नहीं रहे रामनगीना मिश्रः कांग्रेस सांसद रहते हुए दी थी रामजन्मभूमि आंदोलन में आहुति
राम मंदिर निर्माण की थी सो रामनगीना मिश्र जी ने सभी प्रकार के पद प्रलोभन को ठुकरा दिया । वह कहते हैं, "मेरे लिए जीवन में राम मंदिर का निर्माण सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। जिसके लिए मैं आजीवन प्रयासरत रनहा। इसके लिये मैंने जीवन में कभी कोई समझौता नही किया ।"
योगेश मिश्र
लखनऊ । कांग्रेस पार्टी का सांसद रहते हुए राम मंदिर आंदोलन में आहुति देने वाले राम नगीना मिश्र जी का आज सुबह लखनऊ में नजरबाग स्थित आवास में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे उनका अंतिम संस्कार शाम को वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर होगा। भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे रामनगीना मिश्र ने छह बार लोकसभा और चार बार पडरौना से विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। वह गन्ना सहकारी समितियों से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रहे और गन्ना किसानों के कल्याण के लिए अपना योगदान देते रहे। अपने अंतिम समय में रामनगीना मिश्र जी को अपने अंतिम समय में ऐसा लगता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी भाजपा उस समय उन्हें भूल गयी जब मंदिर आंदोलन के नायकों को पाँच तारीख़ को अयोध्या पहुँचने के लिए आमंत्रित किया जा रहा था। वह खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
राम मंदिर निर्माण के लिए रामनगीना मिश्र जी ने सभी प्रकार के पद प्रलोभन को ठुकरा दिया था। वह कहते थे, "मेरे लिए जीवन में राम मंदिर का निर्माण सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। जिसके लिए मैं आजीवन प्रयासरत रहा। इसके लिये मैंने जीवन में कभी कोई समझौता नही किया ।"
रामनगीना मिश्रजी ने मंदिर आंदोलन को तेज करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने 'जाके प्रिय न राम बैदेही..... ' कह कर संसद में भूचाल ला दिया था। मंदिर के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ने के उनके फ़ैसले से राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत की सरकार की चूलें हिल गयी थीं।
उनके फ़ैसले की अहमियत को इससे भी समझा जा सकता है कि संसद में कांग्रेस को राम विरोधी बताने के बाद कांग्रेस व सदस्यता छोड़ने के उनके प्रेस कांफ्रेंस के समय राम नगीना मिश्र जी के साथ उस समय के भाजपा के तीनों दिग्गज नेता- अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी व डॉ. मुरली मनोहर जोशी मौजूद थे।
28 जुलाई 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए एक लाख रूपये की धनराशि देने की घोषणा करने वाले रामनगीना मिश्र जी ने वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र से बातचीत की थी। राम नगीना मिश्र जी ने कांग्रेस में रहते हुए राम जन्मभूमि का मुद्दा संसद में 1988 में ही उठाया था। राम नगीना मिश्र जी बताते हैं,'उस समय कांग्रेस में जब यह राम जन्मभूमि का मुद्दा मेरे द्वारा उठाया गया तब कुछ लोगों ने मेरा भारी विरोध किया। मैंने उस समय यह बात कही थी कि राम मंदिर अगर अयोध्या में नहीं बनेगा तो क्या क़ाबा में बनेगा ?
इस पर मेरे ऊपर असत्य भाषण के लिए प्रिविलेज मोशन का प्रस्ताव रखा गया और दंडित करने की बात भी की गई। इसके उत्तर में मैंने स्वयं अयोध्या जाकर पूरी सत्यता के प्रमाण जुटाकर गर्भगृह में निर्मित चबूतरा एवं देवी देवताओं की मूर्ति का साक्ष्य प्रस्तुत किया।
यह बात प्रमाणित की कि वहाँ राम मंदिर को तोड़कर बाद में मस्जिद बनायी गई थी। तब जाकर मेरे ऊपर लगे प्रिविलेज मोशन को ख़ारिज किया गया।
उस समय संसद में भारतीय जनता पार्टी के केवल दो सदस्य थे । जिन्होंने राम नगीना मिश्र जी का समर्थन किया। राम नगीना मिश्र जी ने कांग्रेस पार्टी को यह प्रस्ताव दिया था कि अपने घोषणा पत्र में अयोध्या में राम मंदिर बनवाने का प्रस्ताव शामिल करें । किन्तु उनकी यह बात नहीं मानी गई।
अतः उन्होंने दुखी और असंतुष्ट होकर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल जी से मुलाक़ात की । उन्होंने राम नगीना मिश्र जी का स्वागत करते हुए एक राम भक्त के रूप में उनका सम्मान किया। कांग्रेस पार्टी छोड़ते समय रामचरितमानस की यह चौपाई राम नगीना मिश्र जी ने पढ़ी -
"जाके प्रिय न राम बैदेही
ताजिये ताहि कोटि बैरी सम
जद्यपि परम सनेही"
इस मामले पर विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर राम मंदिर बनाने का संकल्प लेकर राम नगीना मिश्र जी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया। भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पडरौना लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विजय हासिल की।तब से लेकर सन 2004 तक पडरौना के सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व करते रहे।
यह जानकर कि पाँच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी राम मंदिर का अयोध्या में शिलान्यास करेंगे राम नगीना जी कहते हैं,"वर्षों का संकल्प और सपना पूर्ण हुआ है। मैं लगभग 93 में वर्ष का हो चुका हूँ। अभी तक तो मैं केवल राम मंदिर का सपना लेकर ही जीवित हूँ।''
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''मुझे ख़ुशी है कि राम मंदिर निर्माण की यह प्रक्रिया आरंभ हो रही है। मैं सभी राम भक्तों को इस ऐतिहासिक अवसर के लिए बधाई देता हूँ। राम सदा से हम भारतवासियों के लिए आदर्श रहे हैं। भविष्य में भी रहेंगे। मैं राम मंदिर निर्माण की इस प्रक्रिया में एक लाख रुपया की धनराशि देने की घोषणा करता हूँ । जिसे राम मंदिर के निर्माण में ख़र्च किया जाए ऐसी मेरी इच्छा है।''
''पुनः पुनः मैं राम मंदिर निर्माण के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी तथा इस निर्माण की प्रक्रिया में लगे सभी कार सेवकों को संतों एवं भारत के सभी नागरिकों को आशीष देता हूँ कि भगवान राम उनका कल्याण करें।"
जब कांग्रेस छोड़ने का विचार किया
ग़ौरतलब है कि जब राम नगीना मिश्र जी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी छोड़ देने का विचार किया । जैसे ही लोगों को पता चला कि कि वह कांग्रेस पार्टी छोड़ रहे हैं तैसे ही तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उन्हें मनाने के लिए भेजा ।
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जिसमें नारायण दत्त तिवारी, लोकपति त्रिपाठी एवं जीतेंद्र प्रसाद थे। इन सभी नेताओं ने राम नगीना मिश्र जी से पार्टी में बने रहने का अनुरोध किया। इस निमित्त उन्हें पद का प्रलोभन भी देने का प्रयास किया गया ।
पर चूँकि बात राम मंदिर निर्माण की थी सो उनने सभी प्रकार के पद प्रलोभन को ठुकरा दिया । वह कहते हैं, "मेरे लिए जीवन में राम मंदिर का निर्माण सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। जिसके लिए मैं आजीवन प्रयासरत रहा। इसके लिये मैंने जीवन में कभी कोई समझौता नही किया ।"