राजद ने बिगाड़ा नीतीश का खेल, जातीय समीकरण साधने की कोशिशों को झटका

राजद के प्रदेश प्रभारी वीरेंद्र कुशवाहा सहित पार्टी के लगभग तीन दर्जन नेताओं ने राजद का दामन थामते हुए विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका दिया है। रालोसपा के लगभग सभी प्रमुख चेहरे पार्टी छोड़ चुके हैं और ऐसे में कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा पूरी तरह अकेले पड़ गए हैं।

Update:2021-03-13 09:21 IST
रालोसपा के जदयू में विलय के जरिए पार्टी को मजबूत बनाने का सपना देख रहे नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनता दल ने जबर्दस्त झटका दिया है।

अंशुमान तिवारी

पटना: रालोसपा के जदयू में विलय के जरिए पार्टी को मजबूत बनाने का सपना देख रहे नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनता दल ने जबर्दस्त झटका दिया है। रालोसपा का 14 मार्च को जदयू में विलय होना है मगर उसके पहले ही पार्टी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख नेताओं ने राजद का दामन थाम लिया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इन नेताओं को पार्टी में शामिल करते हुए जातीय समीकरण साधने का नीतीश कुमार का पूरा खेल बिगाड़कर रख दिया है।

राजद के प्रदेश प्रभारी वीरेंद्र कुशवाहा सहित पार्टी के लगभग तीन दर्जन नेताओं ने राजद का दामन थामते हुए विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका दिया है। रालोसपा के लगभग सभी प्रमुख चेहरे पार्टी छोड़ चुके हैं और ऐसे में कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा पूरी तरह अकेले पड़ गए हैं।

पकड़ मजबूत बनाने की नीतीश की कोशिश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रालोसपा के जदयू में विलय के जरिए बिहार के जातीय समीकरण पर फिर अपनी पकड़ मजबूत करने का सपना देखा है। वे इस विलय के जरिए कुर्मी और कोरी मतदाताओं पर पहले की तरह अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बदले में उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में बड़ा पद देने की तैयारी है।

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विलय से पहले ही पार्टी में बगावत

विलय की सारी औपचारिकताओं पर उपेंद्र कुशवाहा की जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य वशिष्ठ नारायण सिंह से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। उपेंद्र इस सिलसिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिल चुके हैं। विलय की सुगबुगाहट के बीच रालोसपा के अधिकांश नेताओं ने बागी तेवर अपना लिया है। इसकी झलक शुक्रवार को देखने को मिली जब पार्टी के लगभग तीन दर्जन नेताओं ने विलय से पहले ही राजद का दामन थाम लिया।

कई बड़े नेताओं ने दिया झटका

विलय से पहले रालोसपा के बड़े चेहरों का राजद में जाना कुशवाहा के लिए भी भारी झटका माना जा रहा है। रालोसपा छोड़कर राजद में शामिल होने वालों में प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा के अलावा प्रदेश प्रधान सचिव निर्मल कुशवाहा, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष मधु मंजरी मेहता, झारखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय महतो, झारखंड युवा इकाई के अध्यक्ष सज्जन कश्यप, युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव दिवाकर कुशवाहा और प्रदेश महासचिव डॉ अमित कुमार भी शामिल हैं।

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उपेंद्र पर गुमराह करने का आरोप

रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा ने इस मौके पर कहा कि हम सभी ने मिलकर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है और रालोसपा का विलय राजद में कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बापू सभागार में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और इस दौरान पार्टी के छूटे हुए साथी भी राजद में शामिल हो जाएंगे। इससे पूर्व 6 मार्च को पार्टी के 41 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वाली नेताओं ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पूरे समुदाय को गुमराह किया है। उनका यह भी कहना था कि पार्टी के 90 फ़ीसदी से अधिक कार्यकर्ता जदयू में विलय के पक्ष में नहीं है।

तेजस्वी ने कसा उपेंद्र पर तंज

दूसरी और तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा कि अब रालोसपा में उपेंद्र कुशवाहा अकेले रह गए हैं। उन्होंने कहा कि कढी उपेंद्र कुशवाहा कहा करते थे कि जिसके पास नीतीश कुमार जैसा दोस्त हो, उसे दुश्मन की जरूरत कभी नहीं होगी। अब उन्हीं उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार अच्छे लगने लगे हैं। तेजस्वी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के खिलाफ कई आंदोलन किए हैं मगर अब उन्हें कुछ भी नहीं दिख रहा है और वे नीतीश कुमार की प्रशंसा करने में जुटे हुए हैं।

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चुनाव में फेल साबित हुए उपेंद्र

उपेंद्र कुशवाहा ने मार्च 2013 में रालोसपा का गठन किया था और उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव एनडीए के घटक के रूप में लड़ा था। इस चुनाव में उनकी पार्टी को तीन सीटों पर विजय हासिल हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी राह अलग कर ली थी। पिछले लोकसभा चुनाव में वे राजद के सहयोगी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे मगर उन्हें किसी भी सीट पर कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जबर्दस्त झटका लगा और रालोसपा एक भी सीट पाने में कामयाब नहीं हुई।

नीतीश को दिया राजद ने जवाब

सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार उपेन्द्र कुशवाहा को साथ लेकर कुर्मी और कोरी मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। रालोसपा के 14 मार्च को जदयू में विलय की तैयारी है मगर उसके पहले ही रालोसपा के इतने नेताओं का पार्टी से इस्तीफा इस बात का संकेत है कि नीतीश कुमार को अपने मिशन में कामयाबी मिलना इतना आसान नहीं है। राजद ने बड़ी सियासी चाल चलते हुए नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ दिया है।

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