रामायण के 'मारीच' ने कहा- 'कोरोना वायरस को मिलकर हराना है'

'रामायण सीरियल का 4 अप्रैल 2020 के दिन दिखाया गया एपीसोड मेरे लिये किसी पुनर्जन्म पुर्नजन्म से कम नहीं है। 45 वर्षों से मुझे जिस प्रसिद्ध की चाह थी, वह अब जाकर मुझे प्राप्त हुई है'।

Update: 2020-04-09 11:12 GMT

संदीप पाल

लखनऊ: 'रामायण सीरियल का 4 अप्रैल 2020 के दिन दिखाया गया एपीसोड मेरे लिये किसी पुनर्जन्म पुर्नजन्म से कम नहीं है। 45 वर्षों से मुझे जिस प्रसिद्ध की चाह थी, वह अब जाकर मुझे प्राप्त हुई है'। ये कहना है रामायण सीरियल में मामा मारीच के किरदार निभाने वाले प्रसिद्ध कलाकार रामेश गोयल का।

न्यूज़ट्रैक से एक खास बातचीत में एक्टर रमेश गोयल ने कहा कि रामायण की बदौलत मुझे दोबारा जीवन मिला है। इसलिये मैं चाहता हूँ कि अब मुझे मामा मारीच के नाम से ही जाना जाये। मैंने मामा मारीच के नाम से अपनी साइट भी बनाई व लांच की है।

मूल रूप से आगरा के फतेहपुर सीकरी के रहने वाले रमेश गोयल साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म ’सरफरोश’ में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके है। वह ‘सलाम बाम्बे 1988’, ‘हम है राही प्यार के 1993’, ‘डांस दोस्ती और स्कूल 2015’, में एक्टिंग कर चुके हैं।

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रमेश गोयल ने बताया कि लगभग 45 साल पहले आई फिल्म ‘आंधी’ में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन लीड रोल में थे। उस फिल्म में दिखाई गई भीड़ में एक सीन मेरा भी था।

उस दौरान मुझे बतौर कलाकार 13 रूपये मिले थे। रमेश ने बताया कि उन्होने तकरीबन 450 फिल्मों व सीरियल में बतौर एक्टर काम किया है। कोई भी ऐसा रोल नहीं है, जो उन्होंने न किया हो। यही वजह है कि वे लंबे समय से अब तक सिने जगत में स्थापित हैं।

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सवाल : आपने ऐसा क्यों कहा कि जिस प्रसिद्ध का आपको सालों से इंतजार था। वह अब जाकर मिली।

जवाब : रामायण सीरियल के दोबारा शुरू होने के बाद जिस दिन भगवान राम चन्द्र के हाथों मामा मारीच के वध का एपीसोड खत्म हुआ, और मैं पुरानी यादों में खोया हुआ था कि तभी मेरे मोबाइल की घंटी एक-एक कर लगातार बजती जा रही थी।

सभी मुझसे कह रहा था कि रमेश भाई बहुत सीनियर आर्टिस्ट हैं। मुझे रामायण में आपके मारीच का किरदार देखकर पता चला। लोग बधाई दे रहे थे। मेरे मारीच के किरदार देखकर तमाम डायरेक्टर मुझसे कहने लगे कि सर आप तो बहुत ही सीनियर एक्टर है। अब मुझे और अधिक रोल करने के ऑफर आने लगे हैं।

सवाल : आप पर किस प्रकार से भगवान कृपा बरसी?

जवाब : रामायण सीरियल की दोबारा शुरूआत बहुत अच्छी बात है। भगवान राम की मेरे ऊपर विशेष कृपा रही है। मेरे संघर्ष के समय जब मैं अंधेरी रेलवे स्टेशन पर सोया करता था कि उस दौरान मुझे रामायण सीरियल में काम मिला और भगवान राम की कृपा से मेरी दाल-रोटी चल पड़ी। ’सरफरोश’ फिल्म और रामायण सीरियल से मुझे विशेष पहचान मिली।

सवाल : फतेहपुर सीकरी से निकलते समय आपने क्या सोचा था?

जवाब : मैं 1973 फतेहपुर सीकरी से अकेले ही मुंबई गया था। जेब में पैसे तक नहीं थे। कई दिन तक भूखे भी रहना पड़ा। एक ही धुन थी फिल्मों में काम करना है। कोई प्रोड्यूसर, डायरेक्टर मिलने को तैयार तक नहीं होता था।

बल्कि बेइज्जत किया जाता था, लेकिन हताश नहीं हुए, क्योंकि फतेहपुर सीकरी से यह सोच कर मुंबई गए थे-जीना यहां, मरना यहां। 1974 में ’जानेमन’ फिल्म में काम मिला, जिसमें देवानंद और हेमामालिनी थे, लेकिन उससे कोई खास पहचान नहीं मिली।

मैं फतेहपुर सीकरी के गुड़ की मंडी का निवासी हूँ। आगरा में ससुराल है। मेरे मां-बाप नहीं है उनका देहान्त मेरे संघर्ष के दौरान ही हो गया था। लेकिन आज मेरे मां-बाप की आत्मा जहां भी होगी। वह खुश होगी और कह रही होगी कि “मेरो लला रमेश ने कछऊ तो करैऊ।“

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सवाल : क्या इंडस्ट्री में नए कलाकारों को मौका मिल रहा है?

जवाब : भारत रहने के लिए सबसे अच्छी और खूबसूरत जगह है। इस समय नए लोग इंडस्ट्री में आए हैं। हर फिल्म में सलमान खान तो नहीं हो सकता, इसीलिए नए कलाकारों को मौका मिल रहा है। अगर आप के अंदर टैलेंट है तो एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए। अगर मैं 45 साल मुंबई न गया होता तो इस वक्त खेतों में हल चला रहा होता।

सवाल : खाली समय में आप क्या करना पसंद करते हैं?

जवाब : खाली समय में मैं टिकटॉक और गूगल पर वीडियो को देखकर खुश होता हूं।

सवाल : कोरोना वायरस के विषय में आप देश से क्या अपील करेंगे?

जवाब : कोरोना को मजाक में नहीं लिया जा सकता है। यह एक गंभीर समस्या है। कोरोना यूरोपीय देशों के लिये कैसे काल साबित हो रहा है। ऐसे में हमें उनकी गलतियों से सबक लेते हुये। अपने हम सभी को अपने घरों में रहना चाहिए। तभी हम कोरोना की चेन को तोड़ सकने में कामयाब होंगे। इसी में हम सबकी भलाई है।

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