भयानक भूकम्प आएगाः आप भी हैं ज्वालामुखी के निकट, कभी भी हो सकता बड़ा विस्फोट
ज्वालामुखी और भूकम्प का करीबी रिश्ता है। जहां ज्वालामुखी हैं उसके भूकंपीय और ज्वालामुखी गतिविधियां अधिकतर प्लेट की सीमाओं पर ही सीमित होती है। भूकंप से पैदा होने वाली तरंगों के विश्लेषण से हमें यह भी पता चलता है कि कौन-सी प्लेट किस दिशा में गति कर रही है।
देश के इस हिस्से में कभी भी आ सकता है भयानक भूकम्प और मच सकती है बड़ी तबाही। क्योंकि यहां सुलग रहा है ज्वालामुखी। देश का अंडमान निकोबार द्वीप समूह पिछले काफी समय से भूकम्प के झटकों को लेकर संवेदनशील बना हुआ है यहां लगातार भूकम्प के झटके आ रहे हैं।
यहां सक्रिय है ज्वालामुखी
सबसे बड़ी बात ये है कि भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी जो कि बैरन द्वीप में है। सक्रिय हो चुका है। यह पोर्ट ब्लेयर से 135 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप की गोलाकार आकृति लगभग 3 कि.मी. है और यह ज्वालामुखी का एक बड़ा सृजक है, जो कि तट से क़रीब आधा कि.मी. पर है और लगभग 150 फेन्थम गहरा है ।
केवल नाव से ही बैरन द्वीप का दौरा करने की अनुमति है। बैरन द्वीप को पहले मृत ज्वालामुखी माना जाता था, किंतु 20वीं शताब्दी के अंत में यह सक्रिय हो गया। इससे लावा निकलना शुरू होने के बाद वैज्ञानिकों की इस पर गहरी नजर है।
अंडमान में पिछला भूकम्प गरीब दो हफ्ते पहले 4.7 तीव्रता का आया था। इससे पहले जुलाई में 17 तारीख को चार भूकम्प के झटके आए थे। पिछला भूकम्प 4,3 तीव्रता का था।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, ये भूकंप अंडमान और निकोबार के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में आया था जिसका केंद्र जमीन से 27 किलोमीटर नीचे बताया गया। इससे पहले 8 जुलाई को अंडमान के दिगलीपुर में 4.3 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय भूकंप का केंद्र करीब 50 किलोमीटर नीचे था।
भूकम्प दर भूकम्प
देखा जाए तो हाल के दो महीने भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील रहे हैं। दिल्ली और आसपास के इलाकों में ही जमीन एक दर्जन से अधिक बार भूकंप के झटकों से डोल चुकी है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर, झारखंड समेत देश के तमाम राज्यों में पिछले कुछ दिनों के अंदर भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं।
इसे भी पढ़ें एक द्वीप बदल गया ज्वालामुखी में, अब विस्फोटों से बना नया टापू
ज्वालामुखी और भूकम्प का करीबी रिश्ता है। जहां ज्वालामुखी हैं उसके भूकंपीय और ज्वालामुखी गतिविधियां अधिकतर प्लेट की सीमाओं पर ही सीमित होती है। भूकंप से पैदा होने वाली तरंगों के विश्लेषण से हमें यह भी पता चलता है कि कौन-सी प्लेट किस दिशा में गति कर रही है।
लेकिन फिर भी अभी हम इतना अधिक नहीं जानते कि बता सकें कि भूकंप कब ओर कहां आएगा और कब, कहां ज्वालामुखी फटेगा। लेकिन प्लेट के खिसकने से भूकम्प आते हैं। इसीलिए ज्वालामुखी वाले क्षेत्र के आसपास के इलाके भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं।
ये भी जानें
बैरन द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इसका निर्माण लावा शंकु तथा राख के ढेर से हुआ है। यह अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। क़रीब 180 साल शान्त रहने के बाद इसमें विस्फोट हुए थे। ये विस्फोट 1991, 1994-95 और 2005 में हुए थे। इस विस्फोट के दौरान इसमें से 2006 तक लगातार लावा निकलता रहा। 2017 के बाद इससे फिर लावा निकलता देखा गया है।
इसे भी पढ़ें भभक रहा ज्वालामुखी: निकल रही राख से देश में मची तबाही, जारी हाई-अलर्ट
यहां दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। तीन किलोमीटर में फैला बैरन द्वीप अंडमान द्वीपों का पूर्वी द्वीप है। बैरन जैसा कि नाम से जाहिर है इसका मतलब बंजर होता है। यहां कोई आबादी नहीं है और जंगल भी कम है।
नाममात्र के पशु-पक्षी ही यहां देखे गए हैं। इसके बारे में 1787 से रिकॉर्ड उपलब्ध हैं और तब से अब तक करीब 10 बार ज्वालामुखी फट चुके हैं। ज्वालामुखी वहां पाए जाते हैं जहां टेकटोनिक प्लेटों में तनाव हो या फिर पृथ्वी का भीतरी भाग बहुत गर्म हो।