मौत को कब्जे में करने वाले महान Stephen Hawking, अपने हौसलों से जी पूरी जिंदगी

महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग का आज जन्मदिन है। तीन साल पहले वे इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गए थे, लेकिन आज भी स्टीफेन का नाम बड़ी ही शान और गर्व से लिया जाता है। वहीं उनके नाम मात्र ले लेने से ऐसा लगता है कि वे अभी भी इस दुनिया में हैं।

Update:2021-01-08 17:17 IST
स्टीफन हॉकिंग अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा करते थे कि  उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।

रिपोर्ट-विदुषी मिश्रा(VIDUSHI MISHRA)

लखनऊ: ब्रंह्माड की गांठ खोलने वाले विश्व प्रसिद्ध ब्रितानी भौतिकी वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग मौत का सामना करते हुए 76 वर्ष की उम्र तक अपनी इच्छाशक्ति पर अमल करने वाले विश्व के महान वैज्ञानिकों में से एक हैं। महान वैज्ञानिक स्टीफेन का आज जन्मदिन है। तीन साल पहले वे इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गए थे, लेकिन आज भी स्टीफेन का नाम बड़ी ही शान और गर्व से लिया जाता है। जिसने मौत के आगे भी अपनी जीत हासिल कर ली थी, और अपनी कमजोरी को कभी कमजोरी न समझते हुए विश्व में इतिहास रच दिया।

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21 की उम्र में दर्दनाक हादसा

महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को हुआ था। इनकी जन्म तारीख से एक बड़ी ही दिलचस्प बात जुड़ी हुई है। दरअसल स्टीफन का जन्म आधुनिक विज्ञान के पिता गैलीलियो की मौत के ठीक 300 साल के बाद हुआ। गैलीलियों की मृत्यु 8 जनवरी 1642 को हुई थी। स्टीफेन बचपन से काफी बुद्धिमान और प्रतिभाशाली थे। बचपन से ही इनके दोस्त इन्हें आइंस्टीन कहकर बुलाते थे।

एक बार कॉलेज की छुट्टियां होने पर स्टीफन अपने घर आए हुए थे। तब ये 21 वर्ष के थे। घर पर ही वे सीढ़ियों से उतर रहे थे कि तभी उन्हें एकदम से बेहोशी महसूस हुई और वे तुरंत ही नीचे गिर गए। फिर उन्हें फैमली डॉक्टर के पास ले जाया गया शुरू में उन्होंने उसे मात्र एक कमजोरी के कारण हुई घटना मानी।

फोटो-सोशल मीडिया

लेकिन फिर बार-बार अनेकों दफा यही वाकया होने लगा, तो फिर उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टरो के पास ले जाया गया। जहां जांच होने के बाद ये पता चला कि वे अमायो‍ट्राफिक लेटरल स्‍कलेरोसिस (मोटर न्यूरॉन) नामक एक दुर्लभ और लाइलाज़ बीमारी से ग्रस्त हैं।

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बीमारी ने निभाई सबसे बड़ी भूमिका

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इस लाइलाज बीमारी में शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। जिसकी वजह से शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं। फिर धीरे-धीरे मरीज घुट-घुट कर मर जाता है। हॉकिंग के बारे में डॉक्टरों का कहना था कि चूंकि इस बीमारी का कोई भी इलाज मौजूद नहीं है इसलिए हॉकिंग बस एक-दो साल ही जीवित रह पाएंगें।

लेकिन महान स्टीफन ने अपनी बीमारी को जीतने नहीं दिया। शुरूआत में तो उन्हें लगा था कि इस बीमारी की वजह से वे अपनी पी-एच.डी. पूरी नहीं कर पाएंगे। लेकिन बीमारी की वजह कुछ समय डिप्रेशन में रहने के बाद आखिरकार स्टीफन ने अपने अंदर नई सोच को जन्म दिया। जिसने उनके जीवन को ही पूरी तरह से बदल दिया।

स्टीफेन की पूरी जिंदगी व्हील चेयर पर ही बीती। वो सामान्य इंसान में नहीं थे। न तो वे बोल सकते थे, न तो चल सकते थे, न हाथ हिला सकते थे। लेकिन उनकी जीवन साथी रही व्हील चेयर की वजह से वे बोल सकने में समर्थ हो गए थे। इस चेयर की वजह से वे लिख भी पाते थे और इसी के सहारे चल फिर भी लेते थे।

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अपनी शारीरिक अक्षमताओं को उन्होंने कभी अपने मस्तिष्क पर हावी नहीं होने दिया। स्टीफन अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा करते थे कि उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। हालाकिं ये सब हॉकिंग के लिए एक कप प्याली जैसा नहीं था।

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डिसेबल लोगों पर भगवान का श्राप

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ये भगवान पर विश्वास नहीं रखते थे। इस बारे में स्टीफन हाकिंग ने साफ कहा है कि भगवान कहीं नहीं है। किसी ने दुनिया नहीं बनाई और कोई हमारी किस्मत नहीं लिखता है। हॉकिंग जोकि नास्तिक खगोलशास्त्री के रूप में जाने जाते थे, ये उन्होंने अपनी आखिरी किताब में लिखा है।

अपनी इस आखिरी किताब में हॉकिंग ने कई यूनिवर्स के बनने, एलियन इंटेलिजेंस, स्पेस कोलोनाइजेशन और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस जैसे कई जरूरी सवालों के जवाब दिए गए हैं। इनकी इस एक किताब में कई बड़े सवालों के जवाब हैं।

दुनियाभर में बिकने वाली हॉकिंग की इस किताब में लिखा है, सदियों से यह माना जाता रहा है कि मेरे जैसे डिसेबल लोगों पर भगवान का श्राप होता है। लेकिन मेरा मानना है कि मैं कुछ लोगों को निराश करूंगा लेकिन मैं यह सोचना ज्यादा पसंद करूंगा कि हर चीज की व्याख्या दूसरे तरीके से की जा सकती है।

इस किताब में हॉकिंग ने ऐसा तर्क लिखा था, जिसकी वजह से समाज द्वारा काफी विरोध किया गया। हॉकिंग ने लिखा था कि ब्रह्मांड को चलाने के लिए भगवान की ज़रूरत नहीं है। जिसके बाद इस बयान के लिए ईसाई धर्म गुरुओं की तरफ से काफी विरोध किया गया।

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