराजे 1967 में जनसंघ से जुड़ गईं। वो जनसंघ की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं। विजयाराजे का ये प्रभाव था कि 1972 में जनसंघ ग्वालियर क्षेत्र में तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा।
इसमें विजयाराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने। उस समय माधवराव सिर्फ 26 साल के थे।माधवराव सिंधिया कुछ समय बाद जनसंघ से अलग हो गए थे और 1980 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने।
बुआ हैं भाजपा में
ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोनों बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भाजपा में हैं। वसुंधरा राजे कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। उनके बेटे दुष्यंत भी राजस्थान की झालवाड़ सीट से भाजपा के सांसद हैं। यशोधराराजे 1994 में अपनी मां की इच्छा के अनुरूप भाजपा में शामिल हुई थीं। वो पांच बार विधायक रह चुकी हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वो मंत्री भी थीं।
ज्योतिरादित्य का राजनीतिक सफर
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री और 2001 में स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया। 1984 में उनकी शादी बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की प्रियदर्शिनी से हुई। उनके एक बेटा महा आर्यमान और बेटी अनन्याराजे है।
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पहली बार गुना सीट से लड़ा चुनाव
30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में माधवराव सिंधिया मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद विदेश से लौटे ज्योतिरादित्य ने राजनीति में उतरने का फैसला किया। और 2002 में पिता की पारंपरिक गुना सीट से चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे। यूपीए सरकार में पहली बार 2007 में सिंधिया ने केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार संभाला। 2012 में भी उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार संभाला।
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