चोटी के एथलीट रहे कभी न हारने वाले महारथी 'भीम', अमृतसर से है इनका गहरा नाता

अमृतसर के करीब सवा सौ साल पुराने खालसा कॉलेज के डॉ. धर्मेंद्र सिंह रटौल और डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगवानी कहते हैं कि प्रवीण का नाम कॉलेज होनहार छात्रों में सुमार था। कॉलेज में दर्ज अभिलेखों के मुताबिक वह चोटी का एथलीट था। आज कॉलेज को अपने इस पूर्व छात्र पर गर्व है।

Update:2020-04-18 15:23 IST

दुर्गेश मिश्र

अमृतसर: लॉकडाउन के बीच डीडी भारती पर प्रतिदिन दोपहर 12 बजे और शाम को सात बजे प्रसारित हो रहे धारावाहिक महाभारत और उसके किरदार एक बार फिर से चर्चा में हैं। 94 कडि़यों का यह धारावाहिक 1988 से 90 तक हर रविवार दूरदर्शन पर सुबह नौ बजे जब प्रसारित होता था उस समय सड़कें सूनी हो जाती थीं। बीआर चोपड़ा कृत महाभारत की करीब 30 साल बाद दोबारा दूरदर्शन पर वापसी हुई है। इस धारावाहिक के सभी पुराने किरदार फिर से चर्चा में आ गए हैं। इन्‍हीं किरदारों में से एक हैं 'भीम'। महाभारत के भीम को छोटे पर्दे पर देख खालसा कॉलेज के प्रोफेसर इनदिनों गदगद हैं।

कभी खालसा कॉलेज के छात्र रहे 'भीम'

अमृतसर के करीब सवा सौ साल पुराने खालसा कॉलेज के डॉ: धर्मेंद्र सिंह रटौल और डॉ: इंद्रजीत सिंह गोगवानी कहते हैं कि प्रवीण का नाम कॉलेज होनहार छात्रों में सुमार था। कॉलेज में दर्ज अभिलेखों के मुताबिक वह चोटी का एथलीट था। आज कॉलेज को अपने इस पूर्व छात्र पर गर्व है। करीब तीस साल पहले जब टीवी पर महाभारत का प्रसारण होता था तो हम गर्व से कहते थे कि यह हमारे कॉलेज का पूर्व छात्र है। अब महाभारत के दोबारा प्रसारण शुरू होने से पुरानी यादें फिर ताजा हो उठी हैं। वे कहते हैं कि गांव सरहाली (जो अब तरनतारन जिले में है) निवासी 'भीम' प्रवीण सोबती 12वीं से बीए तक खालसा कॉलेज के छात्र रहे हैं।

कॉलेज के एथलेटिक्‍स में आज भी शीर्ष पर है नाम

डॉ: धर्मेंद्र सिंह रटौल कहते हैं प्रवीण का नाम कॉलेज के एथलिटों में शीर्ष पर था। उनका रिकॉर्ड अभी तक कोई नहीं तोड़ पाया है। उन्‍होंने बताया कि पूर्व ओलंपियन और एशियाई चैंपियन अर्जुन पुरस्‍कार विजेता प्रवीण कुमार ने सन 1965 में भारत की तरफ से सोवियत संघ रूस के खिलाफ हैमर थ्रो में स्‍वर्ण पदकर प्राप्‍त किया। इसके अलावा उन्‍होंने एशियाई खेलों में बैंकाक, राष्‍ट्रमंडल खेलों, जमैका, श्रीलंका, लॉंस एंजिल्‍स, कैलिफोर्निया सहित अन्‍य देशों में अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त किए थे। डॉ: रटौल ने बताया प्रवीण वाकई में 'भीम' हैं, वे 1965 से 80 तक डिस्‍कस थ्रो में चर्चा का केंद्र बने रहे। ऐसे व्‍यक्तित्‍व के मालिक प्रवीण के खालसा कॉलेज का पूर्व छात्र होने पर गर्व है।

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गांव सरहली के रहने वाले हैं प्रवीण

महाभारत के महारथियों में से एक महाबली भीम का किरदार निभाकर ख्‍याती पाने वाले 6 फुट 7 इंच के पूर्व एथलीट प्रवीण कुमार अमृतसर के गांव सरहली (अब जिला तरनतारन) के रहने वाले हैं। 6 सितंबर 1946 को जन्‍मे प्रवीण कुमार का पूरा नाम प्रवीण सोबती है। सीमा सुरक्षा बल में डिप्टी कमांडेंट रह चुके व महाभारत में भीम का किरदार निभाकर ख्‍याति पाने वाले प्रवीण कुमार अब करीब 72 वर्ष के हो चुके हैं। लेकिन खालसा कॉलेज की वार्षिक पत्रिका में प्रतिष्ठित खिलडि़यों की लिस्‍ट में आज भी उनका नाम और तस्‍वीर छपती है।

प्रवीण सोबती की उपलब्धि

खालसा कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार प्रवीण कुमार सोबती 'भीम' 1960 और 1970 के दशक में भारतीय एथलेटिक्स के चमकते सितारे थे । "6'7 कद वाले प्रवीण भारत के लिए हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो कई वर्षों के लिए फेंकते रहे। वह 1966 व 70 के एशियाई खेलों में रिकॉर्ड 56.76 मीटर के साथ डिस्कस थ्रो के डबल गोल्ड मेडलिस्ट बने, व 66 के किंग्स्टन कॉमनवेल्थ खेलों व 1974 के तेहरान एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया, इन्होने 1968 व 1972 के समर ओलंपिक में भी हिस्सा लिया। प्रवीण कुमार को अर्जुन अवार्ड और महाराजा रणजीत सिंह अर्वाड से सम्‍मानित किया जा चुका है।

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'भीम' और 'हनुमान' में समानता

रामायण और महाभारत दो किरदार 'हुनामन' दारा सिंह और महाभारत के 'भीम' प्रवीण कुमार सोबती में एक समानता है। इन दोनों ही कलाकारों का संबंध में पंजाब के अमृतसर जिले है। और दोनों ही गांव के रहने वाले हैं। इसके अलावा दारा सिंह और प्रवीण कुमार दोनो ही अपने जमाने चोटी के एथलीट रहे हैं। एक पहलवानी में तो दूसरा डिस्‍कस थ्रो में। ये दोनो ही जब तक खेल के मैदान में रहे हिंदुस्‍तान का परचम लहराते रहे। इसके अलावा दोनो का राजनीति से भी रहा है। जहां बाजपेयी सरकार में दारा सिंह राज्‍य सभा के सदस्‍य रहे। वहीं प्रवीण कुमार पहले आम आदमी पार्टी में और अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य है।

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इस कलाकार का भी संबंध रहा है अमृतसर से

हनुमान और भीम के अलावा एक कलाकार और है जिसे लोगों ने दूरदर्शन के पर्दे पर तो नहीं देखा, लेकिन उसकी आवाज 'महाभारत' के शुरू होते ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगती है। वह हैं पार्श्‍वगायक महेंद्र कपूर। धारावाहिक महाभारत का टाइटल सांग अथ श्री महाभारत कथा... को स्‍वर देने वाले महेंद्र कपूर का जन्‍म भी अमृसर में हुआ था। और इनका बचपन गुरु नगरी की गलियों में बीता था। हलांकि अब मौजूदा समय में महेंद्र कपूर और दारा सिंह का परिवार मुंबई में तो प्रवीण कुमार का परिवार दिल्‍ली में रह रहा है।

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