क्या अगला युद्ध भारत-नेपाल के बीच होगा, पढ़ें रक्षामंत्री पोखरेल का ये उकसाऊ बयान

भारत और पड़ोसी मुल्क नेपाल के बीच रिश्ते दिनों दिन और भी ज्यादा बिगड़ते ही जा रहे हैं। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि अब नेपाल भारत खिलाफ उकसाने वाले बयान देना शुरू कर दिया है।

Update: 2020-05-26 05:48 GMT

नई दिल्ली: भारत और पड़ोसी मुल्क नेपाल के बीच रिश्ते दिनों दिन और भी ज्यादा बिगड़ते ही जा रहे हैं। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि अब नेपाल भारत खिलाफ उकसाने वाले बयान देना शुरू कर दिया है।

ताजा बयान नेपाल के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने दिया है। जिसमें उन्होंने भारत को आगाह करते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो नेपाली सेना इसके खिलाफ लड़ाई भी लड़ेगी।

पोखरेल ने भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे पर भी हमला बोला है और कहा कि कूटनीतिक विवाद में चीन की तरफ इशारा करना निंदनीय है।

पोखरेल ने ये भी कहा कि सेना प्रमुख के इस वक्तव्य से नेपाली गोरखाओं की भावनाएं चोटिल हुई हैं जो भारत की सुरक्षा के लिए अपनी जान गंवाते आए हैं। उनके लिए (भारतीय सेना प्रमुख) गोरखा बल के सामने सिर ऊंचा कर खड़ा करना भी अब संभव नहीं होगा।

वे इतने पर ही नहीं रुके बल्कि आगे कहा कि भारतीय सेना प्रमुख का नेपाल को लेकर दिया गया बयान महज एक राजनीतिक स्टंट है। क्योंकि सेना प्रमुख से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं की जाती है।

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भारतीय सेना प्रमुख के इस बयान पर मचा बवाल

उन्होंने ये भी कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों में आजादी से पहले से ही नेपाली गोरखा शामिल रहे हैं और भारत-नेपाल के विवाद से उन्हें हमेशा दूर ही रखा गया है।

यहां आपको बताते चलें कि भारत के सेना प्रमुख एम.एम नरवणे ने 15 मई को अपने एक बयान में कालापानी को लेकर नेपाल की भूमिका पर सवाल उठाए थे। नरवणे ने कहा था कि नेपाल किसी और के इशारे पर विरोध कर रहा है। सेना प्रमुख का इशारा साफ-साफ़ चीन की तरफ था।

जिसके बाद अब नेपाल के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल को आगे आकर इस मसले पर अपनी सरकार का पक्ष रखना पड़ा है। मालूम हो कि भारतीय सेना में गोरखा की तकरीबन 40 बटालियन हैं, इनमें नेपाल के गोरखाओं की तादाद अधिक हैं।

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जानिए कब और कैसे शुरू हुआ विवाद

दरअसल भारत और नेपाल के रिश्ते उस वक्त और भी ज्यादा बिगड़ गये जब 8 मई के दिन दारचूला-लिपुलेख में भारत ने सड़क का उद्घाटन किया था जिसको लेकर नेपाल ने कड़ा एतराज जताया था।

पहले से ही नेपाल इन इलाकों पर अपना हक जताता रहा है। कुछ दिनों बाद ही सेना प्रमुख नरवणे ने बयान दिया कि लिंक रोड भारतीय क्षेत्र में है इसलिए नेपाल के पास विरोध करने की कोई वजह नहीं है।

नेपाल की सेना के पीआरओ जनरल विज्ञान देव पांडे ने भारतीय सेना प्रमुख नरवणे के बयान पर अपना सेना की तरफ से पक्ष रखने से मना कर दिया था और कहा था कि वह किसी राजनीति में नहीं फंसना चाहते हैं।

वहीं नेपाल के रक्षामंत्री पोखरेल ने कहा कि उनकी सेना काठमांडू की जरूरत के हिसाब से एक्शन लेगी। उन्होंने कहा, सेना हमारे संविधान और सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार सही वक्त आने पर अपनी भूमिका अदा करेगी। अगर जरूरत पड़ी तो हम लड़ेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि नेपाल का मानना है कि कालापानी मुद्दे का समाधान राजनयिक बातचीत के माध्यम से ही निकाला जाए।

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